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This Article is From Oct 18, 2018

एनडी तिवारीः 'नैनीताल का चुनाव न हारते तो बन जाते प्रधानमंत्री, नरसिम्हा राव बांध चुके थे बोरिया-बिस्तर'

नारायण दत्त तिवारी(Narayan Datt Tiwari) का 93 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया. एक समय उनका प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा था. मगर उनके नैनीताल चुनाव में हारने से नरसिम्हा राव की किस्मत खुल गई.

एनडी तिवारीः 'नैनीताल का चुनाव न हारते तो बन जाते प्रधानमंत्री, नरसिम्हा राव बांध चुके थे बोरिया-बिस्तर'
यूपी और उत्तराखंड के कई बार मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी का निधन.
नई दिल्ली: Narayan Datt Tiwari Death:  वर्ष 1991 का  लोकसभा चुनाव चल रहा था.. तारीख 21 मई 1991.. जब चुनाव प्रचार के लिए तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर गए राजीव गांधी की अचानक मानव बम के धमाके में हत्या हो जाती है. पूरा देश सन्न रह जाता है. चुनावी माहौल के बीच हुई इस हत्या से कांग्रेस के पाले में  सहानुभूति की लहर दौड़ पड़ती है. आखिर में यह लहर वोट में भी तब्दील हुई. चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है. उस वक्त सोनिया गांधी भी सक्रिय राजनीति का हिस्सा नहीं थीं. जाहिर सी बात है कि लालबहादुर शास्त्री के बाद यह दूसरा मौका था, जब गांधी खानदान से इतर किसी व्यक्ति के प्रधानमंत्री की गद्दी पर बैठने का अनुकूल अवसर था. उस वक्त दिग्गज कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी का पीएम बनना तय माना जा रहा था, मगर जिंदगी में तमाम चुनाव जीतने वाले एनडी तिवारी(N.D Tiwari) ने सपने में भी नहीं सोचा था कि  सहानुभूति वाले इस माहौल में भी वह एक नए-नवेले भाजपाई चेहरे बलराज पासी से चुनाव हार जाएंगे. तब बरेली की बहेड़ी विधानसभा सीट भी नैनीताल लोकसभा सीट में आती थी. उस चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर तिवारी ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया, मगर बहेड़ी विधानसभा में मिले कम वोट ने उन्हें भाजपा के बलराज पासी से हरा दिया. उस चुनाव में बलराज पासी को जहां 167509 वोट मिले, वहीं कांग्रेस के एनडी तिवारी को 156080 वोट मिले. इस एक चुनाव ने कई बार केंद्रीय मंत्री रहे एनडी तिवारी के पीएम बनने के सपने को चकनाचूर कर दिया. इसकी टीस आजीवन तिवारी को सताती रही.

क्यों हारे थे चुनाव, क्या अभिनेता दिलीप थे वजह
वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी को दो साल पहले वर्ष 2015 में दिए एक इंटरव्यू में एनडी तिवारी की बातों से पता चलता है कि उन्हें नैनीताल चुनाव की हार हमेशा दुख देती रही. लाजिमी भी है कि जिस चुनाव में सहानुभूति की लहर में छोटे नेता भी चुनाव जीत गए थे, उस चुनाव में बड़े कद के बाद भी उन्हें कम अनुभवी बीजेपी उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा था.  चुनाव हार पर दुख इस वजह से भी थी कि इस चुनाव के कारण ही वह प्रधानमंत्री बनने से चूक गए थे. इंटरव्यू में एनडी तिवारी ने हार का ठीकरा अभिनेता दिलीप कुमार के सिर पर ठीकरा फोड़ा था. जिसकी वजह से थाली में सजा प्रधानमंत्री पद पीवी नरसिम्हा राव को आसानी से मिल गया, जबकि राव हैदराबाद के लिए बोरिया-बिस्तर बांध चुके थे. 2015 के इस इंटरव्यू में बकौल तिवारी," 1991 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान अभिनेता दिलीप  कुमार उन्हें बहेड़ी ले गए थे. जहां अरबी और फारसी में दिलीप साहब ने आजादी की लड़ाई का उनसे मतलब पूछा तो उन्होंने सही जवाब दे दिया. इस दौरान दिलीप कुमार ने उन्हें जिताने की अपील की. तिवारी के मुताबिक उन्हें नहीं मालुम था कि दिलीप कुमार का असली नाम युसुफ खान है. बाद में क्षेत्र में बात फैल गई कि मुस्लिम अभिनेता उन्हें जिताने की अपील कर रहे हैं. जिससे एक वर्ग के वोटों का उन्हें नुकसान झेलना पड़ा."

