श्रीनगर:
जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के मामले पर सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर जहां अफजल को बचाने में अक्षम रहने का आरोप लगाया, वहीं सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए विपक्षी दलों की निंदा की।
अफजल गुरु को फांसी दिए जाने और उसका शव वापस लाने की मांग पर सदन में सोमवार को हुई चर्चा के दौरान कई बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती ने बहस की शुरुआत की। उन्होंने आखिरी क्षणों में अफजल से उसके परिजनों को नहीं मिलने देने को 'अमानवीय' करार दिया।
महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा की दैनिक सामान्य कार्यवाही को रोककर इस तात्कालिक महत्वपूर्ण मुद्दे पर पहले चर्चा कराने की मांग की। सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य भी इस विषय पर चर्चा चाहते थे।
महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर अफजल गुरु के जीवन की रक्षा करने में असफल रहने का आरोप लगाया। महबूबा ने कहा, "यदि राज्य सरकार समय पर कार्रवाई करती तो अफजल गुरु को फांसी दिए जाने से बचाया जा सकता था।" उन्होंने कहा, "पंजाब और तमिलनाडु की सरकार ने अपने दो नागरिकों को मौत की सजा से बचा लिया था, लेकिन उमर अब्दुल्ला की सरकार ने कुछ भी नहीं किया।"
मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने भी बहस में हस्तक्षेप करते हुए विपक्ष पर इस मामले पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
अब्दुल्ला ने कहा, "पीडीपी इस मुद्दे पर इस तरह बर्ताव कर रही है जैसे अफजल गुरु को फांसी पर चढ़ाए जाने का सिर्फ मैं ही जिम्मेदार हूं।"
चर्चा के दौरान पीडीपी सदस्यों द्वारा सरकार के खिलाफ नारे लगाए जाने तथा सभापति के मंच के पास भीड़ लगाकर नारेबाजी करने के कारण विधानसभा का माहौल काफी गर्म हो गया।
हंगामे के कारण विधानसभा के अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही शुरू होने के बाद गुरु के मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई।
विधानसभा में इस मामले पर चर्चा करने के कारण सत्ता में गठबंधन करने वाले दोनों दलों नेशनल कांफ्रेंस तथा कांग्रेस के बीच मतभेद जैसा स्थिति देखी गई।
नेशनल कांफ्रेंस जहां इस मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा कराने के पक्ष में था वहीं कांग्रेस इसका विरोध कर रही थी।
अफजल गुरु को फांसी दिए जाने और उसका शव वापस लाने की मांग पर सदन में सोमवार को हुई चर्चा के दौरान कई बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती ने बहस की शुरुआत की। उन्होंने आखिरी क्षणों में अफजल से उसके परिजनों को नहीं मिलने देने को 'अमानवीय' करार दिया।
महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा की दैनिक सामान्य कार्यवाही को रोककर इस तात्कालिक महत्वपूर्ण मुद्दे पर पहले चर्चा कराने की मांग की। सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य भी इस विषय पर चर्चा चाहते थे।
महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर अफजल गुरु के जीवन की रक्षा करने में असफल रहने का आरोप लगाया। महबूबा ने कहा, "यदि राज्य सरकार समय पर कार्रवाई करती तो अफजल गुरु को फांसी दिए जाने से बचाया जा सकता था।" उन्होंने कहा, "पंजाब और तमिलनाडु की सरकार ने अपने दो नागरिकों को मौत की सजा से बचा लिया था, लेकिन उमर अब्दुल्ला की सरकार ने कुछ भी नहीं किया।"
मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने भी बहस में हस्तक्षेप करते हुए विपक्ष पर इस मामले पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
अब्दुल्ला ने कहा, "पीडीपी इस मुद्दे पर इस तरह बर्ताव कर रही है जैसे अफजल गुरु को फांसी पर चढ़ाए जाने का सिर्फ मैं ही जिम्मेदार हूं।"
चर्चा के दौरान पीडीपी सदस्यों द्वारा सरकार के खिलाफ नारे लगाए जाने तथा सभापति के मंच के पास भीड़ लगाकर नारेबाजी करने के कारण विधानसभा का माहौल काफी गर्म हो गया।
हंगामे के कारण विधानसभा के अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही शुरू होने के बाद गुरु के मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई।
विधानसभा में इस मामले पर चर्चा करने के कारण सत्ता में गठबंधन करने वाले दोनों दलों नेशनल कांफ्रेंस तथा कांग्रेस के बीच मतभेद जैसा स्थिति देखी गई।
नेशनल कांफ्रेंस जहां इस मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा कराने के पक्ष में था वहीं कांग्रेस इसका विरोध कर रही थी।
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