नई दिल्ली:
हाल ही में देश के कई शहरों में इस्लामिक स्टेट से कथित तौर पर जुड़े कई संदिग्धों की गिरफ्तारी हुई है। प्रमुख मुस्लिम संगठनों की प्रतिनिधि संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिए-ए-मुशाविरत ने जल्द ही इस आतंकी समूह के दुष्प्रचार से मुस्लिम समाज खासकर नौजवानों को आगाह करने के लिए मस्जिदों, मदरसों तथा दूसरे शिक्षण संस्थानों के स्तर से मुहिम शुरू करने का फैसला किया है।
इस मुस्लिम समूह ने सरकार से यह मांग भी की है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट के उन सभी मंचों पर रोक लगाई जाए जिनके माध्यम से आईएस अपना दुष्प्रचार फैला रहा है।
मुशाविरत के अध्यक्ष नावेद हामिद ने समाचार एजेंसी 'भाषा' के साथ बातचीत में कहा, 'दाऐश (आईएस) के खतरे और उसके दुष्प्रचार को लेकर पूरे समाज और खासकर नौजवानों को आगाह करने की जरूरत है। इसके लिए हम अभियान शुरू करेंगे। हम जल्द ही मुस्लिम संगठनों तथा दूसरे सभी संबंधित पक्षों की बैठक बुलाएंगे, जिसमें आईएस के दुष्प्रचार के खिलाफ मुहिम का पूरा खाका तैयार किया जाएगा।'
उन्होंने कहा, 'भारत का मुस्लिम समाज हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ रहा है। कुछ नौजवानों का आईएस की ओर झुकाव हुआ तो उनके मां-बाप ने सुरक्षा एजेंसियों को इसकी जानकारी दी और फिर उन नौजवानों की काउंसलिंग की गई। आतंकवाद को लेकर परिवार और समाज के स्तर से दुनिया में शायद ही ऐसी कोई पहल हुई हो।'
उन्होंने कहा, 'करोड़ों की आबादी में अगर कुछ लोगों का रुझान हुआ है और दो-चार लोगों की गिरफ्तारियां हुईं, तो यह आंकड़ा न के बराबर है। परंतु हमारी यह कोशिश होनी चाहिए कि एक भी व्यक्ति आईएस जैसे संगठनों की जद में नहीं आए।'
हामिद ने कहा कि मदरसों, मस्जिदों, इमामों, धर्मगुरुओं तथा शिक्षण संस्थानों के माध्यम से आईएस के खिलाफ जागरुकता फैलाई जा सकती है।
इस मुस्लिम समूह ने सरकार से यह मांग भी की है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट के उन सभी मंचों पर रोक लगाई जाए जिनके माध्यम से आईएस अपना दुष्प्रचार फैला रहा है।
मुशाविरत के अध्यक्ष नावेद हामिद ने समाचार एजेंसी 'भाषा' के साथ बातचीत में कहा, 'दाऐश (आईएस) के खतरे और उसके दुष्प्रचार को लेकर पूरे समाज और खासकर नौजवानों को आगाह करने की जरूरत है। इसके लिए हम अभियान शुरू करेंगे। हम जल्द ही मुस्लिम संगठनों तथा दूसरे सभी संबंधित पक्षों की बैठक बुलाएंगे, जिसमें आईएस के दुष्प्रचार के खिलाफ मुहिम का पूरा खाका तैयार किया जाएगा।'
उन्होंने कहा, 'भारत का मुस्लिम समाज हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ रहा है। कुछ नौजवानों का आईएस की ओर झुकाव हुआ तो उनके मां-बाप ने सुरक्षा एजेंसियों को इसकी जानकारी दी और फिर उन नौजवानों की काउंसलिंग की गई। आतंकवाद को लेकर परिवार और समाज के स्तर से दुनिया में शायद ही ऐसी कोई पहल हुई हो।'
उन्होंने कहा, 'करोड़ों की आबादी में अगर कुछ लोगों का रुझान हुआ है और दो-चार लोगों की गिरफ्तारियां हुईं, तो यह आंकड़ा न के बराबर है। परंतु हमारी यह कोशिश होनी चाहिए कि एक भी व्यक्ति आईएस जैसे संगठनों की जद में नहीं आए।'
हामिद ने कहा कि मदरसों, मस्जिदों, इमामों, धर्मगुरुओं तथा शिक्षण संस्थानों के माध्यम से आईएस के खिलाफ जागरुकता फैलाई जा सकती है।
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