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This Article is From Jul 29, 2020

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज न तो हिरासत में, न ही हाउस अरेस्ट

कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज़ की नज़रबंदी के मामले में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने दाखिल किया हलफ़नामा, सोज की पत्नी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद की

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जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज न तो हिरासत में, न ही हाउस अरेस्ट
जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

कांग्रेस (Congress) नेता सैफुद्दीन सोज़ (Saifuddin Soz) की नज़रबंदी के मामले में जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दाखिल किया है. जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अपने हलफनामे में कहा है कि सोज़ न तो हिरासत में हैं और न ही हाउस अरेस्ट हैं. उनकी पत्नी के दावे झूठे हैं. सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर के गृह विभाग ने यह हलफनामा दायर किया है. इसके बाद सैफुद्दीन सोज को रिहा करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कह दिया है कि सोज हिरासत में नहीं हैं. हम अब इस मामले में नहीं जाएंगे.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हलफनामे में सैफ़ुद्दीन सोज़ के हिरासत में होने या फिर उन्हें हाउस अरेस्ट किए जाने से इनकार किया है. उसने कहा है कि ऐसा कोई आदेश कभी पारित नहीं हुआ. सैफ़ुद्दीन सोज स्वतंत्र हैं. जम्मू कश्मीर प्रशासन ने याचिका खरिज करने की मांग की है.  सुप्रीम कोर्ट में सैफ़ुद्दीन सोज की पत्नी ने सोज के हाउस अरेस्ट को लेकर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी.  

कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज़ की जम्मू- कश्मीर में हिरासत के मामले में 8 जून को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू- कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. सोज की पत्नी ने पिछले साल 5 अगस्त से अपने पति की गिरफ्तारी को चुनौती दी थी. वे कहती हैं कि 10 महीने बीतने के बावजूद, उन्हें अपने घर में गिरफ्तारी का कारण नहीं बताया गया है. 80 साल के प्रो सोज की पत्नी मुमताजुनिशां सोज ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हैबियस कॉरपस याचिका में जम्मू- कश्मीर में उनकी हाउस अरेस्ट/ हिरासत को चुनौती दी थी. 

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याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि पूर्व केंद्रीय मंत्री को तुरंत रिहा करने के आदेश जारी किए जाएं. याचिका में कहा गया है कि यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि सोज़ एक कानून को मानने वाले व्यक्ति हैं जो कि शांतिपूर्ण भारतीय नागरिक हैं. उन्होंने शांति का कोई उल्लंघन नहीं किया है, न ही सार्वजनिक शांति भंग की है, न ही कोई गलत कार्य किया है जिससे सार्वजनिक शांति भंग हो. 

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उन्होंने याचिका में कहा था कि हालांकि फिर भी प्रो सोज़ को हिरासत में लिया गया है और 2019 के अगस्त से घर में नज़रबंद कर दिया गया है. नज़रबंदी और गिरफ़्तारी के कारणों की आज तक जानकारी नहीं दी गई है. उनकी नज़रबंदी न केवल गैरकानूनी, दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक है, बल्कि बेहद निराशाजनक भी है.

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