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This Article is From Oct 05, 2023

जांच एजेंसियों का दावा- दिल्ली शराब घोटाले में फर्म को 193 करोड़ का मुनाफा, AAP को मिली रिश्वत

आम आदमी पार्टी (AAP) और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी आरोपों का सख्ती से खंडन किया है. उन्होंने बार-बार कहा है कि एजेंसियों को "एक हजार से अधिक छापों" के बाद भी गलत काम का कोई सबूत नहीं मिला है.

जांच एजेंसियों का दावा- दिल्ली शराब घोटाले में फर्म को 193 करोड़ का मुनाफा, AAP को मिली रिश्वत
दिल्ली सरकार ने विवादित शराब नीति वापस ले ली है (प्रतीकात्मक फोटो).
नई दिल्ली:

Delhi liquor policy case: दिल्ली सरकार से होलसेल शराब का लाइसेंस हासिल करने के लिए एक निजी कंपनी ने कथित तौर पर 30 लाख रुपये की रिश्वत दी. उसने दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) को रिश्वत के रूप में करोड़ 100 करोड़ रुपये दिए. कंपनी ने 13 महीनों में बिक्री से 1,333 करोड़ रुपये कमाए और सिर्फ आठ महीनों में 192.8 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया. कथित तौर पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के कविता के प्रमुख सहयोगी अरुण पिल्लई को भी 33 करोड़ रुपये भेजे गए थे.

दिल्ली शराब नीति घोटाले में यह आम आदमी पार्टी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज मामलों का सारांश है. एजेंसियों का दावा है कि इससे दिल्ली सरकार को 2,873 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है. केजरीवाल ने कल बताया था कि, "एक हजार से अधिक छापे" भी गलत काम के सबूत खोजने में विफल रहे. आम आदमी पार्टी ने इस मामले के जरिए चुनाव से पहले "राजनीतिक प्रतिशोध" लिए जाने का भी दावा किया है.

बीआरएस की नेता के कविता ने भी कोई भी गलत काम करने से इनकार किया है. उन्होंने दावा किया है कि उनके खिलाफ आरोप झूठे बयानों के आधार पर लगाए गए हैं.

दिल्ली की संशोधित शराब नीति पर विवाद पिछले साल जुलाई में तब शुरू हुआ जब दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने शराब लाइसेंस धारियों को "अनुचित लाभ" और कोविड महामारी के दौरान 144 करोड़ रुपये की छूट दिए जाने की बात कही. दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर इस मामले की सीबीआई जांच और ईडी की जांच शुरू गई. शराब नीति घोटाले ने तब से आम आदमी पार्टी को परेशान कर रखा है.

सीबीआई का दावा- "समृद्ध बनने की साजिश"

सीबीआई का आरोप है कि यह घोटाला जून 2021 में शुरू हुआ. हैदराबाद के व्यापारियों के एक गुट ने दिल्ली सरकार की नई शराब नीति का इस्तेमाल करके "खुद को समृद्ध" और अपने सहयोगियों को समृद्ध बनाने की साजिश रची थी.

हैदराबाद के इस ग्रुप में शामिल प्रमुख व्यक्ति विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली, अरुण पिल्लई और समीर महेंद्रू हैं. सीबीआई का दावा है कि पिछले साल सितंबर में गिरफ्तार किए गए नायर ने बोइनपल्ली और पिल्लई से मुलाकात की थी. कथित तौर पर तीनों इस बात पर सहमत हुए कि दिल्ली सरकार से शराब लाइसेंस हासिल करने के लिए 20 से 30 करोड़ रुपये की राशि "अग्रिम राशि" के रूप में भेजी जाएगी.

