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This Article is From Aug 19, 2022

जानें कि आखिर मनीष सिसोदिया के घर पर CBI रेड क्यों? एक्साइज पॉलिसी को लेकर जांच एजेंसी को किन सवालों का जवाब चाहिए?

CBI के एक अधिकारी के मुताबिक शराब नीति को लागू करने से पहले जो प्मुरक्ख्यरिया होती है उसकी अवहेलना की गई. सीबीआई सूत्रों ने कहा कि शराब नीति को लागू करने से पहले प्रस्तावित नीति को कैबिनेट के समक्ष रखना होता है और कैबिनेट से जब यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो इसे उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजना होता है. बहरहाल, इन प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया.

आबकारी नीति को लेकर मनीष सिसोदिया के आवास पर सीबीआई की रेड

नई दिल्ली:

आज सबेरे दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई की टीम पहुंची. सीबीआई आबकारी पॉलिसी को लेकर मनीष सिसोदिया के आवास सहित 21 जगहों पर छापा मार रही है. सीबीआई के अधिकारियों के मुताबिक ये छापा एक्साइज विभाग के कई अफसरों और शराब कारोबारियों के यहां हो रहा है. आबकारी पॉलिसी को लेकर चल रहे इस रेड में मनीष सिसोदिया के अलावा 3 पब्लिक सर्वेट और शामिल है बाकी अन्य लोग है.

इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस सीबीआई रेड की निंदा की है. उन्होंने कहा कि जिस जिन विदेशी अखबार में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था की तारीफ की गई है उसी दिन इस सीबीआई दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के आवास पर छापा मार रही है. 

इससे पहले सीबीआई रेड की जानकारी मनीष सिसोदिया ने ट्वीट के जरिए लोगों को दी. उन्होंने जानकारी देने के साथ केन्द्र सरकार को भी निशाने पर लिया.

सीबीआई छापा क्यों?

लेकिन सवाल यह है कि सीबीआई ने आज क्यों छापा मारा है? सीबीआई को किन सवालों का जवाब चाहिए. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक सबसे पहले निविदा के लिए आवेदन करने वाले शराब लॉबी को लगभग 143.46 करोड़ रुपये की एकमुश्त छूट दी गई. दूसरे, सीबीआई इस निर्णय की अवैधता दिखाने के लिए ये जानने की कोशिश कर रही है कि नीति में बदलाव कैसे किया गया. तीसरा अहम मुद्दा यह है कि हवाई अड्डे पर शराब लाइसेंसधारियों को ज़ब्त करने के बजाय 30 करोड़ रुपये की छूट कैसे दी गई. CBI सूत्रों के मुताबिक, आयातित बीयर के दाम कम दिए गए और पिछले लाइसेंसधारी धारक को अधिक समय दिया गया है.

दरअसल, इस आबकारी पॉलिसी की वजह से सीबीआई दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, चुनिंदा नौकरशाहों और निजी खिलाड़ियों पर सीधे तौर पर रिश्वत लेने का आरोप लगा रही है.

पिछले साल 15 अप्रैल को आबकारी पुलिस लाई गई थी और एक महीने बाद शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए कैबिनेट का फैसला लिया गया था. उपराज्यपाल कार्यालय का आरोप है कि ऐसा तभी होता जब प्रभारी आबकारी एवं वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया को अवैध रूप से रिश्वत दी जाती.

CBI सूत्रों ने इस पूरे प्रकरण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी का बहाना बनाकर लाइसेंस फीस टेंडर पर शराब कार्टेल को 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी गई. दिल्ली के उपराज्यपाल का कहना है कि इस छूट के नतीजे में किकबैक और कमीशन मिले होंगे.

