जयललिता की फाइल तस्वीर
बेंगलुरु:
आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता को कर्नाटक हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया है। जज ने अपना यह फैसला मात्र 10 सैकेंड में सुना दिया। फैसला आते ही जयललिता के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई और वे जश्न मनाने लगे। फैसले के बाद तमिलनाडु की कैबिनेट में भी खुशी की लहर दौड़ गई और वहां जश्न मनने लगा।
जयललिता के बरी होने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम जल्द ही पद से इस्तीफा दे सकते हैं और वह एक बार फिर राज्य की मुख्यमंत्री बन सकती हैं।
स्पेशल कोर्ट ने उन्हें और तीन अन्य को इसी मामले में दोषी करार देते हुए 4 साल की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने फैसले को पलटते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
फैसले के बाद जयललिता के वकील बी. कुमार ने जानकारी दी कि पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला साबित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, अब जयललिता के फिर से मुख्यमंत्री बनने में कोई अड़ंगा नहीं है।
विशेष अवकाशकालीन एकल पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी.आर. कुमारस्वामी सुबह 11 बजे फैसला सुनाया। पूर्व मुख्यमंत्री और AIADMK प्रमुख जयललिता और उनके लाखों समर्थकों के लिए सोमवार का दिन बेहद अहम और खुशी भरा है। इस सुनवाई के मद्देनजर अदालत के आसपास निषेधाज्ञा लगाई गई है। यह निषेधाज्ञा रात 9 बजे तक प्रभावी रहेगी।
इससे पहले नगर पुलिस आयुक्त एम.एन. रेड्डी ने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगाने का निर्देश दिया। धारा 144 के तहत हाईकोर्ट के आसपास की एक किलोमीटर की परिधि में लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाई गई।
याचिका में आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष अदालत के सज़ा के फ़ैसले को चुनौती दी गई थी। पिछले साल 27 सितंबर को विशेष अदालत ने जयललिता को चार साल की सज़ा सुनाने के साथ-साथ 100 करोड़ का भारी जुर्माना भी लगाया था। विशेष अदालत का फ़ैसला रद्द होने के बाद जयललिता के पास एक बार फिर तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा है।
ये फ़ैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे राज्य की राजनीतिक पटकथा प्रभावित हो सकती है। तमिलनाडु में क़रीब सालभर बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता की अपील पर सुनवाई पूरी करने के लिए तीन महीने की समय सीमा तय की थी। ये फ़ैसला उस समय सीमा के एक दिन पहले सुनाया गया है।
निचली अदालत ने जयललिता और उनकी करीबी शशिकला व उनके दो अन्य रिश्तेदारों इलावरासी और सुधाकरण को पिछले साल 27 सितंबर को चार साल जेल की सजा सुनाई थी। उसने जयललिता पर 100 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया था, जबकि तीन अन्य पर 10-10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
उधर चेन्नई में अन्नाद्रमुक कार्यकर्ताओं ने रविवार को मंदिरों में पूजा अर्चना की और जयललिता के पक्ष में अनुकूल फैसला के लिए प्रार्थनाएं कीं। 'मुख्यमंत्री के रूप में जयललिता की वापसी' की कामना करते हुए महिला कार्यकर्ताओं ने पारंपरिक तरीके से मंदिरों में पूजा की, दीप जलाए और नारियल चढ़ाए।
अन्नाद्रमुक के मुखपत्र 'डॉ नमधु एमजीआर' में ऐसी ही कामना व्यक्त करते हुए प्रतिद्वंद्वी द्रमुक पर निशाना साधा गया। तिरूवरूर में पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं ने माथे पर दूध का बर्तन लेकर जुलूस निकाला। यह जुलूस प्राचीन त्यागराज मंदिर में संपन्न हुआ। तमिलनाडु में कई अन्य स्थानों से भी पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा पूजा अर्चना किए जाने की खबरें भी आयीं।
क्या है मामला?
