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This Article is From Nov 25, 2023

पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या मामले में 4 को आजीवन कारावास, 5वें दोषी को 3 साल की कैद

अदालत ने कहा कि यह अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम मामले के तहत नहीं आता है, इसलिए दोषियों को मौत की सजा नहीं दी गई.

पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या मामले में 4 को आजीवन कारावास, 5वें दोषी को 3 साल की कैद
पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की 30 सितंबर 2008 को हत्या कर दी गई थी (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

दिल्ली की एक अदालत ने 2008 में हुई टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन (Soumya Vishwanathan) की हत्या के मामले में आज चार दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. पांचवे दोषी को तीन साल जेल की सजा सुनाई गई. अदालत ने कहा कि यह अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम के अंतर्गत नहीं आता है और इसलिए दोषियों को मौत की सजा नहीं दी गई.

रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. पांचवें दोषी अजय सेठी को उनकी मदद करने के लिए तीन साल की साधारण सजा सुनाई गई है.

पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की 30 सितंबर 2008 को हत्या कर दी गई थी. 25 वर्षीय पत्रकार सौम्या विश्वनाथन हेडलाइंस टुडे में न्यूज प्रोड्यूसर थीं. वे एक ब्रेकिंग न्यूज को लेकर टीम की मदद के लिए देर तक न्यूज रूम में रुकी थीं. उनका काम पूरा हो गया तो वे सुबह 3.03 बजे झंडेवालान दफ्तर से निकलीं. वे अपनी कार में बैठीं और वसंत कुंज के लिए घर चल दीं. वे नहीं जानती थीं कि यह सफर उनका आखिरी सफर होगा. देर रात में डकैती की कोशिश करने वालों ने बेरहमी से उनकी जिंदगी खत्म कर दी.

मामले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों ने कहा कि घर लौटते समय सौम्या ने कपूर, शुक्ला, कुमार और मलिक की कार को ओवरटेक किया था.

पुलिस ने बताया कि चारों दोषियों ने देखा कि उन्हें ओवरटेक करने वाली महिला ड्राइवर अकेली है. इसके बाद वे उसका तेजी से पीछा करने लगे. पहले तो उन्होंने सौम्या की कार को रोकने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं रुकी. इसके बाद कपूर ने उस पर देसी हथियार से गोली चला दी. गोली उसके सिर में लगी, जिससे उसकी तुरंत मौत हो गई. उनकी कार उनके घर के पास नेल्सन मंडेला मार्ग पर एक डिवाइडर से टकराकर रुक गई.

एक अधिकारी ने कहा कि हत्यारे घटनास्थल से भाग गए थे लेकिन 20 मिनट बाद वे पीड़ित की स्थिति की जांच करने के लिए वापस लौटे थे. वहां उन्होंने जब पुलिस कर्मियों को देखा तो वे भाग गए.

अदालत ने 18 अक्टूबर को चारों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था.

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