नई दिल्ली:
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के पूर्व सहायक और 'वोट के लिए नोट' मामले में गिरफ्तार सुधींद्र कुलकर्णी ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में कहा कि इस मामले में उन्हें गवाह बनाया जाना चाहिए, न कि आरोपी। कुलकर्णी के वकील महिपाल सिंह ने विशेष न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल से कहा, "अदालत को मुझे इस मामले में गवाह बनाना चाहिए, न कि आरोपी। मेरा एकमात्र मकसद भ्रष्टाचार को उजागर करना था।" अदालत ने करीब एक घंटे तक बचाव पक्ष को सुनने के बाद दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह सीएनएन-आईबीएन टीवी द्वारा संचालित किए गए स्टिंग ऑपरेशन के उस वीडियो को अदालत के सामने पेश करे, जिस पर यह पूरा मामला आधारित है। अदालत ने कुलकर्णी और भाजपा के दो सांसदों-महावीर सिंह भगोरा और फग्गन सिंह कुलस्ते की जमानत याचिका पर सुनवाई के लए तीन अक्टूबर की तिथि तय की। कुलकर्णी के वकील ने कहा कि पुलिस वास्तविक लाभार्थी की जांच नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन-1 के लोगों के खिलाफ जांच क्यों नहीं की जा रही है, जो कथित तौर पर इसके लाभार्थी रहे हैं। उन्होंने कहा, "जांच में घोटाला के लाभार्थी को छोड़ दिया जा रहा है.. वास्तविक लाभार्थी कौन हैं? यह अभियोजन पक्ष के लिए लाख टके का सवाल है। यह राज्य सभा सांसद अमर सिंह की सरकार नहीं थी, जिसके बचाव के लिए यह सब किया गया था।" वकील ने कहा कि कुलकर्णी ने भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले के तौर पर काम किया। उनके खिलाफ मामला चलाना राजनीति से प्रेरित है। कुलस्ते और भगोरा ने भी जमानत की मांग करते हुए कहा कि वे सौदेबाजी को उजागर करना चाहते थे। वकील ने कहा, "यह सिर्फ भ्रष्टाचार को उजागर करने वाला एक स्टिंग ऑपरेशन था और इसका मकसद विश्ववास मत के दौरान सौदेबाजी को उजागर करना था।" वकील ने कुलकर्णी की ओर से कहा, "मैंने अपने सहयोगियों, भाजपा के सांसदों और सुहैल हिंदुस्तानी के सहयोग से सिर्फ जुलाई 2008 में तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा विश्वास मत में जीत हासिल करने के लिए की गई सौदेबाजी को उजागर करने की कोशिश की।" कुलकर्णी को 27 सितम्बर को गिरफ्तार किया गया था। वह अभी तिहाड़ जेल में बंद हैं।