असम में आई बाढ़ से 52 लाख लोग प्रभावित, अभी तक 20 की मौत

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) के संभागीय वन अधिकारी रोहिणी बल्लभ सैकिया ने कहा कि वन सुरक्षाकर्मियों के अलावा राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) की टीम भी उद्यान के संवेदनशील स्थानों पर असम पुलिस के साथ तैनात है.

असम में आई बाढ़ से 52 लाख लोग प्रभावित, अभी तक 20 की मौत

असम में बाढ़ से बिगड़े हालात

खास बातें

  • असम में बाढ़ से बिगड़े हालात
  • बाढ़ से कुल 52 लाख लोग हुए प्रभावित
  • राज्य सरकार ने जारी किया रेड अलर्ट
गुवाहाटी:

असम में आई बाढ़ से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या अब 52 लाख पहुंच गई है. प्रशासन ने इनमें से करीब डेढ़ लाख लोगों को राहत शिविरों में सुरक्षित पहुंचाया है. बाढ़ से बिगड़ते हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने पूरे राज्य में रेड अलर्ट जारी कर दिया है. अभी तक मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को भी बाढ़ की वजह से पांच लोगों की मौत हो गई. इन पांच मौतों के साथ बाढ़ की वजह से कुल मरने वाले लोगों की संख्या 20 पहुंच गई है. राज्य में एनडीआरएफ और सेना राहत और बचाव कार्य लगातार चला रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ बाढ़ से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 150 से अधिक शिकार रोकथाम शिविर प्रभावित हुए हैं. हालांकि इस राष्ट्रीय उद्यान में शिकार पर लगाम लगाने के लिये अधिकारी 24 घंटे काम कर रहे हैं. कांजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है. उद्यान के कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी किसी भी संभावित घटना से निपटने के लिये देसी और मशीनीकृत नौकाओं की मदद से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. असम के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार राज्य के गोलाघाट और नगांव जिलों में स्थित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का 90 फीसदी हिस्सा अब तक जलमग्न हैं. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) के संभागीय वन अधिकारी रोहिणी बल्लभ सैकिया ने कहा कि वन सुरक्षाकर्मियों के अलावा राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) की टीम भी उद्यान के संवेदनशील स्थानों पर असम पुलिस के साथ तैनात है.

असम में बाढ़ से हालात और खराब, अब तक हो चुकी है 11 की मौत

केएनपी में 199 शिकार रोकथाम शिविर में से 155 बाढ़ के पानी से प्रभावित हैं. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में एक सींग वाले भारतीय गैंडे की दुनिया में सबसे अधिक आबादी है. यहां बाघ, हाथी, भालू (स्लॉथ बियर), बंदर और कस्तूरी हिरन जैसे अन्य जानवर भी हैं. जारी बयान के अनुसार कुछ जानवरों ने उद्यान के अंदर स्थित ऊंचे स्थानों पर शरण ली है और कई राष्ट्रीय राजमार्ग 37 को पार कर कार्बी आंगलोंग में ऊंचाई वाली जगहों पर चले गये हैं.  केएनपी का 90 प्रतिशत हिस्सा जलमग्न है हालांकि उद्यान के अंदर जलस्तर में कमी आई है, जिससे राजमार्ग पर मंगलवार को भारी वाहनों की आवाजाही बहाल हो गई. सैकिया ने कहा कि यात्री बसों को उद्यान से होकर जाने की अभी अनुमति नहीं है.

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राष्ट्रीय राजमार्ग पर अभी तक छह हादसों की जानकारी मिली है जिनमें पांच हिरन और एक चीतल की मौत हुई है. बाढ़ के दौरान विभिन्न कारणों से घायल हुए पांच अन्य जानवरों की भी मौत हुई है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन्य बल के प्रमुख ए एम सिंह ने उद्यान के कई इलाकों का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया. अन्य प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन रंजना गुप्ता भी अभियान का जायजा ले रही हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से बात की और केएनपी समेत राज्य में बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया तथा हर संभव मदद का आश्वासन दिया. बता दें कि राज्य के 33 में से 30 जिले अभी भी बाढ़ की चपेट में है. बाढ़ की वजह से किसानों की फसल को भी बड़ा नुकसान हुआ है. गौरतलब है कि असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि राज्य के 4,157 गांवों के 42.87 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. राज्य में ब्रह्मपुत्र का जलस्तर खतरे के निशान से पार चला गया है. उधर, बिहार में सैलाब की वजह से मरने वालों की संख्या 24 हो गई है. पड़ोसी देश नेपाल में मूसलाधार बारिश के बाद राज्य के 12 जिलों में आई बाढ़ की वजह से 25.66 लाख लोग प्रभावित हैं.

पूर्वी चम्पारण जिले में दो अलग अलग घटनाओं में पांच और बच्चे डूब गए हैं, लेकिन राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे बाढ़ से संबंधित घटना मानने से इनकार किया. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने, बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई मुआयना किया.मिज़ोरम में खतलंगतुईपुई नदी में बाढ़ आने की वजह से 32 गांव प्रभावित हुए हैं और कम से कम एक हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा हैं.

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वहीं वर्षा संबंधित घटनाओं में पांच लोगों की मौत हो गई है. मेघालय में पिछले सात दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से दो नदियों में बाढ़ आ गई है जिनका पानी पश्चिम गारो हिल्स जिले के मैदानी इलाकों में घुस गया है जिससे कम से कम 1.14 लाख लोग प्रभावित हैं. बहरहाल,त्रिपुरा में सैलाब के हालात में सुधार के संकेत मिले हैं क्योंकि दो नदियों में पानी घटना शुरू हो गया है. अधिकारियों ने बताया कि एनडीआरएफ और सुरक्षा बलों के कर्मियों ने बाढ़ प्रभावित खोवई और पश्चिम त्रिपुरा जिलों से कई लोगों को बचाया है. 

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