बंबई उच्च न्यायालय ने पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा को 2006 में मुंबई में गैंगस्टर छोटा राजन के कथित करीबी सहयोगी रामनारायण गुप्ता की फर्जी मुठभेड़ के मामले में मंगलवार को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनायी.
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की एक खंडपीठ ने शर्मा को बरी करने के एक सत्र न्यायालय के 2013 के फैसले को 'गलत' और 'नहीं टिकने लायक' करार देते हुए रद्द कर दिया.
उच्च न्यायालय ने पुलिसकर्मियों सहित 13 व्यक्तियों को निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाने को भी बरकरार रखा और छह अन्य आरोपियों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया और उन्हें बरी कर दिया. 13 पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों पर हत्या का आरोप लगाया गया था.
आरोपियों ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की, वहीं अभियोजन पक्ष और मृतक के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने शर्मा को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील दायर की. विशेष लोक अभियोजक राजीव चव्हाण ने दलील दी कि वर्तमान मामले में, जो अधिकारी कानून और व्यवस्था के संरक्षक थे, वे स्वयं एक निर्मम हत्या में लिप्त थे.
11 नवंबर 2006 को, एक पुलिस दल ने गुप्ता उर्फ लखन भैया को पड़ोसी वाशी से इस संदेह पर पकड़ा था कि वह राजन गिरोह का सदस्य है. उसके साथ उसके दोस्त अनिल भेड़ा को भी पकड़ा गया था. गुप्ता को उसी शाम उपनगरीय वर्सोवा में नाना नानी पार्क के पास एक 'फर्जी' मुठभेड़ में मार डाला गया था.
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