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This Article is From Jan 24, 2019

CBI मामला: नागेश्वर राव केस से CJI के बाद अब जस्टिस सीकरी भी अलग, कहा- काश सुनवाई कर पाता, AG बोले- हमें कोई आपत्ति नहीं

केस से अलग होते हुए सीजेआई ने कहा था कि वह याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते क्योंकि वह अगले सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली समिति बैठक का हिस्सा होंगे.

नागेश्वर राव (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

सीबीआई (CBI) के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव (M Nageswara Rao) के केस से भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) के बाद अब जस्टिस एके सीकरी (Justice AK Sikri) भी अलग हो गए हैं. जैसे ही मामला सुनवाई के लिये आया न्यायमूर्ति सीकरी ने गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे को बताया कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहते और खुद को इससे अलग कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'आप मेरी स्थिति समझते हैं, मैं इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकता.' बता दें, जस्टिस सीकरी सीबीआई निदेशक अलोक वर्मा को पद से हटाने वाली उच्च अधिकार प्राप्त समिति का हिस्सा थे.

इस पर याचिकाकर्ता की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि इससे गलत संदेश जाएगा और हमें कल ही पता होता तो हम सीजेआई से अपील करते. दवे ने आज ही इस पर दिशानिर्देश देने की मांग की. लेकिन जस्टिस सीकरी ने कहा कि ये ज्यूडिशियल आदेश है लिहाजा मैं बिना बेंच के सामने बैठे कैसे खुद को अलग करने की बात कह सकता हूं? दुष्यंत दवे ने दलील दी कि आलोक वर्मा को हटाने के लिए तो कोर्ट ने एक हफ्ते में मीटिंग करने का आदेश दिया था. पर राव के मामले में सुनवाई टलती ही जा रही है. यही तो टालना सरकार को अनुकूल लगता है. आप कृपया आज ही कुछ करें. लेकिन कोर्ट ने भी कानूनी प्रक्रिया के सामने अपनी मजबूरी बताते हुए कोई भी आदेश नहीं दिया. इसके साथ ही जस्टिस सीकरी ने कहा कि काश मैं इस केस की सुनवाई कर पाता. इस दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अगर वो इस केस को सुनते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.

बता दें, सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के अंतरिम निदेशक के पद पर एम. नागेश्वर राव की नियुक्ति को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई की गई. गैर सरकारी संगठन ‘कामन कॉज' ने यह जनहित याचिका दायर की है और इसमें सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में एम. नागेश्वर राव की नियुक्ति निरस्त करने का आग्रह किया गया है. पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस ने खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया था और मामले को जस्टिस एके सीकरी की पीठ में सूचीबद्ध किया था. 

गौरतलब है कि केस से अलग होते हुए सीजेआई ने कहा था कि वह याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते क्योंकि वह अगले सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली समिति बैठक का हिस्सा होंगे. प्रधानमंत्री, विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी का नेता और सीजेआई या उनके द्वारा नामित शीर्ष अदालत का कोई न्यायाधीश इस उच्चाधिकार प्राप्त समिति का हिस्सा होते हैं. सीजेआई ने खुद को केस से अलग करते हुए आग्रह किया था कि CBI निदेशक को शॉर्टलिस्ट किए जाने, चुने जाने तथा नियुक्ति करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए.

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नागेश्वर राव की नियुक्ति के खिलाफ याचिका में कहा गया है कि नियुक्ति मनमानी और गैरकानूनी है. याचिका के अनुसार नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने का सरकार का पिछले साल 23 अक्टूबर का आदेश शीर्ष अदालत ने निरस्त कर दिया था. लेकिन सरकार ने मनमाने, गैरकानूनी और दुर्भावनापूर्ण तरीके से कदम उठाते हुए पुन: यह नियुक्ति कर दी.

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