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This Article is From Oct 10, 2018

जगन्नाथ मंदिर में हिंसा का मामला, SC ने कहा- कोई पुलिसकर्मी हथियार व जूते के साथ प्रवेश न करे

पुरी के जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए कतार के विरोध में तीन 3 अक्टूबर को हुई हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता दिखाई है. 

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जगन्नाथ मंदिर में हिंसा का मामला, SC ने कहा- कोई पुलिसकर्मी हथियार व जूते के साथ प्रवेश न करे
जगन्नाथ मंदिर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: पुरी के जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए कतार के विरोध में तीन 3 अक्टूबर को हुई हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता दिखाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी पुलिसकर्मी को हथियार और जूते के साथ मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए. दरअसल  जगन्नाथ मंदिर जाने वाले भक्तों के लिए एक कतार प्रणाली की शुरूआत का विरोध करते हुए एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन द्वारा बुलाए गए 12 घंटे के बंद के दौरान हिंसा हो गई थी और इसमें  नौ पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. मंदिर प्रशासन के मुताबिक कतार प्रणाली को प्रयोगात्मक आधार पर शुरु किया गया और अब इसकी समीक्षा की जाएगी क्योंकि स्थानीय और बाहरी लोगों ने इसका विरोध किया है. 

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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट जगन्नाथ मंदिर को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूछा था कि क्या किसी इंसान को दूसरे धर्म के पवित्र स्थल में प्रवेश की इजाजत दी जा सकती है? वो भी जहां की मान्‍यता हो कि गैर धर्म का व्यक्ति धार्मिक स्थल में प्रवेश नहीं कर सकता. सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम को न्यायमित्र यानी एमिकस क्यूरी नियुक्त करते हुए सुझाव मांगे हैं. पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान के दर्शन को सुलभ बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस गोपाल सुब्रमण्यम से पूछा था कि क्या किसी धार्मिक स्थल में किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित किया जा सकता है? क्या उसे प्रवेश की इजाजत दी जा सकती है?

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कोर्ट ने कहा कि अगर दूसरे धर्म का व्यक्ति ये शपथ दे कि वो धार्मिक स्थल की परंपरा, ड्रेस कोड और ईश्वर का सम्मान करेगा तो क्या उसे धार्मिक स्थल में प्रवेश की इजाजत दी जा सकती है? वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पुरी के ज़िला जज को कहा था कि आप शिकायत की जांच कर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को दें. इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर का प्रशासन पुजारियों और श्रद्धालुओं के लिए मंदिर ड्रेस कोड बनाये ताकि श्रद्धालुओं का शोषण न हो. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि ये व्‍यवस्‍था केवल जगन्नाथ मंदिर में ही नहीं बल्कि देश के दूसरे कुछ धार्मिक स्थलों में भी हो. जैसे मां कामाख्या मंदिर और कालीबाड़ी मंदिर आदि. 

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दरसअल, याचिकाकर्ता मृणालिनी पाधी ने जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उन्होंने अपनी याचिका में बताया कि मंदिर के सेवक देश विदेश से आये श्रद्धालुओं का किस किस तरह से शोषण करते हैं. साथ ही याचिका में कहा गया था कि इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर के आसपास उतनी साफ-सफाई नहीं है जितनी जरूरत है. साथ ही मंदिर परिसर में अतिक्रमण है. याचिका में भी आरोप लगाया गया है कि मंदिर का प्रबंधन और अनुष्ठान का व्यवसायीकरण हो गया है. हर तरफ लूट खसोट सी मची है. लिहाजा इस बाबत कुछ नियम जरूरी हैं. 

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