उमर अब्दुल्ला ने कहा कि शैलिंग में मारे गए जम्मू-कश्मीर के लोगों का कहीं जिक्र नहीं हो रहा है.
जम्मू-कश्मीर में सीजफायर होने के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने मंगलवार को एनडीटीवी इंडिया के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि 36 घंटे हो गए हैं और एलओसी पर हालात लगभग ठीक हैं. इस दौरान पर्यटन को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वाकई दिल टूट गया, जब डल लेक के ऊपर से हेलिकॉप्टर से मैंने नीचे देखा तो डल में एक भी शिकारा देखने को नहीं मिला. उन्होंने कहा कि इस सीजन से अब हमें ज्यादा उम्मीद नहीं है. हमारे लिए पहली चुनौती यह रहेगी कि अमरनाथ यात्रा सही तरीके से संपन्न हो. उन्होंने पाकिस्तान की शैलिंग में मारे गए लोगों का जिक्र करते हुए कहा कि हमें अफसोस है कि शैलिंग में जो लोग मारे गए हैं उनका कहीं पर जिक्र नहीं है.
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सांबा में कल ड्रोन एक्टिविटी देखने को मिली थी, उसके अलावा सरहद पर और लाइन ऑफ कंट्रोल पर हालात लगभग ठीक ही हैं. किसी तरह की शैलिंग या बमबारी देखने को नहीं मिली है.
जहां बम गिरे, वहां हालात सामान्य होने में वक्त लगेगा: अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर में बॉर्डर से दूर के इलाकों में स्कूल खुल गए हैं. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा, "अभी जिन घरों पर शैलिंग का असर हुआ है, जहां पर किसी ने अपनी जान गंवाई है या जहां पर कोई जख्मी हुआ है और अभी भी कई लोग अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं, उन घरों में तो यह असर काफी देर तक चलेगा. वो घर जो मैंने देखे चाहे पुंछ में या तंगधार में या राजौरी में या बाकी इलाकों में वहां पर दुकानों पर, मकानों पर बम गिरे, वहां पर हालात सामान्य होने में वक्त लगेगा. हमारी कोशिश रही कि स्कूल खोलने से माहौल में एक बदलाव तो आ ही जाता है. "
उन्होंने कहा कि बॉर्डर से दूर के इलाकों में मौजूद स्कूलों को हमले पहले खोला है और हालात इसी तरह से रहे तो बॉर्डर के नजदीक के स्कूलों को खोला जाएगा.
पिछले दिनों की अपेक्षा चुनौतियां काफी बढ़ गई: अब्दुल्ला
जम्मू कश्मीर में सबसे बड़ी चुनौती के सवाल पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर में चुनौतियों की कमी तो वैसे भी नहीं रहती है, पिछले दिनों की अपेक्षा चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं. उन्होंने कहा कि पहले जो लोग घायल हुए हैं, हमें पहले उनका इलाज करवाना होगा. उसके बाद दुकानों और मकानों के नुकसान का जायजा लेना होगा और फिर जो मुआवजा हमें उन्हें देना है, वो उन तक जल्द से जल्द लोगों तक पहुंच जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कल मैं बॉर्डर का टूर करूंगा और उसके बाद अगले दिन ऑफिस में बैठकर ऑफिस का काम शुरू करूंगा.
पर्यटन के इस सीजन से अब हमें ज्यादा उम्मीद नहीं: अब्दुल्ला
पर्यटन को लेकर अब्दुल्ला ने कहा, "यह सीजन तो गया. इस सीजन से अब हमें ज्यादा उम्मीद नहीं है. आज वाकई दिल टूटा जब डल लेक के ऊपर से हेलिकॉप्टर से मैंने नीचे देखा तो डल में एक भी शिकारा देखने को नहीं मिला. यह ऐसा सीजन होता है, जब डल में शिकारों का ट्रैफिक जाम होता था, लेकिन आज डल पूरी तरह से खाली है और यही हाल गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग और जो भी हमारे ट्यूरिज्म के इलाके हैं, सबका यही हाल है."
उन्होंने कहा कि हमारे लिए पहली चुनौती यह रहेगी कि अमरनाथ यात्रा सही तरीके से संपन्न हो और जो भी यात्री आएं वो सही सलामत अपने घर पर पहुंचे.
साथ ही उन्होंने देशवासियों से पर्यटन को लेकर अपील करने से इनकार करते हुए कहा कि मैं फिलहाल वो अपील नहीं करना चाहता हूं. हम शायद वो अपील करके ही अपने आपको इस मुसीबत में फंसा गए. पर्यटन के हवाले से हम फिलहाल शांत ही रहे तो बेहतर है.
लोगों ने पहलगाम हमले के खिलाफ आवाज बुलंद की: अब्दुल्ला
पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर की प्रतिक्रिया पर उन्होंने कहा, "लोग अपनी मर्जी से बाहर आए और उन्होंने पहलगाम हमले के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की. यह 35-36 सालों में पहली बार था जब जम्मू-कश्मीर की विधानसभा ने किसी हमले के खिलाफ अपनी आवाज किसी विशेष सत्र के दौरान बुलंद की, लेकिन जहां पर जम्मू कश्मीर के लोगों ने अपनी आवाज बुलंद की, वहीं पर एक तरफ अफसोस इस बात का होता है कि पिछले दिनों की शैलिंग में जो खून-खराबा हुआ, तबाही हुई और लोग मारे गए हैं, उनका कहीं पर खास जिक्र नहीं हो रहा है जैसे उनकी मौत को किसी के खाते में दर्ज ही नहीं किया जा रहा है."
उमर अब्दुल्ला ने बताया किस बात का है अफसोस
उन्होंने कहा कि पहलगाम में 26 लोगों की मौत पर हमें अफसोस है. हम उम्मीद करेंगे कि बाकी मुल्क के लोग इस शैलिंग में जो लोग यहां पर मारे गए हैं, उनके खिलाफ अफसोस का इजहार करें.
साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग दुनिया को छोड़कर के चले गए हैं, उनका कोई मुआवजा नहीं होता है. दुनिया में इतने पैसे नहीं हैं कि आप इस्तेमाल करके उनके घरवालों का दिल पैसे की बुनियाद पर फिर से जीत पाएं.
उन्होंने कहा कि हम अमन पसंद लोग हैं, हमने हमेशा अमन चाहा है. हम वो लोग नहीं हैं जो खून खराबा देखने को पसंद करते हैं. हम वो लोग नहीं हैं जो जंग देखना पसंद करते हैं.
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