जयललिता के बरी होने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम जल्द ही पद से इस्तीफा दे सकते हैं और वह एक बार फिर राज्य की मुख्यमंत्री बन सकती हैं।
स्पेशल कोर्ट ने उन्हें और तीन अन्य को इसी मामले में दोषी करार देते हुए 4 साल की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने फैसले को पलटते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
फैसले के बाद जयललिता के वकील बी. कुमार ने जानकारी दी कि पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला साबित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, अब जयललिता के फिर से मुख्यमंत्री बनने में कोई अड़ंगा नहीं है।
विशेष अवकाशकालीन एकल पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी.आर. कुमारस्वामी सुबह 11 बजे फैसला सुनाया। पूर्व मुख्यमंत्री और AIADMK प्रमुख जयललिता और उनके लाखों समर्थकों के लिए सोमवार का दिन बेहद अहम और खुशी भरा है। इस सुनवाई के मद्देनजर अदालत के आसपास निषेधाज्ञा लगाई गई है। यह निषेधाज्ञा रात 9 बजे तक प्रभावी रहेगी।
इससे पहले नगर पुलिस आयुक्त एम.एन. रेड्डी ने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगाने का निर्देश दिया। धारा 144 के तहत हाईकोर्ट के आसपास की एक किलोमीटर की परिधि में लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाई गई।
याचिका में आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष अदालत के सज़ा के फ़ैसले को चुनौती दी गई थी। पिछले साल 27 सितंबर को विशेष अदालत ने जयललिता को चार साल की सज़ा सुनाने के साथ-साथ 100 करोड़ का भारी जुर्माना भी लगाया था। विशेष अदालत का फ़ैसला रद्द होने के बाद जयललिता के पास एक बार फिर तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा है।
ये फ़ैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे राज्य की राजनीतिक पटकथा प्रभावित हो सकती है। तमिलनाडु में क़रीब सालभर बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता की अपील पर सुनवाई पूरी करने के लिए तीन महीने की समय सीमा तय की थी। ये फ़ैसला उस समय सीमा के एक दिन पहले सुनाया गया है।
निचली अदालत ने जयललिता और उनकी करीबी शशिकला व उनके दो अन्य रिश्तेदारों इलावरासी और सुधाकरण को पिछले साल 27 सितंबर को चार साल जेल की सजा सुनाई थी। उसने जयललिता पर 100 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया था, जबकि तीन अन्य पर 10-10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
उधर चेन्नई में अन्नाद्रमुक कार्यकर्ताओं ने रविवार को मंदिरों में पूजा अर्चना की और जयललिता के पक्ष में अनुकूल फैसला के लिए प्रार्थनाएं कीं। 'मुख्यमंत्री के रूप में जयललिता की वापसी' की कामना करते हुए महिला कार्यकर्ताओं ने पारंपरिक तरीके से मंदिरों में पूजा की, दीप जलाए और नारियल चढ़ाए।
अन्नाद्रमुक के मुखपत्र 'डॉ नमधु एमजीआर' में ऐसी ही कामना व्यक्त करते हुए प्रतिद्वंद्वी द्रमुक पर निशाना साधा गया। तिरूवरूर में पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं ने माथे पर दूध का बर्तन लेकर जुलूस निकाला। यह जुलूस प्राचीन त्यागराज मंदिर में संपन्न हुआ। तमिलनाडु में कई अन्य स्थानों से भी पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा पूजा अर्चना किए जाने की खबरें भी आयीं।
क्या है मामला?
- 18 साल पुराना मामला
- आय से अधिक संपत्ति का केस
- 66 करोड़ की अतिरिक्त संपत्ति
- जयललिता, शशिकला, जे. इलावारसी और सुधाकरन आरोपी
- भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून के तहत केस
- 14 जून 1996 : सुब्रह्मण्यम स्वामी ने चेन्नई कोर्ट में शिकायत दी
- 21 जून 1996 : जांच IPS लतिका शरण को सौंपी गई
- सितंबर 1996 : विजिलेंस विभाग ने दर्ज की FIR
- 6 दिसंबर 1996 : हाइकोर्ट में अग्रिम ज़मानत की याचिका ख़ारिज
- 4 जून, 1997 : अदालत में चार्जशीट दाख़िल की गई
- 21 अक्टूबर 1997 : निचली अदालत ने आरोप तय किए
- 2003 : सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल बेंगलुरु ट्रांसफ़र किया
- ट्रायल में अभियोग पक्ष की ओर से 259 गवाह रहे
- बचाव पक्ष की तरफ से 99 गवाह
- जयललिता की सहयोगी शशिकला भी आरोपी
- वीएन सुधाकरन और जे. इलावारसी भी आरोपी
- 2011 : जयललिता कोर्ट में पेश, 1300 सवालों के जवाब दिए
- 26 मई 2014 : सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल पर रोक लगाई
- 17 जून 2014 : सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता की अर्ज़ी ख़ारिज की
- 17 जून 2014 : सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल से रोक हटाई
- 28 अगस्त 2014: कोर्ट में सुनवाई पूरी, फ़ैसला सुरक्षित
- 27 सितंबर 2014 : विशेष कोर्ट का फ़ैसला, जयललिता दोषी क़रार
- 27 सितंबर 2014 : 4 साल की सज़ा, 100 करोड़ रुपये जुर्माना
- 11 मई 2015 : कर्नाटक हाईकोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया
- अभिनय से राजनीति में आईं जयललिता
- एमजी रामचंद्रन की वारिस बनीं जयललिता
- 1984 से 1989 तक राज्यसभा सांसद रहीं
- चार बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं
- 1991 से 1996 के बीच पहली बार मुख्यमंत्री
- तांसी ज़मीन घोटाले में निचली अदालत से 5 साल की सज़ा
- 2001 में रोक के बावजूद चुनाव लड़ा और दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वो मुख्यमंत्री नहीं हो सकतीं
- मद्रास हाइकोर्ट से तांसी घोटाले में बरी
- 2002 से 2006 के बीच तीसरी बार मुख्यमंत्री
- 2011 में चौथी बार मुख्यमंत्री बनीं
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