नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में गिरफ्तार वाईएसआर कांग्रेस के मुखिया और कडप्पा से सांसद जगन मोहन रेड्डी को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है।
जगन मोहन रेड्डी को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मई के महीने में गिरफ्तार किया था। न्यायामूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने कहा कि सभी सात मामलों में सीबीआई जांच पूरी होने के बाद जगन मोहन रेड्डी जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
न्यायाधीशों ने जगन मोहन रेड्डी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि यह काफी बड़ा मामला है। जगन मोहन रेड्डी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम का तर्क था कि जमानत तो अभियुक्त का कानूनी अधिकार है और उनका मुवक्किल भी इसका हकदार है। उनका कहना था कि जमानत नहीं मिलने से संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अधिकार का उल्लंघन होता है, लेकिन न्यायालय उनकी इन दलीलों से प्रभावित नहीं हुआ।
केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल मोहन पराशरन और वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक भान ने जगन मोहन रेड्डी की जमानत का विरोध किया। उनका कहना था कि जगन के खिलाफ सात मामलों में जांच अभी जारी है और ऐसी स्थिति में उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि विदेशों में संपत्ति का पता लगाने के लिए विभिन्न देशों को अनुरोध पत्र भी जारी किये जा चुके हैं। न्यायाधीशों के सवालों के जवाब में पराशरन ने कहा कि जगन और उसके सहयोगियों ने तीन हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की संपत्ति अर्जित की है। इस सिलसिले में अब तक अदालत में चार आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं।
जगन मोहन रेड्डी को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मई के महीने में गिरफ्तार किया था। न्यायामूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने कहा कि सभी सात मामलों में सीबीआई जांच पूरी होने के बाद जगन मोहन रेड्डी जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
न्यायाधीशों ने जगन मोहन रेड्डी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि यह काफी बड़ा मामला है। जगन मोहन रेड्डी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम का तर्क था कि जमानत तो अभियुक्त का कानूनी अधिकार है और उनका मुवक्किल भी इसका हकदार है। उनका कहना था कि जमानत नहीं मिलने से संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अधिकार का उल्लंघन होता है, लेकिन न्यायालय उनकी इन दलीलों से प्रभावित नहीं हुआ।
केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल मोहन पराशरन और वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक भान ने जगन मोहन रेड्डी की जमानत का विरोध किया। उनका कहना था कि जगन के खिलाफ सात मामलों में जांच अभी जारी है और ऐसी स्थिति में उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि विदेशों में संपत्ति का पता लगाने के लिए विभिन्न देशों को अनुरोध पत्र भी जारी किये जा चुके हैं। न्यायाधीशों के सवालों के जवाब में पराशरन ने कहा कि जगन और उसके सहयोगियों ने तीन हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की संपत्ति अर्जित की है। इस सिलसिले में अब तक अदालत में चार आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं।
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