कासगंज हिंसा के मद्देनजर पुलिस बल तैनाती
कासगंज:
सोमवार को कासगंज हिंसा में मारे गये चंदन गुप्ता के घर पहुंचे जिलाधिकारी को उनके परिवार वालों के गुस्से का सामना करना पड़ा. जिलाधिकारी आर पी सिंह, मृतक चंदन गुप्ता के परिवार को मुआवजे की राशि देने गये थे लेकिन परिवार का कहना था कि उन्हें पैसे नहीं चंदन के लिए शहीद का दर्जा चाहिए.
जिलाधिकारी ने कहा कि शहीद का दर्जा दिलवाना उनके हाथ में नहीं है. उसकी एक तय प्रक्रिया होती है. लेकिन कासगंज के तमाम इलाकों में घूमने से पता चलता है कि दो समुदायों के बीच गहरी दरार है. चंदन के लिये शहीद का दर्जा मांगना ये भी दिखाता है कि हिन्दू और मुस्लिम समुदायों के बीच नफरत और अविश्वास की खाई किस तेज़ी से बढ़ी है.
एनडीटीवी से बातचीत के दौरान चंदन के इलाके में रहने वाले मयंक और उनके साथियों से बात में इसकी झलक दिखी, जिनका स्पष्ट कहना था कि चंदन की हत्या मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इरादतन की है. इन लोगों ने ये भी कहा कि तमाम लोगों के दिलो दिमाग में डर घर कर गया है.
यह भी पढ़ें - कासगंज हिंसा के शिकार चंदन को शहीद का दर्जा दिए जाने की बीजेपी विधायक ने की मांग
एनडीटीवी के रिपोर्टर के मुताबिक, कासगंज में हिन्दू समुदाय के लोग विभिन्न चैनलों के रिपोर्टरों से ये सवाल पूछ रहे थे कि आखिर मुस्लिमों को वन्देमातरम कहने में क्या दिक्कत है. उधर वीर अब्दुल हमीद तिराहे पर हमारी मुलाकात कई मुस्लिमों से हुई जिनका साफ कहना था कि वो लोग खुद उस दिन तिरंगा फहराने के लिए जलसा कर रहे थे और उनके कार्यक्रम में कुछ लोगों ने खलल डाला.
असल में पूरे फसाद के पीछे कासगंज के चामुंडा देवी मंदिर को सजाने और रोशनियां लगाने को भी एक वजह बताया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मामले को लेकर हिन्दू और मुस्लिम समुदायों में टकराव होता रहा है. पिछली 23 जनवरी को भी इसे लेकर विवाद हुआ. माना जा रहा है कि 26 जनवरी की घटना के पीछे चामुंडा देवी विवाद की कड़वाहट का हाथ भी रहा हो.
यह भी पढ़ें - कासगंज हिंसा को राज्यपाल राम नाईक ने बताया कलंक, मायावती सरकार पर बरसीं
बता दें कि 26 जनवरी की घटना में तिरंगा यात्रा के दौरान दो समुदाय की झड़प में चंदन गुप्ता नामक युवक की मौत हो गई थी और अन्य घायल हो गये थे.
VIDEO: कासगंज हिंसा का जिम्मेदार कौन?
जिलाधिकारी ने कहा कि शहीद का दर्जा दिलवाना उनके हाथ में नहीं है. उसकी एक तय प्रक्रिया होती है. लेकिन कासगंज के तमाम इलाकों में घूमने से पता चलता है कि दो समुदायों के बीच गहरी दरार है. चंदन के लिये शहीद का दर्जा मांगना ये भी दिखाता है कि हिन्दू और मुस्लिम समुदायों के बीच नफरत और अविश्वास की खाई किस तेज़ी से बढ़ी है.
एनडीटीवी से बातचीत के दौरान चंदन के इलाके में रहने वाले मयंक और उनके साथियों से बात में इसकी झलक दिखी, जिनका स्पष्ट कहना था कि चंदन की हत्या मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इरादतन की है. इन लोगों ने ये भी कहा कि तमाम लोगों के दिलो दिमाग में डर घर कर गया है.
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एनडीटीवी के रिपोर्टर के मुताबिक, कासगंज में हिन्दू समुदाय के लोग विभिन्न चैनलों के रिपोर्टरों से ये सवाल पूछ रहे थे कि आखिर मुस्लिमों को वन्देमातरम कहने में क्या दिक्कत है. उधर वीर अब्दुल हमीद तिराहे पर हमारी मुलाकात कई मुस्लिमों से हुई जिनका साफ कहना था कि वो लोग खुद उस दिन तिरंगा फहराने के लिए जलसा कर रहे थे और उनके कार्यक्रम में कुछ लोगों ने खलल डाला.
असल में पूरे फसाद के पीछे कासगंज के चामुंडा देवी मंदिर को सजाने और रोशनियां लगाने को भी एक वजह बताया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मामले को लेकर हिन्दू और मुस्लिम समुदायों में टकराव होता रहा है. पिछली 23 जनवरी को भी इसे लेकर विवाद हुआ. माना जा रहा है कि 26 जनवरी की घटना के पीछे चामुंडा देवी विवाद की कड़वाहट का हाथ भी रहा हो.
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बता दें कि 26 जनवरी की घटना में तिरंगा यात्रा के दौरान दो समुदाय की झड़प में चंदन गुप्ता नामक युवक की मौत हो गई थी और अन्य घायल हो गये थे.
VIDEO: कासगंज हिंसा का जिम्मेदार कौन?
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