इसी बीच यह भी आरोप लगाया गया है कि जब शराब कार्टेल को यह एकमुश्त छूट दी गई थी तो कैबिनेट को लूप में क्यों नहीं रखा गया था. सिसोदिया ने तब कैबिनेट को नीति में संशोधन करने के लिए स्वयं को अधिकृत करने का निर्णय लेने के लिए कहा ताकि लाइसेंस शुल्क की छूट को लागू किया जा सके. इसके बाद ही उपराज्यपाल ने इस मुद्दे को गलत के रूप में चिह्नित किया.

कैबिनेट ने तब अपने पहले के फैसले को वापस लेने की अनुमति दी और सिसोदिया को एकमुश्त छूट लागू करने के लिए अधिकृत किया.

यह आरोप लगाया गया है कि वास्तव में एक अवैध निर्णय को वैध बनाने का प्रयास किया गया था. 14 जुलाई को दोपहर 2 बजे कैबिनेट बैठक के लिए कैबिनेट नोट सुबह 9:30 बजे मुख्य सचिव के पास पहुंचा. कोई कैबिनेट नोट प्रसारित नहीं किया गया था. आदर्श रूप से यह एलजी के पास 48 घंटे पहले होना चाहिए था. यह शाम 5 बजे "सिसोदिया की मदद" करने के लिए एलजी कार्यालय पहुंचा. यह एक नीतिगत मामला था न कि आपातकालीन मामला. इस तरह ये कहा जा सकता है कि ऐसे मामलों में सक्षम प्राधिकारी, जो कि कैबिनेट है और बाद में उपराज्यपाल के अनुमोदन के बिना, आबकारी विभाग द्वारा केवल मंत्री के स्तर पर निर्णय लिए गए थे.

उल्लंघन का सिलसिला जारी रहा

इतना ही नहीं, सीबीआई सूत्रों के अनुसार आगे भी उल्लंघन का सिलसिला चलता रहा. सिसोदिया के निर्देश पर आबकारी विभाग ने एल1 बोलीदाता को एयरपोर्ट जोन में एयरपोर्ट पर 30 करोड़ रुपए वापस कर दिए, क्योंकि उसे एयरपोर्ट अथॉरिटी से एनओसी नहीं मिली थी. यह पैसा आदर्श रूप से जब्त किया जाना चाहिए था. आयातित बीयर पर सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति लिए बिना 50 रुपये प्रति केस वापस ले लिया गया. इस निर्णय से राजकोष को राजस्व की हानि हुई.

L7Z लाइसेंसधारियों और L1 लाइसेंसधारियों के लिए सक्षम प्राधिकारी अर्थात LG परिचालन अवधि से कोई अनुमोदन नहीं लिया गया था जिसे 1 अप्रैल से बढ़ाकर 31 मई और फिर 1 जून से 31 जुलाई तक किया गया था.

पिछले साल दिल्ली सरकार ने बदली आबकारी पॉलिसी, शराब कारोबार से बाहर निकली

2020 में दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति लाने की बात कही थी और  मई 2020 में दिल्ली सरकार विधानसभा में नई शराब नीति लेकर आई, जिसे नवंबर 2021 से लागू कर दिया गया. दिल्ली को 32 जोन और हर जोन को 27 शराब की दुकानों में बांटा गया है. 864 दुकानों में से 460 दुकानें चालू हैं क्योंकि व्यापार गहरी छूट, मूल्य कारकों और अन्य कारणों से अव्यावहारिक है: 

(ए) शराब के लाइसेंस दिए जाने के तरीके की जांच, आबकारी नीति में बदलाव और शराब लाइसेंस के लिए बोली लगाने वालों के लिए शुल्क की छूट

(बी) उन अधिकारियों की जांच करने के लिए जिन्होंने आबकारी नीति में बदलाव में सरकार का समर्थन किया या पक्ष लिया या वास्तव में परिवर्तन किए जाने पर आंखें मूंद लीं

(सी) दिल्ली सरकार के उस फैसले की जांच होगी जिसके तहत बाजार में कार्टेलेशन या एकाधिकार की अनुमति दी गई थी

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