बिहार में आज राज्य की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने राज्य को विशेष दर्ज की मांग को लेकर बंद बुलाया है। बंद के दौरान गांधी मैदान के लिए पैदल मार्च पर निकले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उनके साथ सौतेला व्यवहार हुआ है, सीमांध्र को बिना मांगे दर्जा मिला और बिहार की मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। नीतीश गांधी मैदान पहुंचकर अपने मंत्रियों के साथ धरने पर बैठे।
बंद को देखते हुए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं और बड़ी संख्या में पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों को तैनात किया गया है। बंद के कारण सुबह से ही कई सड़कें बंद हैं, जिससे आम जनता को परेशानी हो रही है। पटना के अधिकांश क्षेत्रों में जेडीयू के कार्यकर्ता सड़कों पर सुबह से ही उतर आए और सड़कें जामकर दी और वाहनों के टायर जलाए। ऐसे तो रविवार के कारण अधिकांश दुकानें बंद रहती हैं, परंतु बंद के कारण भी दुकानें बंद देखी जा रही है।
पटना के राजेंद्र नगर टर्मिनल पर बंद समर्थकों ने राजधानी एक्सप्रेस को रोक दिया, जबकि जहानाबाद में हटिया-पटना और पलामू एक्सप्रेस को रोका गया। जहानाबाद में बंद समर्थक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-83 को भी जामकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
इसके अलावा, राजगीर, बेगूसराय, गोपालगंज, बक्सर, सीवान, भभुआ में भी जेडीयू के कार्यकर्ताओं ने सड़कों और रेल पटरियों पर उतरकर आवागमन बाधित किया। इधर, पटना के अलावा अन्य स्थानों पर सीपीआई के कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतरे और बंद का समर्थन किया।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र के सीमांध्र के तर्ज पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के विरोध में हड़ताल की पूर्व संध्या पर शनिवार देर शाम अपने आवास पर थाली पीटी।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के विरोध में पटना के 1, अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास परिसर में नीतीश ने जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों विजय कुमार चौधरी और श्याम रजक, सांसद आरसीपी सिंह सहित पार्टी के अन्य नेताओं तथा रघुराम राजन कमेटी के सदस्य एवं अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता के साथ देर शाम सात बजे से 7.05 तक थाली पीटी और नारे लगाकर इसकी मांग की।
बाद में नीतीश ने कहा कि विरोध इस बात का है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए इतने लंबे अभियान, सब जगह संकेत देने और संसद में इस बात की चर्चा करने तथा इसके लिए मापदंडों को बदलने की जरूरत है। रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद जो कार्रवाई हो रही थी, उसे अचानक क्यों रोका गया।
(इनपुट भाषा से भी)
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