नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह सितंबर में संभावित प्रक्षेपण के लिए इस महीने के अंत में भारत भेजा जाएगा. यह उपग्रह पृथ्वी की भूमि और बर्फ की सतहों का अधिक विस्तार से अध्ययन करने में मदद करेगा.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने भारत में भेजे जाने से पहले नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) उपग्रह के अंतिम विद्युत परीक्षण की निगरानी के लिए शुक्रवार को अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया स्थित नासा की जेट प्रणोदन प्रयोगशाला (जेपीएल) का दौरा किया.
उपग्रह को भारत भेजे जाने से पहले जेपीएल में आयोजित औपचारिक समारोह में सोमनाथ ने कहा, 'यह मिशन एक विज्ञान उपकरण के रूप में रडार की क्षमता का एक शक्तिशाली प्रदर्शन होगा और हमें पृथ्वी की गतिशील भूमि और बर्फ की सतहों का पहले से कहीं अधिक विस्तार से अध्ययन करने में मदद करेगा.' कार्यक्रम में दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के वरिष्ठ वैज्ञानिक मौजूद थे.
इसरो और नासा ने 2014 में 2,800 किलोग्राम वजनी उपग्रह बनाने के लिए हाथ मिलाया था. मार्च 2021 में, इसरो ने जेपीएल द्वारा निर्मित एल-बैंड पेलोड के साथ एकीकरण के लिए भारत में विकसित अपने एस-बैंड एसएआर पेलोड को नासा को भेजा था.
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