- दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ को ऑर्टिकल-240 में लाने की तैयारी में है
- लंबे समय से पंजाब और हरियाणा दोनों चंडीगढ़ पर दावा करते आए हैं और अब इस पर राजनीति गरम हो गई है.
- हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि शीतकालीन सत्र में इस आशय का कोई बिल प्रस्तुत करने की मंशा नहीं है.
संसद का शीतकालीन सत्र पहली दिसंबर से शुरू होने वाला है लेकिन इससे पहले ही चंडीगढ़ को लेकर सिसायत गरमा गई है. दरअसल खबर है कि केंद्र सरकार पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ को संविधान के ऑर्टिकल-240 के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है. इससे जुड़े बिल संसद में पेश करने और संविधान में 131वें संशोधन के तहत चंडीगढ़ की वर्तमान स्थिति में बदलाव कर उसे अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की तरह एक स्वतंत्र प्रशासक देने की चर्चा से दोनों राज्यों के बीच राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं.
लोकसभा और राज्यसभा की एक बुलेटिन के अनुसार केंद्र सरकार 19 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान इसका प्रस्ताव 131वें संशोधन विधेयक-2025 के तहत ला सकती है. प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य चंडीगढ़ को लक्षद्वीप, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव जैसे विधायिका रहित अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के अनुरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 की जगह अनुच्छेद 240 में शामिल करना है. इससे चंडीगढ़ में एक स्वतंत्र प्रशासक का मार्ग प्रशस्त होगा. पंजाब के राज्यपाल वर्तमान में चंडीगढ़ के प्रशासक हैं.
लोकसभा और राज्यसभा के 21 नवंबर के बुलेटिन के अनुसार, सरकार 1 दिसंबर, 2025 से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में 131वां संविधान संशोधन विधेयक, 2025 पेश करेगी.

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चंडीगढ़ के बनने, पंजाब का उस पर अधिकार जमाने की कहानी
1947 में विभाजन के बाद लाहौर समेत पंजाब का एक बड़ा पाकिस्तान में चला गया. भारत के पास पूर्वी पंजाब बचा लेकिन उसकी कोई राजधानी नहीं थी. इस कमी को पूरा करने के लिए 1950 में एक नई आधुनिक राजधानी बनाने का फैसला किया गया.
चंडीगढ़ की वेबसाइट के अनुसार इसे बसाने के लिए 1950 में एक अमेरिकी कंपनी ने अधिकारियों अल्बर्ट मायर और मैथ्यू नोविकी ने इसका मास्टर प्लान तैयार किया था. लेकिन नोविकी की एक विमान की एक दुर्घटना में मौत हो गई तब 1951 में सीनियर आर्किटेक्ट ले कार्बुजिएर को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई.
सीनियर आर्किटेक्ट को युवा भारतीय आर्किटेक्ट और प्लानर की टीम ने सपोर्ट किया. इनमें एमएन शर्मा, एआर प्रभावलकर, यूई चौधरी, जेएस देठे, बीपी माथुर, आदित्य प्रकाश, एनएस लांभा और अन्य लोग शामिल थे.
फिर चंडीगढ़ को बसाने के लिए करीब 28 गांवों को खाली करवाया गया. यही वजह है कि पंजाब लंबे समय से यह कहता आया है कि चंडीगढ़ पर उसका अधिकार अधिक है क्योंकि इसके लिए उसके (पंजाब के) कई गांवों को खाली करवाया गया था.

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राज्यों के पुनर्गठन से आया बड़ा बदलाव
चंडीगढ़ अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवंबर 1966 को आया. तब हरियाणा नाम से कोई राज्य भी नहीं था लेकिन तब पंजाब और हिमाचल प्रदेश का पुनर्गठन किया गया. इसी समय पंजाब का भाषा के आधार पर विभाजन भी किया गया. पंजाबी भाषी क्षेत्र को पंजाब बना दिया गया और हरियाणवी भाषी क्षेत्र को हरियाणा राज्य बनाया गया.वहीं चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी बनाया गया था. साथ ही इसे एक केंद्र शासित प्रदेश भी घोषित किया गया था, जिसका नियंत्रण केंद्र सरकार के जिम्मे सौंपा गया था.
यही कारण है कि पंजाब का यह भी कहना है कि चंडीगढ़ में पंजाबी भाषी लोग अधिक रहते हैं इसलिए भी उसका इस पर अधिक अधिकार है. अगस्त 1982 में शिरोमणि अकाली दल ने हरचरण सिंह लोंगोवाल के नेतृत्व में धर्मयुद्ध मोर्चा या धार्मिक अभियान का एलान किया था, जिसमें चंडीगढ़ को पंजाब को देने की मांग भी शामिल थी.
उधर हरियाणा का कहना है कि चंडीगढ़ में हरियाणवी और हिंदी भाषी आबादी बड़ी संख्या में बसती है लिहाजा उसका इस पर अधिकार होना चाहिए. दोनों राज्य इस पर इतिहास, भाषा और प्रशासनिक तर्क के साथ अपना पक्ष देते रहे हैं.

