चेन्नई:
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की हालत रविवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद 'बेहद गंभीर' बनी हुई है, और चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में उन्हें एक्स्ट्रा-कॉरपोरियल मैम्ब्रेन ऑक्सीजेनेशन (ईसीएमओ) डिवाइस पर रखा गया है, ताकि वह सांस ले सकें.
दरअसल ईसीएमओ एक लाइफ सपोर्ट सिस्टम है, जो शरीर को उस समय ऑक्सीजन सप्लाई करने में मदद करता है, जब मरीज़ के फेफड़े या दिल यह काम नहीं कर पा रहे हों.
विशेषज्ञों का कहना है कि इस उपकरण का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब मरीज़ सांस ले पाने के परम्परागत तरीकों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा हो, और इस उपकरण के प्रयोग के लिए शरीर की एक नस में से खून को निकालकर उसे ऑक्सीजेनेटर मशीन से जोड़ दिया जाता है, जिससे खून दिल तथा फेफड़ों का बाईपास कर प्रवाहित होता रहता है.
डॉक्टरों के अनुसार किसी व्यक्ति को इस उपकरण पर कुछ दिन के लिए भी रखा जा सकता है, और कुछ हफ्ते भी. वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ नरेश त्रेहन ने NDTV को बताया, "ईसीएमओ काफी प्रभावी सपोर्ट उपकरण है, जो मरीज़ को रिकवरी का मौका देता है..."
अस्पताल से जारी किए गए बयान के मुताबिक, 'हृदय रोग विशेषज्ञ, पल्मोनरी रोग विशेषज्ञ और नाजुक स्थिति में देखभाल करने वाले विशेषज्ञों की एक टीम जयललिता का इलाज कर रही है और उनकी सेहत की निगरानी कर रही है.' अपोलो अस्पताल ने यह भी बताया कि लंदन से डॉ. रिचर्ड बीयले से सलाह ली गई है और उन्होंने हमारे हृदय रोग विशेषज्ञों और पल्मोनोलॉजिस्ट्स के उपचार की दिशा से सहमति जताई.
जयललिता को दिल का दौरा पड़ने की खबर मिलने के बाद अपोलो अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता जमा हो गए. अस्पताल के इर्द-गिर्द भारी पुलिस बंदोबस्त किया गया है. अस्पताल के आसपास बैरिकेड लगाए गए हैं और निकट की सड़कों पर पुलिस की मौजूदगी है. राज्यभर में पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है और सभी पुलिसकर्मियों से सुबह 7 बजे ड्यूटी पर आने को कहा गया है. अधिकारियों ने कहा कि स्कूलों में कोई छुट्टी घोषित नहीं की गई है और परीक्षाएं निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चलेंगी.
दरअसल ईसीएमओ एक लाइफ सपोर्ट सिस्टम है, जो शरीर को उस समय ऑक्सीजन सप्लाई करने में मदद करता है, जब मरीज़ के फेफड़े या दिल यह काम नहीं कर पा रहे हों.
विशेषज्ञों का कहना है कि इस उपकरण का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब मरीज़ सांस ले पाने के परम्परागत तरीकों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा हो, और इस उपकरण के प्रयोग के लिए शरीर की एक नस में से खून को निकालकर उसे ऑक्सीजेनेटर मशीन से जोड़ दिया जाता है, जिससे खून दिल तथा फेफड़ों का बाईपास कर प्रवाहित होता रहता है.
डॉक्टरों के अनुसार किसी व्यक्ति को इस उपकरण पर कुछ दिन के लिए भी रखा जा सकता है, और कुछ हफ्ते भी. वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ नरेश त्रेहन ने NDTV को बताया, "ईसीएमओ काफी प्रभावी सपोर्ट उपकरण है, जो मरीज़ को रिकवरी का मौका देता है..."
अस्पताल से जारी किए गए बयान के मुताबिक, 'हृदय रोग विशेषज्ञ, पल्मोनरी रोग विशेषज्ञ और नाजुक स्थिति में देखभाल करने वाले विशेषज्ञों की एक टीम जयललिता का इलाज कर रही है और उनकी सेहत की निगरानी कर रही है.' अपोलो अस्पताल ने यह भी बताया कि लंदन से डॉ. रिचर्ड बीयले से सलाह ली गई है और उन्होंने हमारे हृदय रोग विशेषज्ञों और पल्मोनोलॉजिस्ट्स के उपचार की दिशा से सहमति जताई.
जयललिता को दिल का दौरा पड़ने की खबर मिलने के बाद अपोलो अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता जमा हो गए. अस्पताल के इर्द-गिर्द भारी पुलिस बंदोबस्त किया गया है. अस्पताल के आसपास बैरिकेड लगाए गए हैं और निकट की सड़कों पर पुलिस की मौजूदगी है. राज्यभर में पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है और सभी पुलिसकर्मियों से सुबह 7 बजे ड्यूटी पर आने को कहा गया है. अधिकारियों ने कहा कि स्कूलों में कोई छुट्टी घोषित नहीं की गई है और परीक्षाएं निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चलेंगी.
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