तिरुवंतपुरम:
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के श्री पद्मनाथ स्वामी मंदिर के तहखानों के अंदर से खजाने का पता लगाने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति आरवी रविंद्रन और न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने यह भी सुझाव दिया कि तिरुवनंतपुरम स्थित शताब्दियों पुराने इस मंदिर से मिल रहे खजाने के संरक्षण के लिए किसी संग्रहालयाध्यक्ष की नियुक्ति की जाए। शीर्ष अदालत के ये निर्देश त्रावणकोर के पूर्व राजा राम वर्मा के परिवार के एक सदस्य की याचिका पर आए। इस याचिका में केरल हाईकोर्ट के 31 जनवरी के फैसले को चुनौती दी गई थी। केरल हाईकोर्ट ने देवस्थल की संपत्तियों और प्रबंधन को नियंत्रण में लेने के सरकार को निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के खजाने का पता लगाने के काम की निगरानी कर रहे पर्यवेक्षक पर प्रक्रिया के बारे में कोई साक्षात्कार देने पर भी रोक लगाते हुए कहा कि यह मामला सरकार से संबंधित है। इस मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 8 जुलाई तय कर दी। इससे पहले 2 मई को राम वर्मा के ज्येष्ठ भाई मार्तंड वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने निर्देश दिए थे कि मंदिर के तहखाने में मिल रहे सामान और बेशकीमती आभूषणों की विस्तृत वस्तु-सूची बनाई जाए। न्यायालय ने केरल हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएन कृष्णन और न्यायमूर्ति सीएस राजन को पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त कर दिया था, ताकि वे मंदिर के खजाने का पता लगाने की प्रक्रिया पर नजर रख सकें। न्यायालय ने कहा था कि इन न्यायाधीशों की मौजूदगी में ही वस्तु-सूची बनाई जाए। इस मामले में मार्तंड वर्मा सहित दो याचिकाकर्ताओं को भी शीर्ष अदालत ने वस्तु-सूची बनाए जाने के दौरान मौजूद रहने के लिए अधिकृत कर दिया था। न्यायालय ने यह भी कहा था कि वस्तु-सूची देवोस्वम विभाग के सचिव या उनके द्वारा नामित किसी व्यक्ति की मौजूदगी में बनाई जाए। इस दौरान पुरातत्व विभाग का कोई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
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