नई दिल्ली:
ललित मोदी की मदद को लेकर एक के बाद एक आ रहे खुलासों से सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। बुधवार को संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुषमा स्वराज का तो बचाव किया, लेकिन वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ वो खुल कर खड़े नहीं हो पाए।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, "विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जो कुछ भी किया मानवीय आधार पर किया और इसे किसी भी परिस्थिति में गलत नहीं माना जा सकता है।"
ललित मोदी को बचाने के मामले में जहां एक तरफ सरकार और पार्टी ने इसे मानवीयता के आधार पर लिया गया फैसला बताते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का खुल कर बचाव किया है, वहीं वसुंधरा राजे सिंधिया के खिलाफ मामले पर सरकार की राय अलग है। सिंधिया के खिलाफ जिस तरह से दस्तावेज सामने आये हैं, उसके बाद सरकार को इस मामले में सफाई देना मुश्किल हो गया है।
जब पत्रकारों ने रविशंकर प्रसाद से वसुंधरा के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "इस मामले में मुझे तथ्यों की जानकारी लेनी होगी। वसुंधरा राजे सिंधिया और उनकी सरकार इस मामले पर सफाई देंगे।"
ये महत्वपूर्ण है कि वसुंधरा राजे ने जिस तरह गोपनीयता से ललित मोदी के आव्रजन दस्तावेज़ों पर दस्तख़त किए, उस पर बीजेपी चुप है।
वैसे कांग्रेस के हमले झेल रही बीजेपी के लिए छोटी सी राहत ये है कि उसे सुषमा स्वराज के मामले में अचानक शरद पवार का साथ मिल गया है। बुधवार को पवार ने कहा कि जिस तरह से इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर मीडिया में पेश किया जा रहा है, इसे पब्लिसिटी दी जा रही है वो इससे इत्तेफाक नहीं रखते। पवार ने दावा किया कि किसी नेता की किसी के साथ मुलाकात पर बिना किसी जांच-पड़ताल के सवाल कैसे उठाया जा सकता है।
लेकिन दूसरे विपक्षी दल नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी पर सुषमा के इस्तीफे को लेकर दबाव बनाए हुए हैं। जेडी-यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि जिस तरह से इस मामले में लगातार आरोप लग रहे हैं उसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को इस्तीफा दे देना चाहिए।
मुश्किल यह है कि एक के बाद एक जिस तरह से ललित मोदी मामले में नए खुलासे हो रहे हैं और नए तथ्य सार्वजनिक हो रहे हैं, उसकी वजह से ये मामला मोदी सरकार के लिए पहला बड़ा और असली राजनीतिक संकट बनता दिख रहा है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, "विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जो कुछ भी किया मानवीय आधार पर किया और इसे किसी भी परिस्थिति में गलत नहीं माना जा सकता है।"
ललित मोदी को बचाने के मामले में जहां एक तरफ सरकार और पार्टी ने इसे मानवीयता के आधार पर लिया गया फैसला बताते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का खुल कर बचाव किया है, वहीं वसुंधरा राजे सिंधिया के खिलाफ मामले पर सरकार की राय अलग है। सिंधिया के खिलाफ जिस तरह से दस्तावेज सामने आये हैं, उसके बाद सरकार को इस मामले में सफाई देना मुश्किल हो गया है।
जब पत्रकारों ने रविशंकर प्रसाद से वसुंधरा के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "इस मामले में मुझे तथ्यों की जानकारी लेनी होगी। वसुंधरा राजे सिंधिया और उनकी सरकार इस मामले पर सफाई देंगे।"
ये महत्वपूर्ण है कि वसुंधरा राजे ने जिस तरह गोपनीयता से ललित मोदी के आव्रजन दस्तावेज़ों पर दस्तख़त किए, उस पर बीजेपी चुप है।
वैसे कांग्रेस के हमले झेल रही बीजेपी के लिए छोटी सी राहत ये है कि उसे सुषमा स्वराज के मामले में अचानक शरद पवार का साथ मिल गया है। बुधवार को पवार ने कहा कि जिस तरह से इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर मीडिया में पेश किया जा रहा है, इसे पब्लिसिटी दी जा रही है वो इससे इत्तेफाक नहीं रखते। पवार ने दावा किया कि किसी नेता की किसी के साथ मुलाकात पर बिना किसी जांच-पड़ताल के सवाल कैसे उठाया जा सकता है।
लेकिन दूसरे विपक्षी दल नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी पर सुषमा के इस्तीफे को लेकर दबाव बनाए हुए हैं। जेडी-यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि जिस तरह से इस मामले में लगातार आरोप लग रहे हैं उसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को इस्तीफा दे देना चाहिए।
मुश्किल यह है कि एक के बाद एक जिस तरह से ललित मोदी मामले में नए खुलासे हो रहे हैं और नए तथ्य सार्वजनिक हो रहे हैं, उसकी वजह से ये मामला मोदी सरकार के लिए पहला बड़ा और असली राजनीतिक संकट बनता दिख रहा है।
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