
कर्नाटक पुलिस ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन की संदिग्ध मौत की जांच शुरू कर दी है. वह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के प्रमुख बनने वाले पहले गैर-फसल वैज्ञानिक थे. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. 70 वर्षीय अय्यप्पन एक सम्मानित जलीय कृषि वैज्ञानिक और भारत की 'नीली क्रांति' के एक प्रमुख नेता थे. वे रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए गए. उनका क्षत-विक्षत शव शनिवार को मांड्या जिले के श्रीरंगपटना शहर के पास कावेरी नदी में मिला.
डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन 7 मई से लापता थे. वह हमेशा की तरह अपने घर से निकले थे लेकिन वापस नहीं पहुंचे थे. पुलिस के अनुसार, अय्यप्पन का स्कूटर नदी के किनारे लावारिस हालत में मिला था. मामले को संभाल रही श्रीरंगपटना पुलिस ने कहा कि उनके परिवार ने मैसूर के विद्यारण्यपुरम पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी.
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अय्यप्पन ने श्रीरंगपटना में साईं बाबा आश्रम के पास नदी में छलांग लगाई होगी. उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और पुलिस रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. परिवार के सदस्यों और दोस्तों ने पुलिस को बताया कि अय्यप्पन अक्सर ध्यान के लिए कावेरी नदी के किनारे जाया करते थे. वह मैसूर में रामकृष्ण आश्रम में भी अक्सर जाते थे. पुलिस को नदी में तैरते हुए एक शव के बारे में लोगों से सूचना मिलने के बाद उनका शव बरामद किया गया है.
शुरुआती जांच में माना जा रहा है कि उन्होंने आत्महत्या की है लेकिन पुलिस का कहना है पूरी जांच के बाद ही उनकी मौत के सही कारणों की पुष्टि की जा सकती है. अय्यप्पन के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटियां और एक दामाद है. डॉ. अय्यप्पन ने 2016 तक ICAR के हेड के तौर पर काम किया था. उन्हें 2013 में राज्योत्सव अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था और 2022 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.
कृषि और मत्स्य पालन के साइंटिस्ट अय्यप्पन ने कई शहरों में काम किया है. इनमें दिल्ली, मुंबई, भोपाल, भुवनेश्वर और बेंगलुरु शामिल है. उन्होंने भुवनेश्वर में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर (CIFA) के निदेशक और मुंबई में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन (CIFE) के निदेशक के रूप में काम किया है.
उन्होंने भारत की नीली क्रांति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई संस्थानों के निर्माण और पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने इम्फाल में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU) के कुलपति के रूप में भी काम किया है.
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