नई दिल्ली:
कथित कोयला घोटाले के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर संसद की कार्यवाही ठप करता आ रहा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) गुरुवार को उस समय बंटा दिखा जब जनता दल (यूनाइटेड) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग से अलग राग अलापा।
भाजपा की ओर से स्पष्ट किया जा चुका है कि पार्टी इस मसले पर प्रधानमंत्री के इस्तीफे से कम पर कोई समझौता नहीं करेगी। मंगलवार तक भाजपा की हां में हां मिलाने वाले जद (यू) ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर संसद में बहस को तैयार है। भाजपा इस मुद्दे पर बहस को तो कतई तैयार नहीं है।
जद (यू) के प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी इस मसले पर चर्चा को तैयार है।
उन्होंने कहा, "हम संसद में बहस को तैयार हैं। सरकार को कोयला आवंटन पर संसद में स्पष्टीकरण देनी चाहिए।"
तिवारी ने कहा, "हमारी पार्टी चाहती है कि संसद की कार्यवाही चले। वैसे भी संसद की लोक लेखा समिति नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट का पोस्टमॉर्टम करेगी ही। इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए।"
सूत्रों का कहना है कि जद (यू) अध्यक्ष शरद यादव ने मंगलवार को हुई राजग की बैठक में अपनी पार्टी का यही विचार रखा था। पार्टी के एक नेता के मुताबिक यादव ने बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगने का तब तक कोई फायदा नहीं है जब तक कि अन्य विपक्षी पार्टियां इसमें सहयोग नहीं करती।
यादव ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि उनका निजी विचार है कि सीएजी रिपोर्ट पर संसद में चर्चा होनी चाहिए, लेकिन मैं राजग के फैसले से बंधा हुआ भी हूं।"
जद (यू) की इस राय के बारे में जब भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राजग इस मांग को लेकर एकजुट है। रही बात तिवारी की तो यह उनकी निजी राय है।
उन्होंने कहा, "ए राजा और दयानिधि मारन की तरह प्रधानमंत्री को भी पद से इस्तीफा देना चाहिए। दोषियों को दंडित करने का कांग्रेस इरादा ही नहीं रखती। यह उसकी आदत-सी हो गई है कि पहले आरोपों से इनकार करो और फिर जांच में देरी करो और नतीजा सिफर।"
भाजपा नेता बलवीर पुंज ने बातचीत में कहा, "इस घोटाले में प्रधानमंत्री मुख्य आरोपी हैं। ऐसे में घोटाले पर चर्चा कैसे हो सकती है जबकि वह सरकार के मुखिया हैं।"
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री को उनकी जिम्मेदारी से अलग कैसे किया जा सकता है। जब तक वह इस्तीफा नहीं दे देते, हम चर्चा नहीं करेंगे।"
इससे पहले बुधवार सुबह हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में तय किया गया कि पार्टी प्रधानमंत्री के इस्तीफे की अपनी मांग जारी रखेगी, जब तक कि प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं दे देते।
बैठक के बाद वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि इस सरकार पर अब किसी को विश्वास नहीं रहा। नायडू के मुताबिक लालकृष्ण आडवाणी ने बैठक में कहा कि यह सरकार अब इस देश पर बोझ बन गई है, इसलिए इसका जाना जरूरी हो गया है।
भाजपा की ओर से स्पष्ट किया जा चुका है कि पार्टी इस मसले पर प्रधानमंत्री के इस्तीफे से कम पर कोई समझौता नहीं करेगी। मंगलवार तक भाजपा की हां में हां मिलाने वाले जद (यू) ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर संसद में बहस को तैयार है। भाजपा इस मुद्दे पर बहस को तो कतई तैयार नहीं है।
जद (यू) के प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी इस मसले पर चर्चा को तैयार है।
उन्होंने कहा, "हम संसद में बहस को तैयार हैं। सरकार को कोयला आवंटन पर संसद में स्पष्टीकरण देनी चाहिए।"
तिवारी ने कहा, "हमारी पार्टी चाहती है कि संसद की कार्यवाही चले। वैसे भी संसद की लोक लेखा समिति नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट का पोस्टमॉर्टम करेगी ही। इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए।"
सूत्रों का कहना है कि जद (यू) अध्यक्ष शरद यादव ने मंगलवार को हुई राजग की बैठक में अपनी पार्टी का यही विचार रखा था। पार्टी के एक नेता के मुताबिक यादव ने बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगने का तब तक कोई फायदा नहीं है जब तक कि अन्य विपक्षी पार्टियां इसमें सहयोग नहीं करती।
यादव ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि उनका निजी विचार है कि सीएजी रिपोर्ट पर संसद में चर्चा होनी चाहिए, लेकिन मैं राजग के फैसले से बंधा हुआ भी हूं।"
जद (यू) की इस राय के बारे में जब भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राजग इस मांग को लेकर एकजुट है। रही बात तिवारी की तो यह उनकी निजी राय है।
उन्होंने कहा, "ए राजा और दयानिधि मारन की तरह प्रधानमंत्री को भी पद से इस्तीफा देना चाहिए। दोषियों को दंडित करने का कांग्रेस इरादा ही नहीं रखती। यह उसकी आदत-सी हो गई है कि पहले आरोपों से इनकार करो और फिर जांच में देरी करो और नतीजा सिफर।"
भाजपा नेता बलवीर पुंज ने बातचीत में कहा, "इस घोटाले में प्रधानमंत्री मुख्य आरोपी हैं। ऐसे में घोटाले पर चर्चा कैसे हो सकती है जबकि वह सरकार के मुखिया हैं।"
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री को उनकी जिम्मेदारी से अलग कैसे किया जा सकता है। जब तक वह इस्तीफा नहीं दे देते, हम चर्चा नहीं करेंगे।"
इससे पहले बुधवार सुबह हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में तय किया गया कि पार्टी प्रधानमंत्री के इस्तीफे की अपनी मांग जारी रखेगी, जब तक कि प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं दे देते।
बैठक के बाद वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि इस सरकार पर अब किसी को विश्वास नहीं रहा। नायडू के मुताबिक लालकृष्ण आडवाणी ने बैठक में कहा कि यह सरकार अब इस देश पर बोझ बन गई है, इसलिए इसका जाना जरूरी हो गया है।
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