दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में सोमवार को व्हाट्ससऐप की नई विवादित प्राइवेसी पॉलिसी (WhatsApp's new privacy policy) मामलेे मेंं सुनवाई के दौरान देश के दो शीर्ष वकीलों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हुई जो बेहद हास्यास्पद रही. कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सोशल मैसेजिंग ऐप स्वैच्छिक (voluntary) है और लोग यदि इसके नियमों और शर्तों से सहमत नहीं हैं तो इसका उपयोग नहीं करे या किसी दूसरे प्लेटफॉर्म से जुड़ सकते हैं. लेकिन इसके इतर दोनों वकील इस बात पर बहस करते नजर आए कि व्हाट्सएप का प्रतिनिधित्व कौन कर रहा है और फेसबुक की ओर से कौन पेश हुआ है जिसके पास इस मैसेजिंग ऐप का स्वामित्व है.
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मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने कहा, 'मैं व्हाट्ससऐप की ओर से पेश हुआ हूं.' इस पर कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) बोले, 'मैं व्हाट्पऐप की ओर से पेश हो रहा हूं आप फेसबुक की ओर से पेश हो रहे हैं.' अब बारी रोहतगी ने कहा-'वाकई? मैं तो इसके विपरीत सोच रहा था.' इस पर जज जस्टिस संजीव सचदेव ने बातचीत में दखल दिया और कहा, 'आप दोनों को कुछ आंकड़े पेश करने की जरूरत है कि कौन, किसी ओर से पेश हो रहा है.' गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती दी थी, जो फरवरी में लागू होने वाली थी, हालांकि अब इसे मई तक के लिए टाल दिया गया है. याचिका में कहा गया था कि यह पॉलिसी, यूजर की ऑनलाइन गतिविधियों पर पूरी पहुंच (full access) का अधिकार देती है. याचिका की ओर से पेश हुए वकील ने दावा किया कि विकल्प को खारिज करते हुए भी व्हाट्सऐप के उपयोग का अधिकार यूजर्स को यूरोपीय देशों में तो दिया गया है लेकिन भारत में नहीं. WhatsApp और Facebook की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि याचिका सुनने लायक नहीं है और इसमें उठाए गए ज्यादा मुद्दों का आधार नहीं है.
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