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6000 में बेच देते हैं ईमान, कौन हैं जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मददगार? समझें नए इलाकों में कैसे फैल रहा मॉड्यूल

जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में आतंकी कश्‍मीर की जगह जम्‍मू पर फोकस कर रहे हैं. कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के कारण सुरक्षा कड़ी है इस कारण आतंकियों का फोकस जम्मू पर है.

6000 में बेच देते हैं ईमान, कौन हैं जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मददगार? समझें नए इलाकों में कैसे फैल रहा मॉड्यूल
नई दिल्ली:

देश के लिए जान देना राष्ट्र के प्रति सबसे बड़ा समर्पण माना जाता है. डोडा में सोमवार को कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी. राजेश, सिपाही बिजेन्द्र और सिपाही अजय की शहादत हो गई.  डोडा मुठभेड़(Doda Encounter) में जख्मी पुलिसकर्मी की भी मंगलवार को शहादत हो गई है. हाल के दिनों में जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इसके कई कारण हैं. सबसे अहम कारणों में एक माना जा रहा है जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की जडे़ं जितनी मज़बूत होती है, सीमापार हलचल उतनी ही तेजी से बढ़ती है. और इसके बाद आतंक की फैक्ट्री से निकलने वाले आतंकी कश्मीर की हवा में बारूद फैलाने की कोशिश करते हैं...पड़ोसी देश की ताज़ा परेशानी यही है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने वाले है.

सोमवार देर शाम डोडा के देसा इलाके में आतंकियों के मौजूद होने की ख़बर मिली थी. जिसके बाद राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने डोडा शहर से लगभग 55 किलोमीटर दूर जंगलों में एक तलाशी अभियान शुरू किया...लेकिन वहां जंगल में छिपे आतंकियों ने फ़ायरिंग शुरू कर दी...इस कार्रवाई में देश ने कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी. राजेश, सिपाही बिजेन्द्र और सिपाही अजय को खो दिया.

आतंकी घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार? 
इस वक्त डोडा में पूरे इलाके की घेराबंदी कर ली गई है. सेना और जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस का साझा ऑपरेशन भी चल रहा है. लेकिन सवाल ये है कि जब घर के अंदर ही आस्तीन के सांप छिप कर बैठे होंगे, तब आप दुश्मनों से कैसे लड़ेंगे. कुछ दिन पहले जब श्रद्धालुओं की बस पर आतंकी हमला हुआ था, उसी वक्त ये खुलासा हुआ था कि आतंकियों को गाइड करने वाले स्थानीय व्यक्ति ने सिर्फ 6 हजार रुपये की खातिर खुद को बेच दिया था. आशंका है कि चंद लोग लगातार इसी तरह से आतंकियों के लिए जासूसी कर रहे हैं. और आस्तीन के सांप बनकर देश का नुकसान कर रहे हैं.

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क्या जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंकियों ने अपनी साजिश का पैटर्न बदल लिया है? 

जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में आतंकी कश्‍मीर की जगह जम्‍मू पर फोकस कर रहे हैं. जरा इन आंकड़ों पर ध्यान दीजिए.

  1. सोमवार यानी 15 जुलाई को जम्मू के डोडा में 4 शहादत हुई.
  2. 8 जुलाई को जम्मू के ही कठुआ में 5 जवान शहीद हुए.
  3.  9 जून 2024 को जम्मू के ही रियासी में तीर्थयात्रियों की बस पर हमला हुआ. जिसमें 9 जानें गईं.
  4. 4 मई 2024 को भी जम्मू के ही पुंछ में वायुसेना के क़ाफ़िले पर हमला हुआ.
  5. पिछले 32 महीनों में सिर्फ जम्मू क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने 48 शहादत दी है.

