जादवपुर विश्वविद्यालय का बुधवार को विशेष 59वां सालाना दीक्षांत समारोह इसके कुलाधिपति और कुलपति के लिए अजीब स्थिति का सबब बन गया, जब काफी संख्या में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया तथा नारेबाजी की।
राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति केशरी नाथ त्रिपाठी सहित अधिकारियों की अपील प्रदर्शनकारी छात्रों को शांत करने में नाकाम रही। इन छात्रों ने दीक्षांत समारोह के बहिष्कार का आह्वान किया था।
बंगाली विभाग के सर्वश्रेष्ठ छात्र गीतोश्री सरकार ने कुलपति अभीजित चक्रवर्ती की मौजूदगी में स्वर्ण पदक और प्रमाणपत्र स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) प्रबंधन को अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा।
गीतोश्री सरकार ने दीक्षांत समारोह के मंच से उतर कर संवाददाताओं से कहा, मैंने राज्यपाल से कहा कि मैं कुलपति की मौजूदगी में पदक और प्रमाणपत्र स्वीकार नहीं कर सकता। राज्यपाल ने फिर मुझसे वहां से हट जाने को कहा।
पीएचडी के छात्र अभिषेक मित्रा ने अपना प्रमाणपत्र स्वीकार किया, लेकिन उसने एक तख्ती ले रखी थी, जिस पर लिखा था, 'इस्तीफा, बातचीत नहीं' (कुलपति के बारे में)। काली पट्टी बांधे हुए काफी संख्या में छात्र और शिक्षक विश्वविद्यालय के छात्रों पर हुई कथित लाठीचार्ज की घटना की निष्पक्ष जांच और कुलपति के इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
छात्रों ने 16 एवं 17 सितंबर की रात विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव और अन्य का घेराव कर परिसर में एक छात्रा के साथ हुए कथित यौन उत्पीड़न की जांच की मांग की थी। यह घटना 28 अगस्त की थी। इस पर, कुलसचिव ने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस बुलाया था, जिसने 35 छात्रों को गिरफ्तार किया था। वहीं, कई छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उस रात परिसर में उन्हें निर्ममता से पीटा था। विश्वविद्यालय परिसर में 'राज्यपाल वापस जाओ, कुलपति वापस जाओ' के नारे वाली तख्तियों से अटा पड़ा था।
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