ISRO अब 22 जुलाई को लॉन्च करेगा चंद्रयान-2, पहले तकनीकी खामी की वजह से टाली गई थी लॉन्चिंग

15 जुलाई को तकनीकी खामी की वजह से इसकी लॉन्चिंग टाल दी गई थी. इसके रॉकेट सिस्टम में कुछ खामी बताई गई थी.

खास बातें

  • पहले 15 जुलाई को होना था लॉन्च
  • तकनीकी खामी की वजह से टाली गई थी लॉन्चिंग
  • 56 मिनट पहले लिया गया था फैसला
नई दिल्ली:

इसरो अब 22 जुलाई को चंद्रयान-2 लॉन्च करेगा. 15 जुलाई को तकनीकी खामी की वजह से इसकी लॉन्चिंग टाल दी गई थी. इसके रॉकेट सिस्टम में कुछ खामी बताई गई थी. अब इसे श्रीहरिकोटा से 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे लॉन्च किया जाएगा. भारत ने श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से होने वाले दूसरे चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण तकनीकी खामी के चलते तय समय से लगभग एक घंटे पहले रद्द कर दिया था. इस मिशन पर 976 करोड़ रुपये खर्च होना बताया गया है. 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ‘बाहुबली' कहे जा रहे भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण वाहन जीएसएलवी मार्क-3 के जरिए होने वाले चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण देखने के लिए मौजूद थे. यह प्रक्षेपण 15 जुलाई को तड़के 2:51 बजे होना था. मिशन के प्रक्षेपण से 56 मिनट 24 सेकंड पहले मिशन नियंत्रण कक्ष से घोषणा के बाद रात 1.55 बजे रोक दिया गया. इसरो के जनसंपर्क विभाग के एसोसिएट निदेशक बी आर गुरुप्रसाद ने कहा था, ‘प्रक्षेपण यान प्रणाली में टी - माइनस 56 मिनट पर एक तकनीकी खामी दिखी और एहतियात के तौर पर चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण आज के लिए टाल दिया गया है.' 

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अंतरिक्ष एजेंसी ने इससे पहले प्रक्षेपण की तारीख जनवरी के पहले सप्ताह में रखी थी, लेकिन बाद में इसे बदलकर 15 जुलाई कर दिया था. श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इस 3,850 किलोग्राम वजन के अंतरिक्ष यान को अपने साथ एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर लेकर जाना था. इस उपग्रह को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरना था जहां वह इसके अनछुए पहलुओं को जानने का प्रयास करता. इससे 11 साल पहले इसरो ने पहले सफल चंद्रमा मिशन - चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 चक्कर लगाए और 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिनों तक वह काम करता रहा.

ध्यानपूर्वक बनाई गई कक्षीय चरणों की योजना के अनुरूप इसे चंद्रमा पर उतरने में 54 दिन का वक्त लगता. इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले ‘चंद्रयान-2' के साथ भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा.  वहीं आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले छह दशकों में से 109 चंद्रमा मिशनों में 61 सफल हुए हैं और 48 विफल रहे.

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चंद्रमा मिशनों पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के डेटाबेस ने यह आंकड़े सामने रखे हैं. 1958 से लेकर 2019 तक भारत के साथ ही अमेरिका, यूएसएसआर (अब रूस), जापान, यूरोपीय संघ और चीन ने विभिन्न चंद्रमा मिशनों को लॉन्च किया है. चंद्रमा तक पहले मिशन की योजना 17अगस्त 1958 में अमेरिका ने बनाई थी लेकिन ‘पायनियर 0' का प्रक्षेपण असफल रहा. सफलता छह मिशन के बाद मिली. पहला सफल चंद्रमा मिशन लूना 1 था जिसका प्रक्षेपण सोवियत संघ ने चार जनवरी,1959 को किया था.

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