- भारतीय रेलवे ने 2019 से 2025 के बीच 33,000 किलोमीटर से अधिक रेल मार्गों का विद्युतीकरण पूरा किया है.
- अब तक भारतीय रेलवे के ब्रॉड-गेज नेटवर्क का 99 प्रतिशत से अधिक हिस्सा इलेक्ट्रिफाई किया जा चुका है.
- विद्युतीकरण से डीजल की खपत कम हुई है, उत्सर्जन घटा है और ट्रेन संचालन की गति और कुशलता बढ़ी है.
भारतीय रेलवे अपनी विद्युतीकरण (इलेक्ट्रिफिकेशन) योजना में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. अब तक इसके 99 प्रतिशत से ज्यादा ब्रॉड-गेज नेटवर्क को इलेक्ट्रिफाई किया जा चुका है और बाकी के हिस्सों का विद्युतीकरण जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है. रेल मंत्रालय ने यह जानकारी रविवार को दी.
रेल मंत्रालय के अनुसार, “पिछले कुछ वर्षों में इस दिशा में काफी तेजी से प्रगति हो रही है. वर्ष 2019 से 2025 के बीच भारतीय रेलवे ने 33,000 किलोमीटर से ज्यादा रेल मार्गों का विद्युतीकरण किया, यानी हर दिन औसतन 15 किलोमीटर से ज्यादा रेलवे ट्रैक को इलेक्ट्रिफाई किया. इस दौरान इलेक्ट्रिफाई की गई दूरी लगभग जर्मनी के पूरे रेलवे नेटवर्क के बराबर है, जो भारत की इस योजना की गंभीरता और दायरे को दर्शाता है.”
यह उपलब्धि भारत के लिए और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन देशों से कहीं आगे है, जिनकी पहले से मजबूत रेलवे प्रणालियां हैं. भारत ने अपनी ब्रॉड-गेज प्रणाली के अधिकांश हिस्से को इलेक्ट्रिफाई किया है, जबकि दुनिया के कई बड़े और व्यस्त नेटवर्क अभी भी डीजल इंजन पर निर्भर हैं.
इस बदलाव के कारण डीजल की खपत में कमी आई है, उत्सर्जन घटा है, ऑपरेशनल खर्च कम हुआ है और ट्रेन ऑपरेशन की कुशलता और गति में सुधार हुआ है. रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को संसद में बताया था कि भारतीय रेलवे अब अपनी ट्रैक्शन पावर की जरूरतों को सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरा करने की योजना बना रहा है. इसका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को कम करना और पर्यावरण को बचाना है.
उन्होंने बताया कि नवंबर 2025 तक भारतीय रेलवे ने 812 मेगावाट सौर ऊर्जा और 93 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए हैं, जो रेलवे की ट्रैक्शन पावर की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं.
इसके अलावा, रेलवे ने 1,500 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने का भी इंतजाम किया है, जिसमें सौर, पवन और स्टोरेज तकनीकें शामिल हैं. रेलवे अब थ्री-फेज आईजीबीटी टेक्नोलॉजी आधारित लोकोमोटिव (मोटर) भी बना रहा है, जो एनर्जी को रि-जेनरेट कर सकती है, यानी ब्रेकिंग के दौरान उपयोग की गई ऊर्जा का कुछ हिस्सा फिर से वापस पैदा कर सकती है.
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