भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) ने मंगलवार को दावा किया कि संस्थान के आणविक जैवभौतिकी इकाई के प्रोफेसर राघवन वरदराजन के नेतृत्व में अनुसंधानकर्ता सार्स-सीओवी-2 और एचआईवी के खिलाफ प्रभावी टीका रणनीति विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं.
आईआईएससी, बेंगलुरु की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, पिछले हफ्ते प्रकाशित दो अध्ययनों में अनुसंधानकर्ताओं ने ‘गर्मी सह सकने वाले' कोविड-19 के टीके की डिजाइन और एचआईवी के आवरण प्रोटीन में विशेष क्षेत्रों की पहचान करने की त्वरित प्रणाली का उल्लेख किया जिनसे प्रभावी टीके बनाने में मदद मिल सकती है.
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आईआईएससी के अनुसार, बायोलॉजिकल केमिस्ट्री और प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस पत्रिका में अध्ययनों को प्रकाशित किया गया है. विज्ञप्ति के अनुसार, इन टीकों को ऐसे शीतलन उपकरणों में रखा जा सकता है जो महंगे न हों. साथ ही इन्हें सामूहिक टीकाकरण के लिए सुदूर इलाकों में ले जाया जा सकता है.
संस्थान ने कहा कि एमआरएनए टीकों जैसे नये प्रकारों की तुलना में इसके जैसे प्रोटीन आधारित टीके का उत्पादन भारत में आसानी से बढ़ाया जा सकता है जहां निर्माता दशकों से इस तरह के टीके बना रहे हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं