सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर परिसीमन को लेकर दायर याचिका पर अब 29 नवंबर को होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले में नोटिस जारी करने के बाद जवाब देते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग ने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए विधान सभा क्षेत्रों के परिसीमन के लिए आयोग की रिपोर्ट को कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर परिसीमन को लेकर दायर याचिका पर अब 29 नवंबर को होगी सुनवाई

रिपोर्ट के मुताबिक परिसीमन के जरिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सीटें 90 हो जाएंगी.

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर परिसीमन को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अब 29 नवंबर को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि वह इस मामले में कुछ और दस्तावेज दाखिल करना चाहती है. जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की इजाजत दे दी. दरअसल 30 अगस्त 2022 को जम्मू-कश्मीर के चुनाव क्षेत्रों के प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में जारी की गई अधिसूचना को चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ता से कहा था कि आप दो साल से अब तक कहां सो रहे थे? हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन और निर्वाचन आयोग से छह हफ्ते में जवाब तलब किया था. 

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले में नोटिस जारी करने के बाद जवाब देते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग ने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए विधान सभा क्षेत्रों के परिसीमन के लिए परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकती है. परिसीमन आयोग की 25 अप्रैल को सौंपी गई फाइनल रिपोर्ट के मुताबिक परिसीमन के जरिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए 83 सीटो की जगह 90 हो जाएंगी. इनपर विधानसभा और पांच नई प्रस्तावित लोकसभा सीटों पर चुनाव होगा. 

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सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. याचिका
में कहा गया है कि यह परिसीमन जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट 2019 की धारा 63 और संविधान के अनुच्छेद 81, 82,170, 330, 332 के खिलाफ है. इसके अलावा याचिका में जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग के गठन को भी असंवैधानिक बताया गया है. याचिका में सवाल उठाया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 170 के तहत देश मे अगला परिसीमन 2026 में होना ही है. ऐसे में अलग से जम्मू-कश्मीर में परिसीमन क्यों किया जा रहा है? ये याचिका जम्मू-कश्मीर के निवासी हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ मोहम्मद अयूब मट्टू द्वारा दायर की गई है.