बिहार में सत्तारूढ़ राजद को सोमवार को एक पोस्टर के चलते सहयोगियों और विरोधियों की समान आलोचना का सामना करना पड़ा. इस पोस्टर में शिक्षा के गुणों का बखान करते हुए मंदिरों के बारे में कटाक्ष किया गया है. राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह द्वारा यह पोस्टर यहां पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को आवंटित सरकारी बंगला एक गेट के पास लगाया गया है. सिंह ने इस पोस्टर में पार्टी कार्यकर्ताओं से समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर इस सप्ताह के अंत में अपने विधानसभा क्षेत्र डेहरी में आयोजित एक समारोह में शामिल होने का आह्वान किया है.
पोस्टर में मंदिरों को लेकर कटाक्ष करते हुए लिखा गया है, "मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी का मार्ग और स्कूल का मतलब होता है जीवन में प्रकाश का मार्ग. जब मंदिर की घंटी बजती है, तो हमें संदेश देती है कि हम अंधविश्वास, पाखंड, मूर्खता और अज्ञानता की ओर बढ़ रहे हैं और जब स्कूल की घंटी बजती है, तो यह संदेश मिलता है कि हम तर्कपूण ज्ञान, वैज्ञानिकता तथा प्रकाश की ओर बढ़ रहे हैं. अब तय करना है कि आपको किस ओर जाना चाहिए."
"सुनियोजित साजिश"
बिहार में विपक्षी पार्टी भाजपा ने आरोप लगाया कि यह इंडिया गठबंधन के नेताओं द्वारा सनातन धर्म की संवेदनाओं के अपमान का एक और उदाहरण है. भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने संदेह जताया कि यह पोस्टर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस महीने के अंत में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के खिलाफ एक 'सुनियोजित साजिश' है. इसी तरह की भावना प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी और केंद्रीय मंत्री और बेगुसराय से लोकसभा सांसद गिरिराज सिंह ने भी व्यक्त की.
"तो धार्मिक कार्यों से दूर रहना चाहिए!"
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली जदयू भी इस विवाद से नाखुश दिखी. जदयू के विधानपरिषद सदस्य और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने गुस्से में कहा, "अगर राजद विधायक मंदिरों और अनुष्ठानों के खिलाफ खड़े होने के बारे में गंभीर हैं, तो उन्हें अपने समर्थकों द्वारा आयोजित सभी धार्मिक कार्यों से दूर रहना चाहिए."
"किसी की धार्मिक भावनाएं आहत न हों"
राजद नेता और राज्य के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकलने पर पत्रकारों द्वारा इस बारे में पूछे जाने पर कहा, “शिक्षा के महत्व और वैज्ञानिक सोच पर जोर देना ठीक है, लेकिन हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बातें इस तरह से कही जाएं जिससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहत न हों.” शाम को, राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने एक आकस्मिक प्रेस वार्ता आयोजित की और कहा, “हमारी पार्टी एक ऐसी पार्टी है जिसके डीएनए में सभी धर्म और जाति के प्रति समभाव है पर हम क्या सावित्री भाई फूल के योगदान को भुला दें." उन्होंने कहा, “कितने भाजपा नेताओं ने सावित्रीबाई फुले और महात्मा ज्योतिबा फुले के योगदान के बारे में सुना होगा, क्योंकि उनकी बौद्धिक पूंजी शून्य है. मैं भाजपा के नेताओं को चुनौती देता हूं कि वे हमारे पार्टी अध्यक्ष, जो एक गहरे धार्मिक व्यक्ति हैं, के साथ हिंदू धर्म पर शास्त्रार्थ करें.”
झा ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने मंदिर और विद्यालय के संदर्भ में जो बातें कहीं हैं उसे जब हमारे विधायक उद्धृत करते हैं तो वंचित और शोषित समाज से आने वाली एक महिला को लेकर क्या-क्या टिप्पणी की जा रही है. उन्होंने कहा, "हमारा धार्मिक ज्ञान बनावटी नहीं है. हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम राम बापू के राम है. हमारे राम किसी से घृणा नहीं सिखाते. हम हे राम वाले लोग हैं. अब भाजपा तय करे कि वह क्या है." झा ने कहा कि जो बयान वंचित और शोषित समाज के बीच अलख जगाने के लिए दिया गया उसको लेकर किस प्रकार की प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा ने ऐसा माहौल बना दिया है कि कबीर जैसे कवि को भी वर्तमान दौर में विधर्मी घोषित कर दिया जाएगा.
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