यमुना एक्सप्रेसवे.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यह ‘‘स्पष्ट किया जाना चाहिए’’ कि करोड़ों रुपये की लागत से बना छह लेन का यमुना एक्सप्रेसवे जेपी समूह का है या नहीं. दरअसल समूह अब इसे बेचना चाहता है. एक्सप्रेस वे ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ता है.
आईडीबीआई बैंक की ओर से पेश अधिवक्ता ने 165 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे को बेचने के आवेदनकर्ता कंपनी के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने जेपी एसोसिएट्स के समक्ष यह सवाल रखा.
यह भी पढ़ें : जब ट्रायल के दौरान यमुना एक्सप्रेस-वे पर लैंड हुआ IAF का लड़ाकू विमान मिराज-2000
शीर्ष अदालत जेपी एसोसिएट्स की याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें कंपनी ने पैसा जुटाने के उद्देश्य से यमुना एक्सप्रेसवे को बेचने की इजाजत मांगी थी. कंपनी ने कहा था कि उसके पास 2,500 करोड़ रुपये में संपत्ति को बेचने का प्रस्ताव है.
जेपी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपील सिब्बल ने पीठ को इस प्रस्ताव के बारे में जानकारी दी. लेकिन आईडीबीआई बैंक की ओर से पेश अधिवक्ता ने सिब्बल के इस दावे का विरोध किया और दावा किया कि उन्हें एक्सप्रेसवे को बेचने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि यह संपत्ति कंपनी की नहीं है.
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प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि संपत्ति आपकी (जेपी एसोसिएट्स) है या नहीं. ’’ सिब्बल ने कहा कि कंपनी की प्राथमिकता घर खरीदने वाले लोग हैं जिन्होंने उनकी आवासीय योजनाओं में फ्लैट बुक करवाए. कंपनी उनकी मदद करना चाहती है और इस राशि का इस्तेमाल परियोजनाओं को पूरा करने और फ्लैट का अधिकार खरीदारों को देने में किया जाएगा.
(इनपुट भाषा से)
आईडीबीआई बैंक की ओर से पेश अधिवक्ता ने 165 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे को बेचने के आवेदनकर्ता कंपनी के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने जेपी एसोसिएट्स के समक्ष यह सवाल रखा.
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शीर्ष अदालत जेपी एसोसिएट्स की याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें कंपनी ने पैसा जुटाने के उद्देश्य से यमुना एक्सप्रेसवे को बेचने की इजाजत मांगी थी. कंपनी ने कहा था कि उसके पास 2,500 करोड़ रुपये में संपत्ति को बेचने का प्रस्ताव है.
जेपी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपील सिब्बल ने पीठ को इस प्रस्ताव के बारे में जानकारी दी. लेकिन आईडीबीआई बैंक की ओर से पेश अधिवक्ता ने सिब्बल के इस दावे का विरोध किया और दावा किया कि उन्हें एक्सप्रेसवे को बेचने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि यह संपत्ति कंपनी की नहीं है.
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प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि संपत्ति आपकी (जेपी एसोसिएट्स) है या नहीं. ’’ सिब्बल ने कहा कि कंपनी की प्राथमिकता घर खरीदने वाले लोग हैं जिन्होंने उनकी आवासीय योजनाओं में फ्लैट बुक करवाए. कंपनी उनकी मदद करना चाहती है और इस राशि का इस्तेमाल परियोजनाओं को पूरा करने और फ्लैट का अधिकार खरीदारों को देने में किया जाएगा.
(इनपुट भाषा से)
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