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This Article is From Feb 03, 2024

अटल बिहारी वाजपेयी से पहली बार यहां मिले थे लालकृष्ण आडवाणी, जानें रोचक किस्सा

लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) ही वह नेता हैं, जिन्होंने राजनीति में 'यात्राओं' का कल्चर शुरू किया था. जिस समय अयोध्या में राम मंदिर की मांग अपने पीक पर थी, तब लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथयात्रा शुरू की थी,  जिसकी वजह से देश की राजनीति में हिंदुत्व की राजनीति ने उभरना शुरू किया.

लाल कृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी (Bharat Ratna Lal Krishna Advani) को देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान यानी कि भारत रत्न मिलने जा रहा है. इस सम्मान के ऐलान से ही उनके समर्थकों में खुशी की लहर है. इतना ही नहीं एलके आडवाणी को भारत रत्न मिलने के ऐलान से पीएम मोदी भावुक हो गए. उन्होंने इसे अपने लिए भावुक करने वाला क्षण बताया. एक समय ऐसा था जब राजनीति में अटल-आडवाणी की जोड़ी की तूती बोलती थी और कांग्रेस के खिलाफ राजनीति के सबसे बड़े केंद्र बन चुकी इस जोड़ी ने देश में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनाकर पूरे पांच साल तक राज किया. लाल कृष्ण आडवाणी सिर्फ भारतीय राजनीति में अपने अहम योगदान के लिए ही नहीं बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अपनी दोस्ती के लिए भी जाने जाते हैं.

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आडवाणी ने राजनीति में शुरू किया 'यात्रा' कल्चर

लाल कृष्ण आडवाणी ही वह नेता हैं, जिन्होंने राजनीति में 'यात्राओं' का कल्चर शुरू किया था. जिस समय अयोध्या में राम मंदिर की मांग अपने पीक पर थी, तब लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथयात्रा शुरू की थी,  जिसकी वजह से देश की राजनीति में हिंदुत्व की राजनीति ने उभरना शुरू किया. हालांकि बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उनको समस्तीपुर में गिरफ्तार करा दिया था. इस कदम ने लालकृष्ण आडवाणी और लालू प्रसाद यादव दोनों को ही राजनीति का हीरो बना दिया था. 

आडवाणी और अटल की जोड़ी

शुद्ध और संस्कृत मिश्रित हिंदी बोलने में माहिर लालकृष्ण आडवाणी ने बताया कि उनको 20 साल तक हिंदी बोलनी ही नहीं आती थी. उन्होंने यह भी कहा कि जब वह अटल जी का भाषण सुनते थे तो हमेशा खुद को लेकर कुंठा हो जाती थी. बीजेपी में एक समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से पहले लालकृष्ण आडवाणी को ही चेहरा माना जाता था और वो ही पीएम पद के दावेदार थे, लेकिन बीजेपी अध्यक्ष रहने के दौरान मुंबई के अधिवेशन में लालकृष्ण आडवाणी ने अटल बिहारी वाजपेयी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर सबको चौंका दिया था.  

बीजेपी को संगठित करने में भी आडवाणी ने अहम भूमिका निभाई. कहा ये भी जाता था कि जब आडवाणी ने पीएम के लुए अटल के नाम का ऐलान किया तो वाजपेयी जी उनसे नाराज हो गए थे. उन्होंने आडवाणी से यह भी कहा था कि एक बार मुझसे पूछ तो लेते. इस पर आडवाणी ने उनको जवाब दिया था कि पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते उनके पास यह अधिकार है.

अटल-आडवाणी की मुलाकात का रोचक किस्सा

 अटल बिहारी वाजपेयी की मुलाकात लालकृष्ण आडवाणी से कैसे हुई यह बहुत ही रोचक किस्सा है. अटल जी एक बार सहयोगी के तौर पर पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ ट्रेन से मुंबई जा रहे थे. मुखर्जी कश्मीर के मुद्दे पर पूरे देश का दौरा कर रहे थे. उस समय लालकृष्ण आडवाणी कोटा में प्रचारक थे. उनको पता लगा कि उपाध्याय जी इस स्टेशन से गुजरने वाले हैं तो वह मिलने आ गए. वहीं पर मुखर्जी ने अटल बिहारी वाजपेयी से लाल कृष्ण आडवाणी की मुलाकात करवाई थी.
 

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