नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे सरकार के अभियान को आज बड़ी सफलता मिली है. आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामाराजू जिले में आज आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में शीर्ष माओवादी कमांडर माडवी हिडमा समेत छह माओवादी मारे गए हैं. हिडमा को भारत में सबसे वांछित माओवादी कमांडर माना जाता था. 43 साल का हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन की बटालियन संख्या एक का प्रमुख है, जिसे सबसे घातक माओवादी हमला इकाई कहा जाता है. उस पर 2013 में छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी में शीर्ष कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोगों की हत्या में शामिल होने का भी संदेह था. हिडमा को 2021 में छत्तीसगढ़ के सुकमा में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 22 जवानों की हत्या का मास्टरमाइंड भी माना जाता है.
अमित शाह की डेडलाइन से 12 दिन पहले मारा गया मोस्ट वांटेड नक्सली हिडमा
खूंखार माओवादी कमांडर माडवी हिडमा को सुरक्षा बलों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मोस्ट वांटेड नक्सली को खत्म करने के लिए निर्धारित 30 नवंबर की समय सीमा से 12 दिन पहले मार गिराया. अमित शाह ने हिडमा के खात्मे के लिए 30 नवंबर की डेडलाइन तय की थी.
पत्नी, बॉडीगार्ड समेत इन 6 लोगों की गई जान
सुरक्षाबलों ने जिन 6 लोगों को मार गिराया है. उनकी डिटेल सामने आई है. इस ऑपरेशन में ये 6 लोग मारे गए.
1. हिडमा
2. हिडमा की पत्नी राजे उर्फ रजक्का
3. लकमल
4. कमलू
5. मल्ल
6. हिडमा का बॉडीगार्ड देवे
सुरक्षाबलों ने दो एके47, 1 रिवॉल्वर, 1 पिस्टल बरामद की है.
27 माओवादी हिरासत में
माओवादी कमांडर हिडमा से जुड़े अभियान के दौरान कृष्णा जिले की पुलिस ने 27 माओवादियों/समर्थकों को हिरासत में लिया. गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ जारी है. कृष्णा जिले के पेनामलुरु पुलिस थाने के अंतर्गत यह अभियान चलाया जा रहा है.
सुकमा में लोगों ने पटाखे फोड़कर जश्न मनाया गया
लाल आतंक के टॉप कमांडर हिडमा की मौत के बाद सुकमा में लोगों ने पटाखे फोड़कर जश्न मनाया.

बस्तर में माओवादियों के सबसे ख़ास रणनीतिक कमांडर का खात्मा
सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में फोन नेटवर्क काम नहीं करता, सिर्फ़ ह्यूमन इंटेलिजेंस ही काम करती है. अभी तक जब भी उसके बारे में कोई जानकारी मिलती रही तो जब तक सुरक्षा बल पहुंचें, तब तक वो कहीं और निकल चुका होता था. आज हिडमा के मारे जाने से बस्तर में माओवादियों के सबसे ख़ास रणनीतिक कमांडर का खात्मा हो गया.
टैक्नोलॉजी की भी समझ रखता था हिडमा
काफी शातिर रहा हिडमा टैक्नोलॉजी की भी समझ रखता था. सीपीआई माओवादी की सेंट्रल कमेटी के बाकी सदस्यों से भी ज़्यादा वो चर्चा में रहता था. हिडमा को पकड़ना हमेशा से इसलिए और भी मुश्किल रहा, क्योंकि वो तीन से चार स्तर के सुरक्षा घेरे में रहता था. सबसे बाहरी स्तर को जैसे ही सुरक्षा बलों की भनक लगती थी, वो उनसे भिड़ जाते थे और हिडमा सुरक्षित भाग निकलता था.
2013 में झीरमघाटी में हमले का भी मास्टरमाइंड
2013 में झीरमघाटी का हमला रहा हो, जिससे छत्तीसगढ़ के पूरे कांग्रेस नेतृत्व का सफाया हो गया था. इसके अलावा भेज्जी, बुरकापाल, मिनपा और तेरम में हुए हमलों में भी हिडमा का हाथ माना जाता है. हिडमा के सिर पर छत्तीसगढ़ और अन्य सरकारों ने कुल एक करोड़ रुपए का इनाम रखा हुआ था.
नक्सलियों के सबसे बड़े हमलों का मास्टरमाइंड
उसकी बटैलियन दक्षिण बस्तर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा में सक्रिय थी. ये वो इलाके हैं जो सालों से माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष का केंद्र बनी हुई है.सुरक्षा बलों का मानना है कि हिडमा नक्सलियों के सबसे बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रहा और उनकी अगुवाई की.
नक्सलियों के बीच एक मिथक था हिडमा
हिडमा, नक्सलियों के बीच एक मिथक की तरह रहा है. वो एक गोंड आदिवासी था, जो इसी इलाके में पैदा और बड़ा हुआ. यहां के जंगलों के हर मोड़, हर नदी, नाले, गुफा और पहाड़ी से वो वाकिफ था. 16 साल की उम्र में वो नक्सली बन गया, बीते कई साल से वो छत्तीसगढ़ से लेकर तेलंगाना सीमा तक माओवादी हमलों का नेतृत्व करता रहा.