दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में रविवार शाम नकाबपोश हमलावरों ने कैम्पस में घुसकर छात्रों और शिक्षकों के साथ मारपीट की. विदेशी अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने चश्मदीदों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हमलावरों ने 'जय श्री राम' के नारे लगाते हुए हमला किया. साथ ही अखबार की रिपोर्ट में एनडीटीवी की रिपोर्ट्स और अन्य टि्वटर पोस्ट्स के हवाले से लिखा है गया कि कैसे यूनिवर्सिटी को गुंडागर्दी को अंजाम दिया गया. इनमें दिखाया गया कि छात्र चिल्ला रहे हैं 'बाहर जाओ'. जेएनयू में हमले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया जा रहा है.
वहीं, जेएनयू में बाहर से घुसे नकाबपोशों को किसने बुलवाया? वहां हुई हिंसा का ज़िम्मेदार कौन है? लेफ्ट और एबीवीपी के लोग इस मामले में एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. लेकिन एनडीटीवी को कुछ तस्वीरें मिली हैं जिनमें एबीवीपी से जुड़े लोग भीड़ के साथ दिखाई पड़ रहे हैं.
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बता दें, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में कुछ हफ्ते पहले फीस वृद्धि किए जाने के बाद से विरोध प्रदर्शन जारी थे, लेकिन पिछले दो-तीन दिन से वामदल-समर्थक विद्यार्थियों और दक्षिणपंथी कहे जाने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के समर्थक विद्यार्थियों के बीच तनाव कुछ बढ़ा हुआ दिखने लगा था, क्योंकि वामपंथी विद्यार्थी फीस वृद्धि के विरोध में नए विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन नहीं होने देना चाहते थे. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रविवार को वामपंथी विद्यार्थियों ने जब रजिस्ट्रेशन के लिए इस्तेमाल किए जा रहे सर्वर को क्षतिग्रस्त कर दिया, तो तनाव काफी बढ़ गया, और वामपंथी विद्यार्थियों ने लगभग 4 बजे पेरियार होस्टल में दक्षिणपंथी विद्यार्थियों पर हमला कर दिया, और उन्हें पीटा.
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बताया गया है कि उस वक्त ABVP के समर्थकों की तादाद काफी कम थी, और उस वक्त कैम्पस के भीतर लगभग 10 पुलिसकर्मी भी सादा वर्दी में मौजूद थे, जिनके साथ भी हाथापाई की गई थी. इस घटना के लिए PCR कॉल भी की गई थी. इसके बाद ABVP समर्थकों ने अपने समर्थकों को फोन करना शुरू कर दिया, और पिटाई की जानकारी दी. इसी वक्त कुछ व्हॉट्सऐप ग्रुप बनाए गए, और बदला लेने की प्लॉनिंग की गई. इसी प्लानिंग के तहत एक कोडवर्ड भी बनाया गया, ताकि हमला करने वाले अपने समर्थकों की पहचान कर पाएं.
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सूत्रों के मुताबिक, शाम लगभग 7 बजे लाठी-डंडों से लैस नकाबपोशों की भीड़ ने कैम्पस में हमला कर दिया. उस समय कैम्पस में अंधेरा था, जिसकी वजह से किसी की भी पहचान कर पाना मुश्किल था, इसलिए कोडवर्ड के ज़रिये हमलावरों ने इस बात की पहचान की कि किन्हें पीटा जाना है, किन्हें नहीं. रात को लगभग 8 बजे कुलपति की अनुमति लेकर पुलिस ने कैम्पस में प्रवेश किया, लेकिन तब तक हमलवार भाग चुके थे.
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