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This Article is From Aug 23, 2023

इसरो की उपलब्धि बेमिसाल, सामूहिक संकल्प का नतीजा: कांग्रेस

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता प्रत्येक भारतीय की सामूहिक सफलता है.

इसरो की उपलब्धि बेमिसाल, सामूहिक संकल्प का नतीजा: कांग्रेस

कांग्रेस ने चंद्रयान-3 की सफल 'लैंडिंग' को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की बेमिसाल उपलब्धि करार देते हुए बुधवार को कहा कि यह किसी एक व्यक्ति नहीं, बल्कि सामूहिक संकल्प का नतीजा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम' और रोवर ‘प्रज्ञान' से लैस एलएम की साफ्ट लैंडिग कराने में सफलता हासिल की. भारतीय समयानुसार शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर इसने चांद की सतह को छुआ.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता प्रत्येक भारतीय की सामूहिक सफलता है.

वहीं, पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘आज हम जो सफलता देख रहे हैं वो एक सामूहिक संकल्प, एक सामूहिक कामकाज है, एक सामूहिक टीम के प्रयास का नतीज़ा है. यह सिस्टम का नतीज़ा है, एक व्यक्ति का नहीं है.''

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में इसरो की जो साझेदारी है, जो भागीदारी है -‌ अलग-अलग शिक्षा के संस्थान हैं, निजी क्षेत्र की छोटी-छोटी कंपनियां हैं, जिन्हें आज स्टार्टअप्स कहते हैं, उनके साथ जो भागीदारी का कार्यक्रम इसरो की तरफ़ से हुआ है, उसका भी असर हम देख रहे हैं. आज का क्षण हमारे लिए बहुत ही गर्व का क्षण है और हम इसरो को सलाम करते हैं.''

रमेश ने इसरो के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ इसरो की आज की उपलब्धि वाकई शानदार है, बेमिसाल है. 1962 के फरवरी महीने में होमी भाभा और विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता के कारण इंकोसपार (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति) की स्थापना की गई थी. इसमें जो पहले व्यक्ति शामिल थे, पहले चार-पांच व्यक्ति जो शामिल थे, उनमें एपीजे अब्दुल कलाम थे.''

उनका कहना है, ‘‘इसके बाद में 1969 के अगस्त महीने में विक्रम साराभाई, जो हमेशा अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान को विकास के दृष्टिकोण से देखा करते थे, ने इसरो की स्थापना की. वर्ष 1972 और 1984 के बीच सतीश धवन आए और उन्होंने अद्वितीय नेतृत्व दिखाया. वैज्ञानिक, तकनीकी और मैनेजमेंट के दृष्टिकोण से जो योगदान उनका रहा है, वो बिल्कुल बेमिसाल योगदान रहा है.''

रमेश ने कहा, ‘‘धवन के साथ ब्रह्म प्रकाश जी थे. ब्रह्म प्रकाश एकमात्र ऐसे व्यक्ति रहे हैं, जिन्होंने हमारे परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम और अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम में भी परिवर्तनकारी योगदान दिया है. ''

उन्होंने कहा, ‘‘सतीश धवन के बाद यूआर राव से शुरुआत हुई और कई अध्यक्ष आए. उन सभी ने अपना इसरो में और हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रमों में विशेष योगदान दिया.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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