जसोदाबेन की फाइल फोटो
अहमदाबाद:
अपने सुरक्षा कवर के संबंध में सूचना नहीं दिए जाने के चार महीने बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत इसकी जानकारी मांगते हुए दूसरी अपील दायर की है।
अपने वकील संदीप मोदी के साथ जशोदाबेन ने शनिवार को गांधीनगर में राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष दूसरी अपील दायर की। उन्होंने नवंबर 2014 में एक आरटीआई आवेदन दायर कर मेहसाणा पुलिस से स्पष्ट सूचना मांगी थी कि उन्हें क्या सुरक्षा मिली हुई है और वह कितनी सुरक्षा की हकदार हैं।
जशोदाबेन ने प्रोटोकॉल के तहत उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने के संबंध में सरकार की ओर से जारी वास्तविक आदेश की प्रमाणित प्रति भी मांगी थी। उन्होंने भारतीय संविधान के तहत प्रधानमंत्री की पत्नी को दी जाने वाली सुरक्षा से संबंधित प्रावधानों और कानूनों के बारे में भी सूचना मांगी थी।
हालांकि मेहसाणा पुलिस ने आरटीआई के तहत 27 दिसंबर को उन्हें सूचना देने से इनकार करते हुए कहा कि उनके सभी सवाल स्थानीय खुफिया ब्यूरो से (एलआईबी) से जुड़े हुए हैं, जो आरटीआई अधिनियम के तहत नहीं आते।
इसके बाद जशोदाबेन ने जिला पुलिस अधीक्षक जे. आर. मोथालिया के समक्ष जनवरी 2015 में अपील दायर की। हालांकि वह भी खारिज हो गई। जशोदाबेद अपने भाई अशोक मोदी के साथ मेहसाणा जिले के उंझा कस्बे में रहती हैं। 26 मई 2014 को मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मेहसाणा पुलिस ने उन्हें सुरक्षा मुहैया करायी।
मेहसाणा पुलिस ने हथियारबंद सुरक्षाकर्मी सहित 10 पुलिस कर्मियों को उनकी सुरक्षा के लिए लगाया। ये दसों सुरक्षाकर्मी दो शिफ्ट में काम करते हैं, पांच-पांच करके।
आरटीआई के तहत जशोदाबेन ने वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था के प्रति नाखुशी जताई है कि उनके सुरक्षाकर्मी सरकारी वाहनों, जैसे कार में यात्रा करते हैं जबकि प्रधानमंत्री की पत्नी होने के बावजूद उन्हें सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करना पड़ता है।
जशोदाबेन ने कहा है कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अपने अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी और उन्हें अपने सुरक्षाकर्मियों से डर लगता है। उन्होंने सरकार से कहा है कि वह हर एक सुरक्षाकर्मी द्वारा तैनाती का आदेशपत्र दिखाना अनिवार्य कर दे।
अपने वकील संदीप मोदी के साथ जशोदाबेन ने शनिवार को गांधीनगर में राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष दूसरी अपील दायर की। उन्होंने नवंबर 2014 में एक आरटीआई आवेदन दायर कर मेहसाणा पुलिस से स्पष्ट सूचना मांगी थी कि उन्हें क्या सुरक्षा मिली हुई है और वह कितनी सुरक्षा की हकदार हैं।
जशोदाबेन ने प्रोटोकॉल के तहत उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने के संबंध में सरकार की ओर से जारी वास्तविक आदेश की प्रमाणित प्रति भी मांगी थी। उन्होंने भारतीय संविधान के तहत प्रधानमंत्री की पत्नी को दी जाने वाली सुरक्षा से संबंधित प्रावधानों और कानूनों के बारे में भी सूचना मांगी थी।
हालांकि मेहसाणा पुलिस ने आरटीआई के तहत 27 दिसंबर को उन्हें सूचना देने से इनकार करते हुए कहा कि उनके सभी सवाल स्थानीय खुफिया ब्यूरो से (एलआईबी) से जुड़े हुए हैं, जो आरटीआई अधिनियम के तहत नहीं आते।
इसके बाद जशोदाबेन ने जिला पुलिस अधीक्षक जे. आर. मोथालिया के समक्ष जनवरी 2015 में अपील दायर की। हालांकि वह भी खारिज हो गई। जशोदाबेद अपने भाई अशोक मोदी के साथ मेहसाणा जिले के उंझा कस्बे में रहती हैं। 26 मई 2014 को मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मेहसाणा पुलिस ने उन्हें सुरक्षा मुहैया करायी।
मेहसाणा पुलिस ने हथियारबंद सुरक्षाकर्मी सहित 10 पुलिस कर्मियों को उनकी सुरक्षा के लिए लगाया। ये दसों सुरक्षाकर्मी दो शिफ्ट में काम करते हैं, पांच-पांच करके।
आरटीआई के तहत जशोदाबेन ने वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था के प्रति नाखुशी जताई है कि उनके सुरक्षाकर्मी सरकारी वाहनों, जैसे कार में यात्रा करते हैं जबकि प्रधानमंत्री की पत्नी होने के बावजूद उन्हें सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करना पड़ता है।
जशोदाबेन ने कहा है कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अपने अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी और उन्हें अपने सुरक्षाकर्मियों से डर लगता है। उन्होंने सरकार से कहा है कि वह हर एक सुरक्षाकर्मी द्वारा तैनाती का आदेशपत्र दिखाना अनिवार्य कर दे।
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