जम्मू कश्मीर में बढ़ती आतंकवादी घटनाएं अब परेशानी का सिरदर्द बनती दिख रही है. जम्मू इलाके में पिछले दिनों आतंकी गतिविधियों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. जम्मू में बढ़ती आतंकी गतिविधियां देख सरकार भी हरकत में आ गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू में हो रहे आतंकी हमलों को लेकर एक अहम बैठक बुलाई है. इस बैठक में जम्मू के हालात पर चर्चा होगी. वैसे तो पूरी घाटी आतंकियों के निशाने पर रहती है, लेकिन बीते दिनों आतंकियों ने जम्मू इलाके को खास तौर पर टारगेट किया है.
इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल, भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, डीजीएमओ समेत सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख शामिल होने की भी खबर हैं. गौर करने वाली बात ये है कि बैठक स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले हो रही है. बताया गया है कि इस मीटिंग का मकसद घाटी में हो रहे आतंकी हमलों पर काबू पाना है. घाटी में आतंकियों को जवानों से मुहंतोड़ जवाब मिला है.
डोडा में आतंकियों की तलाश के लिए अभियान जारी
डोडा जिले में सुरक्षाबलों ने संक्षिप्त मुठभेड़ के बाद छिप गए आतंकवादियों को पकड़ने के लिए बुधवार को इलाके की घेराबंदी की और तलाश अभियान शुरू किया. सूत्रों ने बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि आतंकवादी शिवगढ़-अस्सार पट्टी में कहीं छिपे हुए हैं. उन्होंने बताया कि गोलीबारी में एक आतंकी शायल घायल हो गया है क्योंकि इलाके में खून के धब्बे पाए गए हैं. सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा बलों को क्षेत्र से एक एम4 कार्बाइन और तीन बैग मिले हैं. उन्होंने बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि उधमपुर जिले के पटनीटॉप इलाके के निकट अकार जंगल में सुरक्षा बलों और पुलिस द्वारा संयुक्त तलाश अभियान शुरू किए जाने के बाद आतंकवादी इन इलाकों में छिप गए हैं.
जम्मू-कश्मीर में बढ़े आतंकी हमले
जम्मू-कश्मीर में इन दिनों आतंकी घटनाओं में इजाफा देखने को मिला है. आतंकवादी जम्मू डिवीजन के पहाड़ी जिलों में सेना, सुरक्षा बलों और नागरिकों पर घात लगाकर हमले कर रहे हैं. इस साल 21 जुलाई तक आतंकवादियों ने 11 हिट-एंड-रन हमलों में सेना, सुरक्षाबलों और नागरिकों समेत 28 लोगों की हत्या कर दी है, जबकि सुरक्षाबलों ने 28 आतंकवाद-रोधी अभियान चलाए. जम्मू डिवीजन के पर्वतीय क्षेत्रों में 40-50 कट्टर विदेशी आतंकियों के सक्रिय होने की सूचना मिलने के बाद, सेना ने डिवीजन के पर्वतीय जिलों पुंछ, राजौरी, डोडा, उधमपुर, कठुआ और रियासी में 4,000 से अधिक पैरा कमांडो और पर्वतीय युद्ध में प्रशिक्षित सैनिकों को तैनात किया है.
इन सुरक्षाबलों को आतंकवादियों की किसी भी तरह के हिट-एंड-रन हमलों को विफल करने के लिए पहाड़ों की चोटियों पर तैनात किया गया है. इन क्षेत्रों में पहले घात लगाकर अचानक हमले किए गए थे और फिर इन जिलों के घने जंगलों वाले इलाकों में गायब हो गए. सेना की रणनीति का उद्देश्य आतंकवादियों को इन पहाड़ी जिलों के घने जंगलों और हरियाली वाले क्षेत्रों से बाहर निकालना है.
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