नई दिल्ली:
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी नौसेना यानी भारतीय नौसेना को करीब 100 मल्टीरोल हेलीकॉप्टरों की दरकार है, लेकिन केवल कुछ दर्जन के साथ ही इसे काम चलाना पड़ रहा है। यह सभी हेलीकॉप्टर युद्धपोतों पर तेनात किए जाते हैं।
छिपी पनडुब्बी को तलाशने में माहिर हैं ये हेलीकॉप्टर
ये हेलीकॉप्टर तब काफी अहम हो जाते हैं जब किसी छिपी पनडुब्बी को तलाशना होता है। जब दुश्मन के जहाजों की पूर्व सूचना युद्धपोत पर देनी होती है और जब दुश्मन के जंगी हवाई जहाज हमले के लिए आ रहे होते हैं। भारतीय नौसेना के पास करीब 150 लड़ाकू युद्धपोत हैं जिनमें से दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। लेकिन हेलीकॉप्टरों की कमी के चलते नौसेना को तैनाती में काफी दिक्कत आती है।
नेवी कमांडर ने बताया इसे गंभीर चिंता का विषय
एनडीटीवी से बात करते हुए एक नेवी कमांडर ने बताया कि यह काफी गंभीर चिंता का विषय है। नौसेना की रक्षा जरूरतों और पूर्ति में काफी अंतर है।
नौसेना को लगातार जंगी जहाज दिए जा रहे हैं और अगले सात सालों में करीब 40 और जहाज मिल जाएंगे, लेकिन हेलीकॉप्टरों को लेकर कोई काम नहीं हो रहा है।
नौसेना के लिए किसी भी आपात स्थिति में हेलीकॉप्टर की भूमिका काफी अहम हो जाती है। नेवी के कमांडर का कहना है कि ये चॉपर युद्धपोत के आगे उड़ते हैं औरकाफी सहायक सिद्ध होते हैं।
साधारण स्थिति में भी एक युद्धपोत पर कम से कम दो हेलीकॉप्टर का होना जरूरी होता है, लेकिन एमआरएच हेलीकॉप्टर जो नौसेना के पास हैं वह करीब दो दशक पहले खरीदे गए थे। ये ब्रिटेन निर्मित सी-किंग 42 ब्रेवो हैं।
नए चॉपर खरीदने का समय
इन हेलीकॉटरों के बदले नए चॉपर खरीदने का समय हो चुका है और देश 16 अमेरिका में बने सिकोरस्की एस-70बी के लिए बातचीत कर रहा है।
अब जब वर्तमान मोदी सरकार मेक इन इंडिया पर जोर दे रही है तो नौसेना की उम्मीद है कि भारतीय कंपनियां भी जल्दी इस क्षेत्र में आएं और कुछ योगदान दें।
छिपी पनडुब्बी को तलाशने में माहिर हैं ये हेलीकॉप्टर
ये हेलीकॉप्टर तब काफी अहम हो जाते हैं जब किसी छिपी पनडुब्बी को तलाशना होता है। जब दुश्मन के जहाजों की पूर्व सूचना युद्धपोत पर देनी होती है और जब दुश्मन के जंगी हवाई जहाज हमले के लिए आ रहे होते हैं। भारतीय नौसेना के पास करीब 150 लड़ाकू युद्धपोत हैं जिनमें से दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। लेकिन हेलीकॉप्टरों की कमी के चलते नौसेना को तैनाती में काफी दिक्कत आती है।
नेवी कमांडर ने बताया इसे गंभीर चिंता का विषय
एनडीटीवी से बात करते हुए एक नेवी कमांडर ने बताया कि यह काफी गंभीर चिंता का विषय है। नौसेना की रक्षा जरूरतों और पूर्ति में काफी अंतर है।
नौसेना को लगातार जंगी जहाज दिए जा रहे हैं और अगले सात सालों में करीब 40 और जहाज मिल जाएंगे, लेकिन हेलीकॉप्टरों को लेकर कोई काम नहीं हो रहा है।
नौसेना के लिए किसी भी आपात स्थिति में हेलीकॉप्टर की भूमिका काफी अहम हो जाती है। नेवी के कमांडर का कहना है कि ये चॉपर युद्धपोत के आगे उड़ते हैं औरकाफी सहायक सिद्ध होते हैं।
साधारण स्थिति में भी एक युद्धपोत पर कम से कम दो हेलीकॉप्टर का होना जरूरी होता है, लेकिन एमआरएच हेलीकॉप्टर जो नौसेना के पास हैं वह करीब दो दशक पहले खरीदे गए थे। ये ब्रिटेन निर्मित सी-किंग 42 ब्रेवो हैं।
नए चॉपर खरीदने का समय
इन हेलीकॉटरों के बदले नए चॉपर खरीदने का समय हो चुका है और देश 16 अमेरिका में बने सिकोरस्की एस-70बी के लिए बातचीत कर रहा है।
अब जब वर्तमान मोदी सरकार मेक इन इंडिया पर जोर दे रही है तो नौसेना की उम्मीद है कि भारतीय कंपनियां भी जल्दी इस क्षेत्र में आएं और कुछ योगदान दें।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं