दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में रविवार शाम प्रदर्शनकारियों द्वारा किये गए पथराव में एक कश्मीरी ट्रक चालक की मौत हो गई. पुलिस ने यह जानकारी दी. पुलिस ने बताया कि नूर मोहम्मद डार जिले के जरादीपुरा उरानहाल इलाके का रहने वाला था और घटना के समय अपने घर लौट रहा था. इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने उसके ट्रक को गलती से सुरक्षा बलों का वाहन समझकर उस पर पथराव कर दिया. चालक को सिर में चोट लगने के बाद अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी आम लोगों पर भी पथराव करते रहे हैं और इस महीने की शुरुआत में श्रीनगर शहर में पथराव में 11 वर्षीय लड़की की आंख में चोट आई थी.
Jammu & Kashmir Police: The stone pelter has been identified and arrested. https://t.co/Lyxg14wBHM
— ANI (@ANI) August 26, 2019
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जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने अधिकारियों को आरोपियों को पकड़ने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले से लिखा है कि पत्थरबाज की पहचान करके उसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
बता दें, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को राज्य में दवाओं और आवश्यक वस्तुओं की किसी कमी से इनकार करते हुए कहा कि संचार माध्यमों पर पाबंदियों की वजह से वहां बहुत सी जिंदगियां बचीं. घाटी में रविवार को दवा की अधिकतर दुकानें खुली रहीं. जम्मू कश्मीर प्रशासन ने एक बयान में कहा कि श्रीनगर में दवा की 1,666 दुकानों में से 1,165 दुकानें रविवार को खुली हैं. इसमें कहा गया कि कश्मीर घाटी में 7,630 फुटकर दवा विक्रेता तथा 4,331 थोक दवा विक्रेता हैं. वहां करीब 65 फीसद दुकानें खुली हुई हैं.
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मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर में कहीं भी दवाओं और आवश्यक वस्तुओं की कमी नहीं है और लोगों की खरीद के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है. उन्होंने कहा, 'वास्तव में, ईद में हमने लोगों के घरों पर मीट, सब्जियों और अंडों की आपूर्ति की.' बयान में कहा गया कि बीते 20 दिनों में फुटकर दुकानदारों तक 23.81 करोड़ रुपये की दवा पहुंची हैं. इसमें कहा गया, 'यह मासिक औसत से थोड़ा ज्यादा है.' इसमें कहा गया कि सरकारी दुकानों और निजी विक्रेताओं के पास सभी 376 अधिसूचित दवाएं उपलब्ध हैं. 62 आवश्यक/जीवन रक्षक दवाएं भी उपलब्ध हैं.
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बयान में कहा गया, 'अधिक मूल्य वसूले जाने की जांच के तहत 72 मामलों में कहीं भी अधिक मूल्य वसूला जाता नहीं पाया गया.' मलिक ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद राज्य में हिंसा में किसी शख्स की जान नहीं गई है.
पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि राज्य में प्रतिबंध कब तक जारी रहेंगे, उन्होंने कहा, 'अगर संचार माध्यमों पर अंकुश लगाने से जिंदगी बचाने में मदद मिलती है तो इसमें क्या नुकसान है?'
मलिक ने कहा कि पूर्व में जब कश्मीर में संकट होता था, तो पहले ही हफ्ते में कम से कम 50 लोगों की मौत हो जाती थी. उन्होंने कहा, “हमारा रवैया था कि इंसानी जान नहीं जानी चाहिए. 10 दिन टेलीफोन नहीं होंगे, नहीं होंगे, लेकिन हम बहुत जल्द सब वापस कर देंगे.' जेटली को याद करते हुए मलिक ने कहा कि वह जेटली ही थे जिन्होंने पिछले साल जम्मू कश्मीर के राज्यपाल की जिम्मेदारी लेने के लिए उन पर जोर डाला था.
उन्होंने कहा, 'अरुण जेटली ने मुझे सलाह दी थी कि मैं राज्यपाल की जिम्मेदारी लूं. उन्होंने मुझसे कहा कि यह ऐतिहासिक होगा. उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि उनकी ससुराल के लोग जम्मू से हैं.'
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