इशरत जहां की फाइल फोटो
इंडियन एक्सप्रेस ने गुरुवार को इशरत केस की गुम फाइलों की जांच से जुड़े केंद्र सरकार के एक अफ़सर के फोन की रिकॉर्डिंग जारी की है। इससे पता चलता है कि अफसरों को सवाल-जवाब पहले से समझाए जा रहे थे। हालांकि दोनों अफ़सरों ने इस बात को गलत बताया है कि उन्होंने ऐसी कोई बातचीत की है।
इशरत की गुम फाइलों की जांच टीम के मुखिया बीके प्रसाद और अशोक कुमार की बातचीत के सार्वजनिक होने के बाद हंगामा हो गया। रिपोर्ट बता रही है कि किस तरह इशरत की जांच के नाम पर पहले से सवाल-जवाब तय हो रहे हैं। अखबार ने दावा किया कि किसी और सिलसिले में हो रही बातचीत के दौरान उसने ये रिकॉर्डिंग की।
हालांकि बीके प्रसाद और अशोक कुमार दोनों ने इसे गलत बताया। बीके प्रसाद ने बयान जारी कर कहा है कि इस तरह की फोन रिकॉर्डिंग अनैतिक है। अखबार जो बता रहा है न वो सवाल पूछे गए और न ही वो जवाब दिए गए।
बाद में एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए बीके प्रसाद ने कहा कि वो बस अशोक कुमार को जांच में शामिल होने के बारे में जानकारी दे रहे थे। इस संबंध में अशोक कुमार का कहना है कि 26 मार्च को बीके प्रसाद ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया। ये फाइल कभी मेरे पास नहीं आई। पूरे कार्यकाल में कभी भी मेरे पास नहीं रही। इनके बारे में मेरे लिए कुछ भी कहना मुश्किल है।
प्रसाद और अशोक कुमार की बातचीत
उन्होंने अपनी और प्रसाद की बातचीत भी मीडिया के सामने रखी
बीके प्रसाद - 13/04/2011 को तब रहे संयुक्त आयुक्त धर्मेंद्र शर्मा ने फ़ाइल में नोटिंग की और भेजी क्या तुमने वो फ़ाइल देखी थी?
अशोक कुमार - जैसा कि मैंने बताया मैं दौरे में था, जब वापिस आया तब भी वो फ़ाइल मुझे सौंपी नहीं गई। अपने पूरे कार्यकाल में मैं ये फ़ाइल नहीं देखी और ना कभी अपनी कस्टडी में रखी।
बीके प्रसाद - क्या तुम बता सकते हो की वो पेपर किसकी कस्टडी में अब होंगे?
अशोक कुमार - मेरे लिए ये कहना मुश्किल है।
इस मामले में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम इस रिपोर्ट के आधार पर कहा कि एनडीए की पोल फिर खुल गई है। उन्होंने याद दिलाया कि असल सवाल ये है कि इशरत जहां की मुठभेड़ फर्ज़ी थी या नहीं। उधर बीजेपी ने इशरत जहां को फिर आतंकी करार दिया और कहा कि उसकी जांच में हेरफेर कर नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बदनाम करने की साज़िश की गई। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने भी कहा कि इशरत जहां आतंकवादी थी।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू का कहना है, "ये सब चिदंबरम का किया हुआ है, एक आतंकवादी को उन्होंने बेक़सूर क़रार दे दिया। कांग्रेस ने ग़लत किया था।"
उठ रहे गृह मंत्रालय पर सवाल
इस बीच सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर दो अफ़सरों के बीच की बातचीत की इतनी साफ़ रिकॉर्डिंग कैसे संभव हुई। क्या इसके पीछे भी कोई जानी-बूझी कोशिश है? फिलहाल तो कठघरे में केंद्रीय गृह मंत्रालय है जिस पर इस मामले को जबरन खींचने का आरोप लग रहा है।
इशरत की गुम फाइलों की जांच टीम के मुखिया बीके प्रसाद और अशोक कुमार की बातचीत के सार्वजनिक होने के बाद हंगामा हो गया। रिपोर्ट बता रही है कि किस तरह इशरत की जांच के नाम पर पहले से सवाल-जवाब तय हो रहे हैं। अखबार ने दावा किया कि किसी और सिलसिले में हो रही बातचीत के दौरान उसने ये रिकॉर्डिंग की।
हालांकि बीके प्रसाद और अशोक कुमार दोनों ने इसे गलत बताया। बीके प्रसाद ने बयान जारी कर कहा है कि इस तरह की फोन रिकॉर्डिंग अनैतिक है। अखबार जो बता रहा है न वो सवाल पूछे गए और न ही वो जवाब दिए गए।
बाद में एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए बीके प्रसाद ने कहा कि वो बस अशोक कुमार को जांच में शामिल होने के बारे में जानकारी दे रहे थे। इस संबंध में अशोक कुमार का कहना है कि 26 मार्च को बीके प्रसाद ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया। ये फाइल कभी मेरे पास नहीं आई। पूरे कार्यकाल में कभी भी मेरे पास नहीं रही। इनके बारे में मेरे लिए कुछ भी कहना मुश्किल है।
प्रसाद और अशोक कुमार की बातचीत
उन्होंने अपनी और प्रसाद की बातचीत भी मीडिया के सामने रखी
बीके प्रसाद - 13/04/2011 को तब रहे संयुक्त आयुक्त धर्मेंद्र शर्मा ने फ़ाइल में नोटिंग की और भेजी क्या तुमने वो फ़ाइल देखी थी?
अशोक कुमार - जैसा कि मैंने बताया मैं दौरे में था, जब वापिस आया तब भी वो फ़ाइल मुझे सौंपी नहीं गई। अपने पूरे कार्यकाल में मैं ये फ़ाइल नहीं देखी और ना कभी अपनी कस्टडी में रखी।
बीके प्रसाद - क्या तुम बता सकते हो की वो पेपर किसकी कस्टडी में अब होंगे?
अशोक कुमार - मेरे लिए ये कहना मुश्किल है।
इस मामले में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम इस रिपोर्ट के आधार पर कहा कि एनडीए की पोल फिर खुल गई है। उन्होंने याद दिलाया कि असल सवाल ये है कि इशरत जहां की मुठभेड़ फर्ज़ी थी या नहीं। उधर बीजेपी ने इशरत जहां को फिर आतंकी करार दिया और कहा कि उसकी जांच में हेरफेर कर नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बदनाम करने की साज़िश की गई। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने भी कहा कि इशरत जहां आतंकवादी थी।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू का कहना है, "ये सब चिदंबरम का किया हुआ है, एक आतंकवादी को उन्होंने बेक़सूर क़रार दे दिया। कांग्रेस ने ग़लत किया था।"
उठ रहे गृह मंत्रालय पर सवाल
इस बीच सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर दो अफ़सरों के बीच की बातचीत की इतनी साफ़ रिकॉर्डिंग कैसे संभव हुई। क्या इसके पीछे भी कोई जानी-बूझी कोशिश है? फिलहाल तो कठघरे में केंद्रीय गृह मंत्रालय है जिस पर इस मामले को जबरन खींचने का आरोप लग रहा है।
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