ND Tiwari: एनडी तिवारी का निधन, यूपी और उत्तराखंड के रह चुके थे सीएम

अमित शाह से की थी मुलाकात
कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे एनडी तिवारी हाल के दिनों में कांग्रेस से नाराज चल रहे थे और उनके बीजेपी में जाने की भी चर्चा उठी थी. हालांकि इसको लेकर असमंजस की स्थिति रही. दरअसल 2017 में पत्नी उज्ज्वला के काथ उन्होंने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की थी, उस दौरान बेटे रोहित तिवारी बीजेपी में शामिल हुए थे. कहा गया था कि एनडी तिवारी भी बीजेपी में शामिल हुए थे, मगर यह बात स्पष्ट नहीं हो सकी थी. 

दो राज्यों का सीएम बनने वाले इकलौते नेता
 एनडी तिवारी देश के इकलौते ऐसे नेता रहे, जिन्हें दो-दो राज्यों का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. उत्तर प्रदेश में जहां 1976-1977, 1984-1985, 1988-1989 तक मुख्यमंत्री रहे वहीं उत्तराखंड बनने के बाद पहले सीएम रहे. यह समय था वर्ष 2002-07 का. केंद्र में लगभग सभी मंत्रालय देख चुके थे. इसमें 1986-87 में विदेश मंत्री भी रहे.  आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल (22 अगस्त 2007 – 26 दिसम्बर 2009) तक रहे.

आपत्तिजनक वीडियो से हुई थी छीछालेदर
वर्ष 2009 में जब एनडी तिवारी आंध्र प्रदेश के राज्यपाल थे, उस दौरान उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थे. इस पर काफी किरकिरी होने पर कांग्रेस ने एनडी तिवारी को हाशिए पर डाल दिया. तिवारी इकलौते ऐसे नेता रहे, जिन्हें दो राज्यों का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. यूपी से जहां तीन बार तो उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे. 

जब बना ली थी अलग पार्टी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के बाद से राजनीति में उतरे नारायण दत्त तिवारी ने लंबा राजनीतिक सफर तय किया. उद्योग, वाणिज्य, पेट्रोलियम और वित्त मंत्री रहने के साथ योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे. केंद्र सरकार में लंबी भूमिकाएं निभाईं. वर्ष 1995 में नाराजगी के चलते एनडी तिवारी ने कांग्रेस छोड़कर अलग पार्टी बना ली थी. हालांकि सफल न होने पर दोबारा उन्होंने घर वापसी की. 

केस होने पर रोहित को माना बेटा
वर्ष 2008 में रोहित शेखर ने उन्हें जैविक पिता बताते हुए कोर्ट में मुकदमा कर दिया था. जिस पर कोर्ट ने डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया तो एनडी तिवारी ने अपना नमूना ही नहीं दिया. बाद में कोर्ट के आगे नतमस्तक होते हुए एनडी तिवारी ने जहां रोहित को अपना कानूनी रूप से बेटा मानते हुए संपत्ति का वारिस बनाया, वहीं उज्जवला से 88 साल की उम्र में शादी की. दरअसल उज्जवला से एनडी तिवारी के पुराने प्रेम संबंध रहे, मगर उन्होंने शादी नहीं की थी. 

वीडियो-जब एनडी तिवारी ने किया उज्ज्वला से विवाह 

 

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