- औरंगाबाद जिले के BEO कृष्णकांत पंडित द्वारा जारी सरकारी पत्र में कई वर्तनी और व्याकरण की गलतियां पाई गईं हैं
- पत्र में समय, निरीक्षण, सूचना जैसे शब्दों की अशुद्धियां विभाग की प्रशासनिक गंभीरता पर सवाल खड़े कर रहे हैं
- सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस पत्र ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और छवि को नुकसान पहुंचाया है
बिहार का शिक्षा विभाग हमेशा अपने कारनामे को लेकर चर्चा में रहता हैं, और एक बार फिर चर्चा में है. इस बार मामला औरंगाबाद जिले से जुड़ा है, जहां प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा जारी एक सरकारी पत्र में भारी संख्या में वर्तनी संबंधी गलतियां सामने आई हैं. यह पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे न केवल शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि विभाग की छवि को भी नुकसान पहुंच रहा है.
दरअसल, औरंगाबाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) के पद पर कार्यरत कृष्णकांत पंडित द्वारा 12 दिसंबर को एक पन्ने का 10 सूत्री कार्यालय आदेश जारी किया गया था. यह आदेश उनके क्षेत्राधिकार में आने वाले सरकारी विद्यालयों के संचालन से संबंधित था. इसी पत्र में एक दर्जन से अधिक वर्तनी और व्याकरण की गलतियां पाई गई हैं, लेकिन गलतियों से भरे इस पत्र को शिक्षक, छात्र और आम लोग सोशल मीडिया पर साझा कर शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर तंज कस रहे हैं.
बताया जा रहा है कि या तो संबंधित अधिकारी को ठीक से लिखना-पढ़ना नहीं आता है, या फिर बिना देखे ही पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि पत्र लिखने वाले मातहत कर्मी या कंपोजिटर को भाषा का पर्याप्त ज्ञान नहीं है. हालांकि, चूंकि पत्र पर बीईओ के हस्ताक्षर हैं, इसलिए पूरी जिम्मेदारी उन्हीं की है. इस पत्र को पढ़कर लोग तरह-तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं और विभाग की किरकिरी हो रही है.

वायरल पत्र में उल्लेख है कि 8 दिसंबर को एक समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई थी. जिसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा कई निर्देश दिए गए थे. इन्हीं निर्देशों के आधार पर यह कार्यालय आदेश जारी किया गया था. लेकिन आदेश की भाषा में एक दर्जन से अधिक वर्तनी और व्याकरण संबंधी त्रुटियां पाई गई हैं, जो विभाग की प्रशासनिक गंभीरता पर सवाल खड़े करती हैं.
पत्र में क्या-क्या गलतियां हैं?
पत्र में ‘समय' को ‘समस', ‘निरीक्षण' को ‘निरीक्षन', ‘अंकुश' को ‘अंकुस', ‘सूचना' को ‘सुचना', ‘विपरीत' को ‘विपरित', ‘व्यवस्था' को ‘व्यवस्थ' और ‘गुणवत्ता' को ‘गुनवता' लिखा गया है. इसके अलावा भी कई शब्दों में अशुद्धियां पाई गई हैं. शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग से इस तरह की गलतियों से भरा पत्र जारी होना शैक्षणिक गुणवत्ता और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है.
मामले के संज्ञान में आते ही अधिकारियों ने सख्त रुख अपनाया है. इस संबंध में औरंगाबाद के जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि वायरल चिट्ठी उनके संज्ञान में आई है. उन्होंने स्वीकार किया कि पत्र में वर्तनी और व्याकरण संबंधी गलतियां हैं, जो नहीं होनी चाहिए थीं. इसे गंभीरता से लेते हुए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से शोकॉज किया गया है और अगले आदेश तक उनका वेतन भुगतान भी रोक दिया गया है.
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि शोकॉज के जवाब के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि ये गलतियां किस स्तर पर हुई हैं और इसके लिए कौन जिम्मेदार है. कारण बताओ नोटिस का जवाब मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल यह मामला शिक्षा विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है और सोशल मीडिया पर लोग लगातार इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.
औरंगाबाद से आदित्य कुमार की रिपोर्ट
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