कर्नाटक उच्च न्यायालय के जज एचपी संदेश ने सोमवार को कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के खिलाफ उनकी टिप्पणी के बाद उन्हें तबादले की धमकी दी गई थी. जज ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को लेकर टिप्पणी की थी ये 'कलेक्शन सेंटर' बन गया है. जस्टिस ने कहा कि वह इस तरह की धमकियों से नहीं डरते. जस्टिस संदेश ने पिछले सप्ताह एसीबी और उसके कामकाज के खिलाफ बेंगलुरु शहर के उपायुक्त के कार्यालय में एक उप-तहसीलदार पी एस महेश की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की थी.
कार्यालय के दो कर्मचारियों को भूमि विवाद में आदेश के बदले 5 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. अदालत ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि कैसे वरिष्ठ अधिकारियों को बचाया जा रहा है और केवल कनिष्ठ कर्मचारियों पर मुकदमा चलाया जा रहा है.
इसी मामले में एसीबी ने सोमवार को आईएएस अधिकारी और बेंगलुरु शहर के पूर्व उपायुक्त मंजूनाथ जे को गिरफ्तार किया गया है.
न्यायमूर्ति संदेश ने कहा था कि एसीबी एक "कलेक्शन सेंटर" बन गया है और एसीबी के एडीजीपी एक दागी अधिकारी हैं. कोर्ट ने 29 जून को एसीबी को 2016 से उन सभी मामलों का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया था जिनमें एसीबी ने 'B' रिपोर्ट दाखिल की थी.
जब मामला सोमवार को फिर सुनवाई के लिए आया, तो न्यायमूर्ति संदेश ने कहा, "मैं इसके लिए तैयार हूं, लोगों की भलाई के लिए. आपका एसीबी एडीजीपी एक शक्तिशाली व्यक्ति लगता है. किसी ने मेरे सहयोगी को यह बताया है. मुझे इसके बारे में मुझे एक जज ने जानकारी दी. आदेश में ट्रांसफर की धमकी दर्ज की जाएगी.' एसीबी के एडीजीपी सीमांत कुमार सिंह हैं.
जज ने आगे कहा कि वह धमकियों से नहीं डरते.
'मैं किसी से नहीं डरता. मैं बिल्ली को घंटी बांधने के लिए तैयार हूं. जज बनने के बाद मैंने संपत्ति जमा नहीं की है. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता अगर मैं पद खो देता हूं. मैं एक किसान का बेटा हूं. मैं खेती करने के लिए तैयार हूं. मैं किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं हूं. मैं किसी भी राजनीतिक विचारधारा का पालन नहीं करता हूं.'
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