केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने आज सुझाव दिया कि उच्च न्यायपालिका में नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कॉलेजियम प्रणाली पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. क्योंकि मौजूदा प्रक्रिया को लेकर चिंताएं हैं. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियां "लंबित" हैं, लेकिन ऐसा कानून मंत्री के कारण नहीं बल्कि व्यवस्था के कारण हो रहा है. उन्होंने कहा, "कॉलेजियम प्रणाली के बारे में सोचने की जरूरत है ताकि उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों में तेजी लाई जा सके."
इसके बाद में जब पत्रकारों ने उनसे उनकी टिप्पणी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ''जो व्यवस्था है वह परेशानी पैदा कर रही है और यह सब जानते हैं. आगे क्या और कैसे करना है इस पर चर्चा होगी. मैंने अपने विचार सबके सामने रखे.'' जहां न्यायाधीश, कानून अधिकारी और आमंत्रित लोग थे." कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव, गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अपने विचार व्यक्त किए.
किरेन रिजिजू ने कहा, "अगर इस तरह के सम्मेलनों में इस तरह के मुद्दों को उठाया जाता है तो मौजूद लोगों को पता चलता है कि कानून मंत्री के दिमाग में क्या है और सरकार क्या सोच रही है. मैंने अपने विचार व्यक्त किए हैं और मैंने उनके विचार भी सुने हैं. " उन्होंने कहा कि उन्होंने उदयपुर में इस मुद्दे को उठाया क्योंकि "राजस्थान उच्च न्यायालय में कई नियुक्तियां की जानी हैं और वे लंबित हैं". उन्होंने कहा, "नियुक्तियां कानून मंत्री के कारण नहीं बल्कि व्यवस्था के कारण लंबित हैं और इसलिए मैंने (अपने विचार) आपके सामने रखे हैं."
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों ने हाल के दिनों में उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों को मंजूरी देने में सरकार में "देरी" का मुद्दा उठाया है. एनडीए सरकार ने 2014 में जजों की नियुक्ति की व्यवस्था को बदलने की कोशिश की थी. 2014 में लाया गया राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम, उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका को एक प्रमुख भूमिका प्रदान करता. लेकिन 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था.
कानून मंत्री रिजिजू ने यह भी कहा कि शनिवार को सभी उच्च न्यायालयों में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरलों की नियुक्ति की जाएगी ताकि भारत सरकार का प्रभावी ढंग से प्रतिनिधित्व किया जा सके. उन्होंने कहा कि देश में अदालतों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है जिससे लोगों को उनके मामलों की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी. सरकार उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए प्रभावी कदम उठा रही है.
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उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कानून अकादमी स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है. उन्होंने कहा कि देश में 4.85 करोड़ मामले लंबित हैं और न्याय प्रणाली को इस पेंडेंसी को दूर करने के लिए प्रभावी ढंग से काम करने की जरूरत है. केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री एसपी बघेल ने विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि इस सम्मेलन में मंथन होगा, जिससे लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं को मजबूत करने पर ठोस निर्णय निकलेगा. कार्यक्रम की शुरुआत उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के एक विशेष वीडियो संदेश के साथ हुई.
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