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This Article is From Sep 12, 2017

रोहिंग्या मुसलमानों को अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों के मुताबिक भारत में सुविधा मिले : जमात-ए-इस्लामी हिन्द

'म्यांमार में जिस तरह से सेना अमानवीय व्यवहार कर रही है उसकी पीएम मोदी को निंदा करनी चाहिए था. लेकिन निराशा हुई कि पीएम ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया.'

रोहिंग्या मुसलमानों को अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों के मुताबिक भारत में सुविधा मिले : जमात-ए-इस्लामी हिन्द
जमात-ए- इस्लामी हिंद के महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर ( फाइल फोटो )
नई दिल्ली: जमात-ए-इस्लामी हिन्द के महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा है कि  गौरी लंकेश  जैसे विपरीत विचारों वाले लोगों की हत्या और गोरक्षा के नाम पर हो रही है हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी से लगता है कि इन मामलों में केंद्र सरकार संरक्षण दे रही है. उन्होंने कहा कि म्यांमार में जिस तरह से सेना रोहिंग्या मुसलमानों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही है उसकी पीएम मोदी को निंदा करनी चाहिए था. लेकिन निराशा हुई कि पीएम ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया है. इसके साथ ही मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने की भारत में शरण लिए रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने की कार्रवाई को रोकने की पहल करनी चाहिए. भारत में उनको अंतरराष्ट्रीय प्रावधान के मुताबिक ही सुविधा मिलनी चाहिए. 

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क्या रहा है जमात-ए-इस्लामी हिन्द 
जब उनसे पूछा गया कि देश की बड़ी मुस्लिम संस्था होने के नाते जमात-ए-इस्लामी हिन्द ने किन-किन मुस्लिम मुल्कों से इस बारे में संपर्क किया है तो उनका जवाब था कि किसी मुल्क से सीधे संपर्क क़ायम नहीं कर सकते बल्कि हम अपील जारी कर सकते हैं. लेकिन हमें मुस्लिम मुल्कों की ख़ामोशी से भी बहुत मायूसी हुई है. तुर्की, ईरान, इंडोनेशिया और बांग्लादेश द्वारा इस मसले पर उठाये गए क़दमों से खामोश बैठे मुस्लिम देशों को कुछ सीखना चाहिए.

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13 सितंबर को म्यांमार के खिलाफ प्रदर्शन
रोहिंग्या मुसलमानों के क़त्लेआम को रोकने के लिए जमात-ए-इस्लामी लगातार देश के सभी जगहों पर प्रदर्शन कर रही है. लेकिन 13 सितंबर को दिल्ली स्थित म्यांमार दूतावास पर एक बड़ा प्रदर्शन कर ज्ञापन देने का फैसला किया गया है.

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'मुसलमान किसी भी पार्टी के पीछे नहीं'
कई बड़े मुस्लिम धार्मिक गुरुओं का राजनीतिक पार्टियों को समर्थन करने की बात पर जमात-ए-इस्लामी हिन्द के महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि  मुसलमान किसी भी मुस्लिम लीडर के पीछे नहीं है. वे सोच समझ कर अपनी राजनीतिक राय बनाते हैं. जिन लोगों का राजनीतिक एजेंडा है वो अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए कुछ न कुछ करते रहते हैं जिनका बाद में पार्टियां उनसे फायदा उठती हैं इसलिए जमात उन्ही दलों को सपोर्ट करती है जो मूल्यों पर आधारित फैसलों पर कार्य करती है. 

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गौरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत
इस मुद्दे पर उन्होंने कहा 'गौरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हम दिल से स्वागत करते है हमें उम्मीद है की गौरक्षा के नाम पर मुस्लिम विरोधी हिंसा को रोकने का सरकार गंभीरता से प्रयास करेगी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ये साबित हो गया है की राज्य सरकारें गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को रोकने में नाकाम रही हैं और इस बारे में गंभीर नहीं है.

वीडियो : गौरी लंकेश की हत्या की क्या हो सकती है वजह
गौरी लंकेश के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर साधा निशाना
गौरी लंकेश पर जमात-ए-इस्लामी के महासचिव कहते हैं कि ३ सालों से देश में एक फासीवादी रुझान बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है. कुछ लोग और कुछ संगठन अपने से अलग विचार रखने वाले लोगो को हिंसा और हत्याओं के ज़रिये खामोश करना चाहते हैं. इन संगठन को देख ऐसा प्रतीत होता है की केंद्र सरकार का संरक्षण प्राप्त है क्योंकि अभी तक इन लोगो के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी है. गौरी लंकेश की हत्या भी इसी की एक कड़ी है, इन बातों को जमात-ए-इस्लामी देश के लिए खतरनाक मानती है. गौरी लंकेश की हत्या विचारों की आज़ादी, लोकतंत्र पर एक बड़ा हमला है.

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