लखनऊ:
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के अधिवक्ता को पत्रकार जगेन्द्र सिंह की कथित हत्या के मामले में चल रही जांच प्रगति के बारे में 24 जून तक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति श्रीनारायण शुक्ल और न्यायमूर्ति प्रत्यूष कुमार की अवकाश कालीन पीठ ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया।
यह याचिका ‘वी द पीपुल’ नामक सामाजिक संगठन के महासचिव प्रिंस लेनिन की तरफ से दाखिल की गई है। इस याचिका में उन्होंने अदालत से जगेन्द्र सिंह की कथित हत्या की जांच सीबीआई को सौंपने तथा मृतक पत्रकार के परिजनों को समुचित मुआवजा दिलाने के लिए प्रदेश सरकार को आदेश देने का आग्रह किया है।
अदालत ने इस प्रकरण में प्रदेश सरकार के अधिवक्ता को आपत्ति दाखिल करने के लिए भी एक हफ्ते का समय दिया है।
सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने जनहित याचिका की विचारणीयता पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि इस मामले में 9 जून को प्राथमिकी दायर हुई और दो दिन बाद ही 11 जून को याची ने जांच पर सवाल खड़े करते हुए इसे सीबीआई को सौंपने की मांग कर दी।
गोदियाल ने कहा कि जांच शुरू होने के दो दिन बाद ही उस पर सवाल खड़ा करते हुए जनहित याचिका दाखिल करना दर्शाता है कि इस याचिका के जरिए याची की मंशा अखबारों और मीडिया के जरिए प्रचार पाना भर है। इसीलिए इसे सिरे से खारिज कर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने अपनी आपत्तियां दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया।
न्यायमूर्ति श्रीनारायण शुक्ल और न्यायमूर्ति प्रत्यूष कुमार की अवकाश कालीन पीठ ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया।
यह याचिका ‘वी द पीपुल’ नामक सामाजिक संगठन के महासचिव प्रिंस लेनिन की तरफ से दाखिल की गई है। इस याचिका में उन्होंने अदालत से जगेन्द्र सिंह की कथित हत्या की जांच सीबीआई को सौंपने तथा मृतक पत्रकार के परिजनों को समुचित मुआवजा दिलाने के लिए प्रदेश सरकार को आदेश देने का आग्रह किया है।
अदालत ने इस प्रकरण में प्रदेश सरकार के अधिवक्ता को आपत्ति दाखिल करने के लिए भी एक हफ्ते का समय दिया है।
सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने जनहित याचिका की विचारणीयता पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि इस मामले में 9 जून को प्राथमिकी दायर हुई और दो दिन बाद ही 11 जून को याची ने जांच पर सवाल खड़े करते हुए इसे सीबीआई को सौंपने की मांग कर दी।
गोदियाल ने कहा कि जांच शुरू होने के दो दिन बाद ही उस पर सवाल खड़ा करते हुए जनहित याचिका दाखिल करना दर्शाता है कि इस याचिका के जरिए याची की मंशा अखबारों और मीडिया के जरिए प्रचार पाना भर है। इसीलिए इसे सिरे से खारिज कर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने अपनी आपत्तियां दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया।
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