"रैंकिंग कौन देता है": बिलकिस बानो केस की सुनवाई के दौरान SC में पत्रकारिता पर हुई दिलचस्प बहस

Bilkis Bano case: बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ ने "रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स" द्वारा प्रकाशित विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का हवाला दिया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रिपोर्ट की विश्वसनीयता और रैंकिंग पर ही सवाल उठाए.

बिलकिस बानो केस में अब 11 जुलाई को अगली सुनवाई होगी.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बिलकिस बानो केस (Bilkis Bano case) की सुनवाई के दौरान भारतीय पत्रकारिता को लेकर दिलचस्प बहस हुई. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)के जज के एम जोसेफ ने "रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स" द्वारा प्रकाशित विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का हवाला देते हुए कहा कि भारत पत्रकारिता स्वतंत्रता के मामले में 161वें स्थान पर है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रिपोर्ट की विश्वसनीयता और रैंकिंग पर ही सवाल उठाए. एसजी ने कहा, "यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि रैंकिंग कौन देता है."

एसजी ने कहा,"यह सब रैंकिंग देने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है. मैं भी किसी मामले में भारत को नंबर एक रैंकिंग दे सकता हूं. यह पूरी तरह से निर्भर करता है." यह बहस बिलकिस बानो मामले की सुनवाई के दौरान हुई.

वहीं, बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई 11 जुलाई के लिए टाल दी गई, क्योंकि एक दोषी कोर्ट नहीं पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट को  जानकारी दी गई कि रिहा हुए एक दोषी को अभी तक कोर्ट का औपचारिक नोटिस नहीं मिला है, क्योंकि वह घर पर उपलब्ध नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता एक बार फिर नोटिस सर्व करने की कोशिश करें.

कोर्ट ने कहा- "अगर सफलता न मिले तो पब्लिक नोटिस एक गुजराती और एक अंग्रेजी अखबार में छपवाया जाए, ताकि दोबारा सुनवाई न टालनी पड़े. 11 जुलाई को अगली सुनवाई होगी."

इससे पहले जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच के समक्ष एडवोकेट शोभा गुप्ता (बिलकिस बानो के लिए) ने कहा कि गुजरात पुलिस ने सहयोग किया, लेकिन पुलिस की लाख कोशिशों के बाद भी नोटिस नहीं दिया जा सका. प्रतिवादी घर पर नहीं, उनका फोन स्विच ऑफ है. परिजन का कहना है कि हमें कुछ पता नहीं है. पूरी दुनिया जानती है कि यह केस चल रहा है. 

"हर हफ्ते पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगवाएं"
बिलकिस बानो की वकील शोभा गुप्ता ने कहा- "मैं इस अदालत से विनती करूंगी. प्रतिवादियों को हर हफ्ते पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने दें. कृपया आदेश 53 लागू करें, गिरफ्तारी के वारंट जारी किए जाएं." इस पर कोर्ट ने कहा कि दूसरा तरीका क्या है? अखबार में छपवाया जाए. जिसका गुप्ता ने विरोध किया. कोर्ट ने कहा कि एससी रजिस्ट्री क्या कहती है? वह पूरी कार्यवाही को रोके हुए है. वह स्पष्ट रूप से जागरूक है. उनके वकील दूसरे मामले में पेश हो रहे हैं. 

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