कथित रूप से यह ग्रुप इस बात पर सहमत हुआ कि यह राशि बोइनपल्ली को अरुण पिल्लई के नाम पर "65 प्रतिशत साझेदारी" के रूप में वापस कर दी जाएगी. ईडी का दावा है कि पिल्लई तेलंगाना की नेता के कविता से जुड़े एक शराब कार्टेल को संभालते हैं. यह इंडोस्पिरिट ग्रुप नाम की कंपनी है जिसके मालिक महेंद्रू हैं. इस कथित साजिश का एक और तथ्य यह है कि (अब खत्म हो चुकी) दिल्ली सरकार की शराब नीति में लिस्टेड 12 प्रतिशत प्राफिट मार्जिन का आधा हिस्सा नायर और बोइनपल्ली के बीच बांटा गया.

सीबीआई ने अदालत को बताया कि 20-30 करोड़ रुपये हवाला चैनलों के जरिए भेजे गए थे और इस ट्रांसफर को दिनेश अरोड़ा ने कोआर्डिनेट किया था. अरोड़ा इस मामले में सरकारी गवाह बन गया है. कल रात 'आप' नेता संजय सिंह की गिरफ्तारी की कड़ी भी अरोड़ा ही है. अरोड़ा ने दावा किया है कि इन्हीं राज्यसभा सांसद ने उसे मनीष सिसोदिया से मिलवाया था.

दिल्ली सरकार ने लाइसेंस को मंजूरी दी

सीबीआई ने दावा किया है कि 'आप' सरकार को इंडोस्पिरिट्स के खिलाफ शिकायतें मिली थीं, लेकिन तब के एक्साइज डिपार्टमेंट के प्रमुख सिसौदिया ने इस पर भी उसकी लाइसेंस रिक्वेस्ट को मंजूरी दे दी. इसके लिए कथित तौर पर 30 लाख रुपये की रिश्वत दी गई थी.

सीबीआई ने यह भी दावा किया है कि लाइसेंस आवंटन को मंजूरी देने के लिए अरोड़ा के जरिए नायर से संपर्क किया गया था.

सीबीआई के अनुसार, लाइसेंस 5 नवंबर 2021 को दिया गया और इंडोस्पिरिट्स ने सितंबर 2022 तक कुल 1,333 करोड़ रुपये की बिक्री की. उसने 68 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया.

आठ महीने में 192.8 करोड़ रुपये का मुनाफा

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मुताबिक, इंडोस्पिरिट्स ने सिर्फ आठ महीने में 192.8 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया. इसमें से 100 करोड़ रुपये आम आदमी पार्टी (AAP) को दिए गए. ईडी का दावा है कि इस पैसे का इस्तेमाल पिछले साल गोवा के विधानसभा चुनाव में किया गया था. कथित तौर पर अरुण पिल्लई को 33 करोड़ रुपये दिए गए थे.

ईडी का यह भी दावा है कि इंडोस्पिरिट्स में 32.5 प्रतिशत हिस्सेदारी आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से लोकसभा सांसद मुगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी के पास थी. प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक, रेड्डी ने कथित तौर पर दो रिटेल लाइसेंस हासिल किए. ईडी का दावा है कि उन्होंने, सरथ रेड्डी (जिनके पास पांच लाइसेंस थे) और तेलंगाना की विधायक के कविता के साथ "साउथ कार्टेल" बनाया था.

आम आदमी पार्टी के नेता गिरफ्तार

इस मामले में विस्तृत जानकारी सामने आने के साथ सीबीआई और ईडी ने मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और विजय नायर सहित कई व्यक्तियों के ठिकानों पर छापे मारे, पूछताछ की और गिरफ्तार किया. अब पूरे आसार हैं कि एक और ऐतिहासिक और अभूतपूर्व घटना के तहत आम आदमी पार्टी खुद भी इस मामले में आरोपी होगी.

आम आदमी पार्टी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई तब हुई है जब देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं और इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है. इस कार्रवाई की विपक्ष ने तीखी आलोचना की है. विपक्ष सत्तारूढ़ बीजेपी पर प्रतिद्वंद्वी नेताओं को निशाना बनाने के लिए सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल करने का आरोप लगा रहा है.

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