मध्य प्रदेश की गुना सीट से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आगे चल रहे हैं. साल 2019 के चुनाव में सिंधिया अपने परिवार की इस परंपरागत सीट से चुनाव हार गए थे. उन्हें बीजेपी उम्मीदवार केपी यादव से हार गए थे. इसके बाद वो बीजेपी में शामिल हो गए. इस बार सिंधिया का मुकाबला कांग्रेस ने राव यादवेंद्र सिंह से है.
सिंधिया परिवार की सीट है गुना
मध्य प्रदेश की गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट को ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की परंपरागत सीट माना जाता है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अब तक हुए दो उपचुनाव समेत 18 लोकसभा चुनावों में से 14 बार गुना ने सिंधिया राज परिवार पर भरोसा जताया है. हालांकि 2019 के चुनाव में सिंधिया परिवार के ज्योतिरादित्य सिंधिया को यहां अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने अपने सासंद का टिकट काटकर उन्हें उम्मीदवार बनाया है.वहीं कांग्रेस पहली बार सिंधिया परिवार की छाया से निकलकर चुनाव लड़ रही है. उसने यादवेंद्र सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है.
गुना सीट का भूगोल
गुना लोकसभा सीट में अशोकनगर, शिवपुरी और गुना जिले के हिस्से आते हैं. इस लोकसभा सीट के तहत आठ विधानसभा सीटें शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, बमोरी, चंदेरी, मुंगावली, पिछोर और कोलारस आती हैं. इनमें से दो अशोकनगर और बमोरी पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं शिवपुरी, गुना, चंदेरी, मुंगावली, पिछोर और कोलारस पर बीजेपी का कब्जा है. गुना में तीसरे चरण में सात मई को मतदान हुआ था.चुनाव आयोग के मुताबिक गुना में यहां 72.43 फीसदी मतदान हुआ है. अगर विधानसभा वार मतदान की बात करें तो शिवपुरी में 69.24,गुना में 70.70,अशोकनगर में 74.13,बमोरी में 75.47,चंदेरी में 73.55,मुंगावली में 72.12,पिछोर में 74.11 और कोलारस में 70.74 फीसदी मतदान हुआ था.
गुना संसदीय सीट शुरू से ही सिंधिया राजघराने की परंपरागत सीट रही है.ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी 1957 में पहली बार गुना सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीती थीं. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया परिवार का यह किला ढह गया था. कांग्रेस उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के केपी यादव से चुनाव हार गए थे. इसके बाद सिंधिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए.पिता माधवराव सिंधिया की मौत के बाद ज्योतिरादित्य पहली बार 2002 में इस सीट से चुनाव जीते थे. इसके बाद 2002 से 2014 तक के चुनाव में वो यहां से सांसद चुने गए. लेकिन 2019 के चुनाव में सिंधिया को केपी यादव ने एक लाख 25 हजार 548 वोट से हरा दिया था. ट
गुना में कौन है कांग्रेस उम्मीदवार
इस बार सिंधिया की छाया से बाहर आकर चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने राव यादवेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है.वे अशोक नगर से जिला पंचायत सदस्य हैं. वे 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आ गए.वो मुंगावली सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे, लेकिन चुनाव हार गए थे. उनके पिता देशराज सिंह बीजेपी से दो बार विधायक रह चुके हैं.यादवेंद्र सिंह को छोड़कर उनके परिवार के बाकी सदस्य अभी भी बीजेपी में हैं.
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