25 आतंकियों ने की है घुसपैठ
गलवान और डोकलाम के बाद चिनाव वैली...यानी जम्मू डोडा, किश्ववाड़, रियासी और कठुआ इलाके से सेना की टुकड़ियां निकाली गई थीं. जब गृह मंत्रालय का सिक्योरिटी ऑडिट हुआ था तब उसमें बताया गया था कि इस इलाके में सेना घट गई है. तो क्या ये मान लिया जाए कि इसी के बाद जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी अपनी साजिशें बढ़ाने में लग गए? एक सूचना के मुताबिक, लगभग 25 आतंकियों का ग्रुप पूरे इलाके में घुसपैठ कर चुका है, जो आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा है. ये पाकिस्‍तान समर्थित आतंकी हैं, जो नाम बदलकर ऑपरेट कर रहे हैं.  

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महज 6 हजार रुपये के लिए आंतकियों को मदद?
घने जंगल और पहाड़ों के बीच ऑपरेशन आसान नहीं होता...जिन आतंकियों ने हमला किया, वो जंगल में भाग गए...लेकिन, कहा जा रहा है कि लोकल सपोर्ट...यानी स्थानीय लोगों की मदद के बिना ये आतंकी अपनी साजिश में कामयाब नहीं हो सकते...रियासी में श्रद्धालुओं की बस पर जो हमला हुआ था, उसमें ये बात साबित भी हो गई थी...सिर्फ 6 हजार रुपये के लिए एक स्थानीय व्यक्ति ने दहशतगर्दों के लिए वो मदद मुहैया कराई, जिसके बिना आतंकी कामयाब नहीं हो सकते थे. साफ है कि स्थानीय लोगों की मदद के बिना आतंकी अपनी साजिश में कामयाब नहीं हो सकते.

इस मुद्दे पर रिटायर्ड मेजर जनरल ए.के. सिवाच का कहना है कि मछली तब तक ही पानी में रह सकती है जब तक पानी है. वैसे ही आतंकी तब तक ही किसी क्षेत्र में रह सकते हैं जब तक कि उन्हें स्थानीय लोगों का सपोर्ट हो. यह सच्चाई है कि इन आतंकियों को स्थानीय लोगों का सपोर्ट है. कुछ कारण धर्म है और कुछ कारण आर्थिक है. कुछ लोग पैसों से बिक जाते हैं.

डोडा के भौगोलिक विविधता का फायदा उठा रहे हैं आतंकी
डोडा के घने जंगलों में आतंकी घात लगाकर बैठे थे.  आतंकियों को इस बात का फायदा मिला...क्‍योंकि वो पहले से ही वहां छिपे बैठे थे. सेना के जवान जब घटनास्‍थल पर पहुंचे, तो उन पर हमला हो गया. दरअसल, अमरनाथ यात्रा की वजह से कश्‍मीर में सेना ने सुरक्षा काफी कड़ी कर रखी है. ऐसे में वहां आतंकियों को मौका मिल पाना बेहद मुश्किल है. यही वजह है कि जम्मू के अलग-अलग इलाकों में आतंकी साजिश रची जा रही है.

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अलग-अलग नामों से सामने आ रहे हैं आतंकी संगठन
डोडा बहुत बड़ा इलाका है. यहां पहाड़ भी हैं, और घने जंगल भी हैं. इस क्षेत्र में कई प्राकृतिक गुफाएं हैं, जहां आसानी से छिपा जा सकता है. घने जंगल होने की वजह एरियल सर्वे भी बेहद मुश्किल है. ऐसे में आतंकियों के छिपने के लिए इसे मुफीद जगह कहा जा सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि आतंकियों का कैरेक्‍टर बदल गया है. आतंकी अब नाम बदलकर भी हमले कर रहे हैं. डोडा हमले की जिम्‍मेदारी भी 'कश्‍मीर टाइगर' नामक आतंकी संगठन ने ली है. अब ऐसे में आतंकियों को लोकल सपोर्ट भी मिलने लगे तो भला सेना उनसे कैसे निपटे?

सोमवार को ही कुपवाड़ा के केरन में सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल पर तीन आतंकियों को मार गिराया...उनके पास भारी मात्रा में हथियार भी मिले. जाहिर है सेना के सामने चुनौतियां कई तरफ से हैं. और समाधान हर हाल में निकालना है.

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