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आर्टिकल 240 क्या है?
संविधान के अनुच्छेद 240 के तहत भारत के राष्ट्रपति के पास केंद्रशासित प्रदेशों में व्यवस्था सुनिश्चित करने का अधिकार है. इसके तहत कुछ केंद्रशासित प्रदेशों के लिए राष्ट्रपति नियम बना सकते हैं और इसके तहत वहां के लिए विशेष कानून बनाने का प्रावधान भी है. आर्टिकल 240 के तहत आने वाले प्रदेशों में शांति और विकास कार्यों का अधिकार भी राष्ट्रपति के पास हो जाता है. यह उन केंद्रशासित प्रदेशों में लागू होता है जहां विधानसभा नहीं है.
चंडीगढ़ में प्रशासनिक कार्य फिलहाल पंजाब के राज्यपाल के अधीन है. राज्य के मंत्रिमंडल की सलाह पर राज्यपाल ही चंडीगढ़ से जुड़े मामलों में निर्णय लेते हैं पर पंजाब का इसमें परोक्ष दखल होता है. अब अगर चंडीगढ़ आर्टिकल 240 के तहत आ गया तो अन्य (बिना विधानसभा वाले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव और पुडुचेरी) केंद्रशासित प्रदेशों की तरह यह भी केंद्र के अधीन आ जाएगा (जैसा की आशंका जताई जा रही है).
विरोध के स्वर
चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 के तहत लाने की तैयारी के विरोध में न केवल विपक्षी पार्टियों ने बयान दिए हैं बल्कि खुद बीजेपी के पंजाब यूनिट के सदस्यों ने भी इसके खिलाफ खुल कर बयान दिया है.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत अन्य नेताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया है. भगवंत मान का कहना है कि चंडीगढ़ हमेशा पंजाब का अभिन्न अंग रहेगा. वहीं आप सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने कहा कि केंद्र ने कई समझौते के तहत चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी बनाने का वादा किया था. वहीं कांग्रेस के महासचिव और राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाते हुए कहा है कि आर्टिकल 240 में बदलाव करने का केंद्र सरकार का कदम संघीय ढांचे को कमजोर करने की की एक इरादतन साजिश है.
बीजेपी के नेता विजय समपाल ने भी कहा है कि पंजाब यह नहीं चाहता है. उनका कहना है कि पंजाब बीजेपी यह दावा करता है कि चंडीगढ़ पंजाब को दिया जाना चाहिए.
#WATCH | Hoshiarpur (Punjab): On Centre's proposed Constitution (131st Amendment) Bill for the upcoming Winter Session in Chandigarh, BJP leader Vijay Sampla says, "... Chandigarh, which is currently governed under Article 239, is proposed to be brought under Article 240. This… pic.twitter.com/JULFmUhVtj
— ANI (@ANI) November 23, 2025
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया
हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि यह अभी केंद्र सरकार के स्तर पर विचाराधीन है. इसपर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, साथ ही इसके तहत शासन-प्रशासन व्यवस्था में बदलाव या चंडीगढ़ के साथ पंजाब या हरियाणा के परंपरागत संबंधों को परिवर्तन करने की कोई बात नहीं है.

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"शीतकालीन सत्र में बिल पेश करने की मंशा नहीं"
गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया, "संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़ के लिए सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव अभी केंद्र सरकार के स्तर पर विचाराधीन है. इस प्रस्ताव पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. इस प्रस्ताव में किसी भी तरह से चंडीगढ़ की शासन-प्रशासन की व्यवस्था या चंडीगढ़ के साथ पंजाब या हरियाणा के परंपरागत संबंधों को परिवर्तित करने की कोई बात नहीं है."
इसमें यह भी कहा गया कि समुचित विचार-विमर्श के बाद ही उचित फैसला किया जाएगा. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार की कोई बिल पेश करने की मंशा नहीं है.
गृह मंत्रालय ने कहा, "इस विषय पर चिंता की आवश्यकता नहीं है. आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र मे इस आशय का कोई बिल प्रस्तुत करने की केंद्र सरकार की कोई मंशा नहीं है."
The proposal only to simplify the Central Government's law-making process for the Union Territory of Chandigarh is still under consideration with the Central Government. No final decision has been taken on this proposal. The proposal in no way seeks to alter Chandigarh's…
— PIB - Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) November 23, 2025
हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस पर पर्याप्त विचार विमर्श के बाद ही उचित निर्णय लिया जाएगा. यानी अगर लोकसभा और राज्यसभा के 21 नवंबर के बुलेटिन के अनुसार अगर 131वां संशोधन विधेयर चंडीगढ़ को संविधान के आर्टिकल 240 में लाने के लिए पेश किया गया तो इसके पारित होने के बाद चंडीगढ़ के प्रशासक के रूप में एलजी (लेफ्टिनेंट गवर्नर) नियुक्त किए जा सकते हैं. फिलहाल चंडीगढ़ के प्रशासक पंजाब के राज्यपाल होते हैं.
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