प्रतीकात्मक फोटो
बेंगलुरु:
कर्नाटक सरकार के वाणिज्य कर विभाग ने फरमान जारी कर राज्य के सभी लगभग 500 अस्पतालों को आदेश दिया है कि जिन इंटेंसिव केयर यूनिट्स का किराया एक हजार रुपये या इससे ज्यादा है उसके बिल का 8 फीसदी लक्ज़री टैक्स के रूप में सरकार को देना होगा। यह आदेश निजी और सरकारी सभी अस्पतालों पर लागू होगा।
मरीजों पर पड़ेगा आर्थिक बोझ
कर्नाटक के निजी अस्पतालों के संघ के अध्यक्ष डॉ इन स्वामी ने बताया की ऐसे हालात में 8 फीसदी का बोझ मरीजों पर ही पड़ेगा। अस्पतालों को यह टैक्स वसूलना होगा। दरसअल जिस जगह पर एयर कंडीशनर और टीवी स्क्रीन का इस्तेमाल व्यावसायिक स्तर पर होता है वहां लक्ज़री टैक्स लगाया जाता है इसी को ध्यान में रखकर वणिज्य कर विभाग ने इस पुराने कानून को लागू करने का फैसला लिया है।
मंत्रियों और नौकरशाहों को समझना होगा कि आईसीयू में दाखिल किए गए ज्यादातर मरीज अपने होश में नहीं होते। उन्हें यह भी पता नहीं होता कि उनके साथ क्या हो रहा है। जिंदगी और मौत के बीच एक अनजानी जंग लड़ रहे मरीजों से लक्ज़री टैक्स वसूलने का सरकारी फरमान उपहास का विषय बन गया है। आम तौर पर माध्यम दर्जे के अस्पतालों में आईसीयू का प्रतिदिन का भाड़ा उपकरणों के साथ 8 से 10 हजार रुपये होता है। ऐसे में 8 फीसदी टैक्स 6 से 800 रुपये का अलग से आर्थिक बोझ मरीजों पर डालेगा।
सरकारी फैसले के बारे में मुख्यमंत्री को पता नहीं
जब इस बारे में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से पूछा गया कि आखिर यह फैसला कहां तक तर्कसंगत है, तो मुख्यमंत्री का कहना था कि किसी ने इस बारे में उन्हें बताया है। वे देखेंगे कि क्या किया जा सकता है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की बातों से साफ है कि नौकरशाही उनकी सरकार पर हावी है। जनहित से जुड़े फैसले बगैर उनकी जानकारी के अधिकारी ले लेते हैं।
मरीजों पर पड़ेगा आर्थिक बोझ
कर्नाटक के निजी अस्पतालों के संघ के अध्यक्ष डॉ इन स्वामी ने बताया की ऐसे हालात में 8 फीसदी का बोझ मरीजों पर ही पड़ेगा। अस्पतालों को यह टैक्स वसूलना होगा। दरसअल जिस जगह पर एयर कंडीशनर और टीवी स्क्रीन का इस्तेमाल व्यावसायिक स्तर पर होता है वहां लक्ज़री टैक्स लगाया जाता है इसी को ध्यान में रखकर वणिज्य कर विभाग ने इस पुराने कानून को लागू करने का फैसला लिया है।
मंत्रियों और नौकरशाहों को समझना होगा कि आईसीयू में दाखिल किए गए ज्यादातर मरीज अपने होश में नहीं होते। उन्हें यह भी पता नहीं होता कि उनके साथ क्या हो रहा है। जिंदगी और मौत के बीच एक अनजानी जंग लड़ रहे मरीजों से लक्ज़री टैक्स वसूलने का सरकारी फरमान उपहास का विषय बन गया है। आम तौर पर माध्यम दर्जे के अस्पतालों में आईसीयू का प्रतिदिन का भाड़ा उपकरणों के साथ 8 से 10 हजार रुपये होता है। ऐसे में 8 फीसदी टैक्स 6 से 800 रुपये का अलग से आर्थिक बोझ मरीजों पर डालेगा।
सरकारी फैसले के बारे में मुख्यमंत्री को पता नहीं
जब इस बारे में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से पूछा गया कि आखिर यह फैसला कहां तक तर्कसंगत है, तो मुख्यमंत्री का कहना था कि किसी ने इस बारे में उन्हें बताया है। वे देखेंगे कि क्या किया जा सकता है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की बातों से साफ है कि नौकरशाही उनकी सरकार पर हावी है। जनहित से जुड़े फैसले बगैर उनकी जानकारी के अधिकारी ले लेते हैं।
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